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इस ‘शैतान द्वीप’ पर थी सबसे भयानक जेल, धरती पर नर्क भोगने जाते थे कैदी!

डेस्क: क्रोएशिया (Croatia) के तट पर गोली ओटोक (Goli Otok) एक छोटा, बंजर और निर्जन द्वीप है, जिसे कभी सबसे भयानक जेलों में से एक गोली ओटोक जेल हुआ करती थी. इसके कैदियों ने इसे ‘जीवित नर्क’ (‘Living Hell’) बताया. अब सिर्फ जंग खाती कोठरियां और टॉर्चर चैंबर्स वाली एक भयानक वीरान जेल के खंडहर ही दिखाई पड़ते हैं, जिन्हें देख कर डर के मारे आपकी कंपकंपी छूट जाएगी.

द सन की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तरी एड्रियाटिक सागर (northern Adriatic Sea) पर स्थित इस द्वीप का इस्तेमाल 1949 और 1989 के बीच युद्धबंदियों और राजनीतिक कैदियों के लिए जेल के रूप में किया गया. अनुमान है कि 1956 तक 15 हजार से अधिक लोगों को द्वीप पर भेजा गया था, जिनमें कुछ ऐसे भी थे, जिन्हें कथित तौर पर यातना देकर मार डाला गया था. कथित तौर पर यहां कैद लोगों को शारीरिक और मनोवैज्ञानिक यातनाएं दी जाती थीं. यह उनके लिए धरती पर नर्क भोगने जैसा था.

किसने की थी इस जेल की स्थापना?
उस समय क्रोएशिया यूगोस्लाविया (Yugoslavia) का हिस्सा हुआ करता था, जिसकी सरकार की कमान विवादास्पद कम्युनिस्ट नेता जोसिप ब्रोज़ टीटो (Josip Broz Tito) के हाथों में थी. सोवियत यूनियन से संबंध तोड़ने के बाद टीटो ने इस टॉप-सीक्रेट पॉलिटिकल प्रिजन (Top-Secret Political Prison) और लेबर कैंप (labour camp) को स्थापित किया था.

जेल में मारे गए हजारों क्रोएशियाई लोग
जो लोग टीटो शासन के खिलाफ थे, उनको यहां कैद कर रखा गया था. उनको कष्टकारी यातनाओं से गुजरना पड़ता था, जो लोग टीटो के प्रति वफादार रहने का वादा करते, उनको माफ कर दिया था. इनके अलावा यहां कई युद्धबंधियों को भी कैद में रखा गया. 40 सालों तक जेल के संचालन के दौरान ‘स्टालिनवाद’ (Stalinism) की गलत धारणा पर हजारों क्रोएशियाई मारे गए.


सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (Central Intelligence Agency) की एक रिपोर्ट में गोली ओटोक को टीटो का एड्रियाटिक ‘शैतान द्वीप’ (Devil’s Island) बताया गया और दावा किया गया कि यह स्टालिन समर्थकों के लिए भी उतनी ही जेल थी, जितनी कि टीटो के शासन में असहमति रखने वाले लोगों के लिए थी. अन्य लोगों ने इसकी कठोर परिस्थितियों और उच्च सुरक्षा के कारण इस द्वीप को ‘क्रोएशियाई अल्काट्राज़’ (Croatian Alcatraz) कहा है.

1980 के दशक में बंद हो गई ये जेल
फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के दौरान ऑस्ट्रिया-हंगरी (Austria-Hungary) द्वारा रूसी सैनिकों (Russian soldiers) को रखने के लिए भी इसका उपयोग किया गया था. 1980 के दशक के अंत में जेल को बंद कर दिया गया, जब आयरन कर्टन (Iron Curtain) और सोवियत यूनियन पतन की ओर खिसकने लगे.

खंडहरों को देखकर लगेगा डर
आज, टूटी-फूटी दीवारें और जर्जर कमरे उन पीड़ाओं की याद दिलाती हैं, जो कैदियों को कभी द्वीप पर सहनी पड़ी थीं. सालों से वीरान पड़ी हुई इस जेल में अभी भी आपको जंग लगे उपकरण और टूटे फर्नीचर इधर-उधर पड़े हुए दिख जाएंगे. जेल की कोठरियों की दीवारें लाल और नारंगी रंग से रंगी गई थीं. इसके खंडहरों को देखकर आपको डर लगने लगेगा. डच फिल्म निर्माता बॉब थेसेन ने नेशनल ज्योग्राफिक के साथ एक इंटरव्यू में कहा, ‘खंडहरों के बीच चलना… यह बहुत डरावना है.’

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