- जांच में दूसरों पर कार्रवाई करते, बाद में मामला हो जाता रफादफा
भोपाल। मेडिकल यूनिवर्सिटी में रिजल्ट घोटाले उजागर होने के बाद नए मामले सामने आ रहे हैं। यूनिवर्सिटी के तत्कालीन कुलपति डॉ. टीएन दुबे और रजिस्ट्रार संजय तोतड़े रिजल्ट लीक करने वाली कंपनी माइंडलॉजिक्स इंफ्राटेक पर पूरी तरह से मेहरबान थे। जब भी कंपनी पर सवाल उठे तो इन्होंने यूनिवर्सिटी के ही अधीनस्थ अफसरों पर कार्रवाई कर कंपनी को बचा लिया।
कंपनी को बचाने प्रभारी परीक्षा नियंत्रक को दोषी ठहरा दिया। दरअसल बुरहानपुर के निजी यूनानी कॉलेज का रिजल्ट लीक होने के बाद जब छात्रों ने हंगामा किया तो तत्कालीन कुलपति डॉ दुबे ने तत्कालीन रजिस्ट्रार तोतड़े की अध्यक्षता में कमेटी बना दी।
इसमें डॉ. सविता वर्मा, सुनील खरे एवं डॉ. सचिन कुचिया सदस्य बनाए गए थे। कमेटी ने माइंडलॉजिक कंपनी को बचाने के लिए बीयूएमएस के प्रभारी परीक्षा नियंत्रक / डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ अजय मिश्रा को रिजल्ट लीक होने का दोषी ठहराया। इतना ही नहीं डॉ. मिश्रा का पक्ष जाने बगैर उन्हें यूनिवर्सिटी से कार्यमुक्त भी कर दिया गया। इस मामले में जब तत्कालीन प्रभारी परीक्षा नियंत्रक ने कुलपति दुबे के सामने अपनी बेगुनाही के दस्तावेज पेश किए तो उन्होंने डॉ मिश्रा को इसे एक प्रशासनिक कार्रवाई बताते हुए सब भूल जाने को कहा। बाद में इस मामले को मानवीय भूल करार देकर रफादफा कर दिया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे मामले में रिजल्ट लीक करने वाली कंपनी के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया। इससे जाहिर है कि मेडिकल यूनिवर्सिटी के तत्कालीन रजिस्ट्रार की मिलीभगत से ये खेल चल रहा था।
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