खरी-खरी

पूरा विपक्ष करे पुकार…आ बैल मुझे मार

विनाश काले विपक्ष बुद्धि…अभी तो झुंड बनाया था…अभी तो विपरीत दिशाओं के अलग-अलग मिजाजों के अहंकार के विकार में डूबे लोगों ने डूबते भविष्य से किनारा पाने के लिए मोदी जैसे विशाल जीव से टकराने और अपना अस्तित्व बचाने के लिए एकजुटता का हाथ थामा था… अभी तो इंडिया का नामकरण चुराया था… अभी तो मुकाबले का मजमा जमाया था… अभी तो मणिपुर का मुद्दा हाथ आया था… सारे विपक्षी दलों ने रोते हुए लोगों और बिखरे हुए परिवारों के जख्मी पड़े प्रदेश में जाकर आंसू पोंछने का स्वांग रचाया था… और इसी जोश में होश खोकर संसद को गुंजाने… सरकार को हाशिए पर लाने… अपना अलख जगाने, अपनी एकजुटता की ताकत दिखाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव जैसी नादानी कर डाली…प्रधानमंत्री के बयान की जिद में अपनी फजीहत कर डाली… मुट्ठीभर विपक्ष ने पहाड़ जैसी सरकार से टकराने की हिमाकत कर डाली… विपक्ष ने तो बांहें ही चढ़ाई थीं कि सत्तापक्ष ने घूसों की बौछार कर दी… कल राजस्थान जाने की जल्दी में आनन-फानन बकवास किए राहुल तो चल दिए, लेकिन बाद में अमित शाह ने शाही हथौड़े बरसाते हुए पूरे विपक्ष की छिछालेदारी कर डाली… स्मृति ईरानी ने राहुल की मोहब्बत की दुकान पर अभद्रता का ताला डाल दिया और कांग्रेस के कर्णधार का वक्तव्य एक फ्लाइंग किस की भेंट चढ़ गया… यह तो ओपनिंग बैटिंग का हश्र हुआ…अब आलराउंडर मोदी को आज मैदान लूटने का वह मौका मिलेगा, जिसका वो बेसब्री से इंतजार कर रहे थे और जिसका तोहफा विपक्षी बुद्धि की बदौलत उन्हें मिल गया… अभी तक अपनी सरकार का टुकड़े-टुकड़े में बखान परोस रहे मोदीजी को आज पूरे देश को अपनी उपलब्धियों का भरपेट भोजन परोसने का मौका मिलेगा… कश्मीर की आजादी से लेकर राम मंदिर की मंत्रणा… उज्ज्वला के गैस चूल्हे से लेकर गरीबों के आवास की योजना… विदेशों की लोकप्रियता से लेकर रूस और अमेरिका तक को उंगलियों पर नचाने का हौसला जहां आज सदन में जगजाहिर होगा, वहीं देश का बढ़ता खजाना, विकास का अंबार, सडक़ों का जाल, ट्रेनों की गति, विमानों की उड़ान और भविष्य की योजना सुनते-सुनाते देशवासियों के बीच मणिपुर का मुद्दा कब कहां खो जाएगा, विपक्ष को अहसास भी नहीं हो पाएगा… अविश्वास का यह प्रस्ताव सरकार के विश्वास की दृढ़ता के साथ इस तरह उभरकर आएगा कि पहली ही गेंद पर बोल्ड होने का अहसास पूरे इंडिया और विपक्ष के इंडिया दोनों को हो जाएगा… विपक्ष मणिपुर पर बहस करता रह जाएगा और अविश्वास प्रस्ताव के जवाब में सरकार का विकास प्रस्ताव पारित हो जाएगा… एकता बताने की कोशिश में विपक्ष जहां खंड-खंड हो जाएगा, वहीं देश यह सोचने पर मजबूर हो जाएगा कि संसद के सत्र को एक मुद्दे की बलि चढ़ाकर विपक्ष ने देश के उन सारे मुद्दों की आग को राख में बदल डाला, जिसमें पूरा देश झुलस रहा है… घरों की थाली महंगी हो रही है… गृहिणियां रो रही हैं… बेरोजगारी बढ़ रही है… हर घर खर्च और कर्ज में डूब रहा है… सरकार सक्षम हो रही है, पर आम आदमी बेबस, कमजोर, निढाल हो रहा है… सरकार की चेतनाएं अब आम आदमी के प्रति जागृत होना चाहिए… महंगाई थमना चाहिए… सरकार की जिम्मेदारी तय होना चाहिए… बहस तो इस बात पर होना चाहिए… लेकिन विपक्ष ने मौका गंवा दिया… सरकार का अविश्वास तो साबित हो नहीं पाएगा खुद का विश्वास मिट जाएगा।

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