जायद की फसलों के लिए तापमान 33 से 35 डिग्री सेल्सियस बेहतर माना जाता है। इस बार मई माह के शुरुआत में तापमान बढ़ा तो, लेकिन स्थाई नहीं रह सका। इससे जायद की फसलों को सीधा फायदा पहुंचा। अनुकूल मौसम में फसलों का उत्पादन पिछले वर्ष की अपेक्षा अधिक हो रहा है। यही नहीं गंगा कटरी में बोई जाने वाली सब्जी भी लहलहा रही है और किसान लाभान्वित हो रहे हैं।
कानपुर जनपद में कृषि क्षेत्र की लगभग दो तिहाई भाग में जायद की फसलें उगाई जाती है, क्योंकि यह जनपद गंगा और यमुना के बीच स्थित है। दोआबा क्षेत्र में वैसे भी फसलों का उत्पादन अन्य जगहों की अपेक्षा अधिक होता है और खासकर जायद की फसल के लिए यहां की जमीन अधिक उपजाऊ मानी जाती है। जायद की फसलों की फरवरी माह से बुआई शुरु हो जाती है और अप्रैल, मई माह से बाजार में यह फसल जबरदस्त दिखाई देने लगती हैं। इस दौरान अगर मौसम अनुकूल न रहा तो फसल उत्पादन पर असर पड़ता है, लेकिन इस बार मौसम जायद फसल के अनुकूल रहा। इससे किसानों को अपनी मेहनत का बराबर लाभ मिल रहा है।
हालांकि मई माह में मौसम में आए बदलाव से कई दिनों तक तापमान अधिक रहा, लेकिन कभी चक्रवाती हवाओं के चलते तो कभी पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से मौसम जायद फसलों के अनुकूल रहा। हाल ही में मौसम में ऐसा बदलाव आया कि तापमान एक बार फिर करीब 10 डिग्री सेल्सियस तक नीचे जा पहुंचा। इससे किसानों को सीधा लाभ हुआ, उनकी फसलों का उत्पादन बढ़ गया।
मौसम वैज्ञानिक का कहना
चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम कृषि वैज्ञानिक डॉ एस एन सुनील पाण्डेय ने बताया कि इस वर्ष बीच बीच में तापमान अधिक रहा, लेकिन स्थाई नहीं रहा। मौसम में बराबर बदलाव होता रहा और तापमान काफी हद तक जायद फसलों के अनुकूल रहा। इससे कानपुर परिक्षेत्र में जायद की फसल करने वाले किसानों को बेहतर लाभ मिल सका। अभी हाल ही मौसम में जो बदलाव आया है वह अभी चार दिनों तक बने रहने की संभावना है। इस दौरान जायद की फसलों का उत्पादन चरम पर है और किसानों को मेहनत का लाभ मिल रहा है।
इन फसलों का होता है उत्पादन
मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि जायद की फसलें कई प्रकार की होती हैं लेकिन कानपुर में ज्यादातर सब्जी वाली जायद की फसलें बोई जाती हैं। गंगा के कटरी इलाके में सब्जी तो बहुत अच्छी होती है और इस बार इस क्षेत्र के किसान बेहतर लाभ ले रहे हैं। कानपुर में जायद फसलों में टिंडा, तरबूज, गाजर, चुकंदर, खरबूजा, खीरा, ककड़ी, लौकी, तरोई, भिंडी, मक्का, उड़द, मूंग, सूरजमुखी, बैगन और कदीमा आदि की खेती होती हैं। इसके साथ ही किसान हरा चारा उगाकर लाभ कमा रहे हैं।