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धरती पर रहने वाला इकलौता जीव जो कभी मरता नहीं, ये अमर है

डेस्क। ये दुनिया का इकलौता जीव है जो कभी मरता नहीं है। इसलिए इसकी उम्र का सही-सही अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। इस जीव की खासियत ये हैं कि सेक्सुअली मेच्योर होने के बाद वापस बच्चे वाली स्टेज में आ जाता है। उसके बाद वापस फिर से विकसित होता है। ऐसा उसके साथ हमेशा होता रहता है। इसलिए बायोलॉजिकली ये कभी नहीं मरता। आइए जानते हैं इस जीव के बारे में…

इस जीव का नाम है टूरिटॉपसिस डॉर्ह्नी (Turritopsis Dohrnii) ये जेलीफिश की एक प्रजाति है, इसे अमर जेलीफिश (Immortal Jellyfish) भी कहते हैं। इनक आकार बेहद छोटा होता है। ये जब पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं तब इनके शरीर का व्यास 4.5 मिलिमीटर होता है। इनकी लंबाई और चौड़ाई बराबर ही होती है।

युवा टूरिटॉपसिस डॉर्ह्नी (Turritopsis Dohrnii) के 8 टेंटिकल्स यानी सूंड होते हैं। जबकि सेक्सुअली मेच्योर हो चुकी जेलीफिश के 80 से 90 टेंटिकल्स हो सकते हैं। ये आमतौर पर समुद्र की तलहटी में रहते हैं। इनके दो फॉर्म होते हैं। इस जेलीफिश की कई अन्य प्रजातियां भी हैं। जो दुनिया भर के विभिन्न सागरों में पाई जाती हैं।


टूरिटॉपसिस डॉर्ह्नी (Turritopsis Dohrnii) का जन्म प्रशांत महासागर में हुआ। अब ये लगभग सारे सागरों में मिलती हैं। लेकिन ट्रांस-आर्कटिक यात्रा करके दुनिया भर के समुद्रों में फैल गई। इस प्रजाति के दुनियाभर में फैलने का किसी को पता नहीं चला, क्योंकि ये आकार में अत्यधिक छोटे और पारदर्शी होते हैं। स्मिथसोनियन ट्रॉपिकल मरीन इंस्टीट्यूट की साइंटिस्ट डॉ. मारिया मिगिलेटा ने कहा कि इसने चुपचाप पूरी दुनिया में अपना साम्राज्य फैला लिया है।

आमतौर पर टूरिटॉपसिस डॉर्ह्नी (Turritopsis Dohrnii) समुद्र में कितने दिनों तक जीवित रहता है। यह तो बताया गया है लेकिन यह मरता नहीं है। यह खुद को वापस नए रूप में बदल लेता है इसलिए इसकी कोई उम्र नहीं होती लेकिन छोटी सी लाइफ साइकिल होती है। अगर समुद्र का तापमान 20 से 22 डिग्री है तो ये 25 से 30 दिनों में वयस्क होकर वापस बच्चा बना जाते हैं। अगर समुद्र का तापमान 14 से 25 डिग्री है तो ये 18 से 22 दिन में ही सेक्सुअली मेच्योर होकर वापस बच्चा बन जाते हैं।

ज्यादातर जेलीफिश की उम्र तय होती है। कुछ घंटों जिंदा रहती हैं, कुछ महीनों तक। हर प्रजाति की जेलीफिश की उम्र तय होती है। लेकिन टूरिटॉपसिस डॉर्ह्नी (Turritopsis Dohrnii) इकलौती ऐसी प्रजाति है, जिसे अमरता प्राप्त है। ये वयस्क (Medusae) होने के बाद वापस बच्चा (Polyp) स्टेट में चली जाती है। इसके लिए इसके शरीर में खास तरह की कोशिकाएं होती हैं।

टूरिटॉपसिस डॉर्ह्नी (Turritopsis Dohrnii) जेलीफिश जब वह वयस्क होने की कगार यानी 12 टेंटिकल्स के साथ होती है, तभी खुद को बदलने के लिए सिस्ट जैसे स्टेज में चली जाती है। यहां से वह स्टोलोंस और उसके बाद पॉलिप बन जाती है। 20 से 40 फीसदी वयस्क (Medusae) सीधे पॉलिप बनते हैं, उन्हें बीच में स्टोलोंस बनने की जरूरत नहीं पड़ती। ये पूरी प्रक्रिया दो दिन में हो जाती है।

पॉलिप वापस विकसित होते हैं। इनके अतिरिक्त स्टोलोंस, ब्रांचेस, ऑर्गन्स, टेंटिकल्स निकलते हैं। ये फिर से कॉलोनी बनाते हैं। इस दौरान ने इनके बिहेवियर में बदलाव आता है न ही उन्हें किसी प्रकार की चोट लगती है। या अंग विभाजन होता है। जीवों की दुनिया में यह इकलौता ऐसा जीव है जो अपने जीवन को पूरी तरह से वापस पलट देता है।


टूरिटॉपसिस डॉर्ह्नी (Turritopsis Dohrnii) मांसाहारी होता है। ये जूप्लैंकटॉन्स (Zooplankton) खाता है। इसके अलावा मछली के अंडे और छोटे मोलस्क इसका पसंदीदा आहार होते हैं। एक और खास बात है इस जेलीफिश की। ये खाना और मल दोनों मुंह से ही करता है। ये अपनी टेंटिकल्स यानी सूंड से शिकार करता है। खाने को पकड़ता है। तैरने के लिए भी इन्हीं टेंटिकल्स का उपयोग करता है।

ऐसा नहीं है कि टूरिटॉपसिस डॉर्ह्नी (Turritopsis Dohrnii) को खतरा नहीं होता। इन्हें आमतौर पर बाकी जेलीफिश खाती हैं। इसके अलावा इन्हें ट्यूना मछली, कछुए, स्वॉर्डफिश, पेंग्विंस आदि खाते हैं। ये जेलीफिश बेहद सामान्य जैविक संरचना के बने होते हैं इसलिए इन्हें ये जीव खाते हैं। 5 फीसदी शरीर और बाकी पानी।

टूरिटॉपसिस डॉर्ह्नी (Turritopsis Dohrnii) जेलीफिश को कैप्टिविटी में रखना मुश्किल है। यानी इसे समुद्र से बाहर अलग तरह के पानी में रखना कठिन है। बड़ी मुश्किल से जापान के क्योटो यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट शिन कुबोता ने इन्हें कुछ समय के लिए समुद्र से बाहर जीवित रखा। कुबोता ने बताया कि उन्होंने दो साल तक इन जीवों को पाला, जिस दौरान इन जीवों ने 11 बार खुद को बच्चा बनाया।

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