इंदौर न्यूज़ (Indore News)

शिवराज को तो खतरा कम, मगर सिंधिया का भविष्य दांव पर


अग्निबाण विश्लेषण, 230 से ज्यादा रोमांच 28 सीटों पर सिमटा

10 नवम्बर के बाद प्रदेश की राजनीति में होगी भारी उठापटक

इन्दौर, राजेश ज्वेल। मध्यप्रदेश विधानसभा की कुल 230 सीटों के चुनाव से कई गुना अधिक रोमांच इन 28 सीटों के उपचुनाव में नजर आया है। भाजपा की सरकार को तो कोई अधिक खतरा नहीं है, क्योंकि उसे 8-9 सीटें ही चाहिए, जबकि कांग्रेस को 20 से 25 सीटों की दरकार है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के लिए तो खतरा कम है, लेकिन कांग्रेस से भाजपा में आए महाराज यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया का भविष्य अवश्य दांव पर लगा है, क्योंकि 28 में से 24 सीटों पर उनके समर्थक चुनाव लड़ रहे हैं और ग्वालियर-चम्बल संभाग की 16 सीटें भी उनके प्रभाव क्षेत्र की है।

तमाम राजनीतिक विशेषज्ञों और मीडिया का यह आंकलन है कि इन उपचुनावों में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा सिंधिया जी की ही दांव पर लगी है, क्योंकि उनके कारण ही कमलनाथ सरकार को सड़क पर आना पड़ा और भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने जहां सिंधिया को राजसभा में भेजा, वहीं उनके साथ भाजपा में शामिल हुए सारे पूर्व विधायकों को टिकट भी दिए। यही कारण है कि इन उपचुनावों के प्रचार-प्रसार में सिंधिया ने भी अपनी पूरी ताकत झोंकी। वहीं भाजपा और उसका संगठन भी मजबूती से मैदान में डटा रहा, क्योंकि सबको सरकार बचाना है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी सांवेर सहित सभी सीटों पर जमकर मेहनत की, क्योंकि उन्हें आने वाले तीन सालों तक मुख्यमंत्री बने रहना है। अगर भाजपा की सीटें कम होती है तो शिवराज को चुनौती मिलेगी, लेकिन 15-16 सीटें भी अगर आ जाती है, तो उन्हें कोई खतरा नहीं रहेगा। दूसरी तरफ सिंधिया जी अगर अपने अधिक समर्थकों को नहीं जीता पाते तो फिर भाजपा में उनका विरोध शुरू हो जाएगा। उपचुनाव में तो केन्द्रीय नेतृत्व के दबाव में प्रदेश के सारे दिग्गज नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सिंधिया के वर्चस्व को माना और काम भी किया, लेकिन अगर उनके समर्थक कम चुनाव जीते तो अवश्य सिंधिया को बड़ा राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। अब जनता ने क्या निर्णय लिया है यह तो 10 नवम्बर को ही पता चलेगा, मगर इसमें कोई शक नहीं कि इन 28 सीटों के चुनाव परिणाम 10 नवम्बर के बाद प्रदेश की राजनीति में भारी उठापटक करेंगे। कईयों का भविष्य बनेगा, तो कईयों का हाशिए पर जा सकता है। कांग्रेस भी 20 सीटें जीतने का दावा कर रही है।

नए चेहरों को मिलेगा मंत्री बनने का मौका भी
उपचुनावों के परिणाम कई मंत्रियों के भाग्य का भी फैसला करेंगे। 12 मंत्री चुनाव लड़ रहे हैं, जिनमें से जानकारों के मुताबिक आधे मंत्री तो चुनाव हारेंगे ही, जिसके चलते नए चेहरों को मंत्रिमंडल में मौका मिल सकता है। भाजपा ने कई क्षेत्रों में इस तरह के आश्वासन दिए भी हैं, जिनमें सांवेर विधानसभा भी शामिल है, जहां पर कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला ने ताकत झोंकी और बदले में संभव है कि मेंदोला मंत्री बन जाएं।

प्रदेश की राजनीति में ही सक्रिय रहेंगे अब कमलनाथ
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का 15 महीने का कार्यकाल जनता ने पसंद किया और कांग्रेस ने पूरा चुनाव भी उनके चेहरे पर ही लड़ा। खुद कमलनाथ भी अपनी वापसी को लेकर आश्वस्त हैं और वे यह भी स्पष्ट कर चुके हैं कि केन्द्र की बजाय अब वे प्रदेश की राजनीति में ही सक्रिय रहेंगे। कांग्रेस का भी मानना है कि कमलनाथ के नेतृत्व में बिखरी हुई प्रदेश कांग्रेस को नई ताकत मिली है।

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