जिला अस्पताल में 2009 से खराब पड़ा डीप फ्रिजर
– कलेक्टर ने लगाई फटकार
– सीएसआर के तहत दिलाएंगे सुविधा
इंदौर। 17 थानों से आने वाले अज्ञात शवों को रखने के लिए जिला अस्पताल में डीप फ्रिजर ही नहीं है। 2007 में एक निजी संस्था द्वारा उपहार स्वरूप दिया गया डीप फ्रिजर अधिकारियों की अनदेखी से भंगार पड़ा है। 2009 के बाद से शवों को रखने के लिए बर्फ की सिल्लियों के भरोसे काम चलाना पड़ रहा है।
सरकार के ढील पोल रवैये के चलते धीमी गति से हो रहे जिला अस्पताल के भवन के निर्माण के साथ-साथ अब अधिकारियों और डॉक्टरों की मनमानी जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं को चरमरा रही है। 17 थानों के ज्ञात अज्ञात शवों के पोस्टमार्टम और उन्हें डीप फ्रिजर में रखने के लिए जिला अस्पताल को जिम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की डॉक्टरों की मनमानी के चलते 2009 के बाद डीप फ्रिजर खराब पड़ा है। ज्ञात हो कि हाल ही में जिला अस्पताल की मच्र्युरी में कई शव क्षत विक्षत अवस्था में पाए गए थे। निजी संस्थाओं द्वारा कलेक्टर को की गई शिकायत के बाद कलेक्टर ने जहां सिविल सर्जन डॉ. प्रदीप गोयल को तलब किया था, वहीं साथ में पहुंचे मच्र्युरी विभाग के डॉक्टर भरत वापजेयी को अच्छी खासी लताड़ भी लगाई थी।
निजी संस्थाओं से फिर लेंगे
हर माह सैकड़ों की तादाद में होने वाले पोस्टमार्टम और शवों को रखने के लिए व्यवस्थाओं पर अब कलेक्टर सतर्क हो गए हैं। उन्होंने सीएसआर के तहत निजी संस्थाओं के माध्यम से डीप फ्रिजर लगाने की बात कही है। कलेक्टर इलैया राजा टी के अनुसार अज्ञात शवों को रखने के लिए पुराने रखे गए फ्रिजर को जल्द ठीक कराने की कोशिश की जाएगी और एक नए फ्रिजर की व्यवस्था भी की जाएगी।
सरकारी व्यवस्था ही नहीं
सालों से पोस्टमार्टम के लिए 17 थानों की जिम्मेदारी जिला अस्पताल को सौंपी गई है, लेकिन उसके बावजूद सरकार ने डीप फ्रिजर और इस तरह की व्यवस्थाओं की तरफ ध्यान ही नहीं दिया। सिविल सर्जन डॉ. प्रदीप गोयल के अनुसार अज्ञात शव को पोस्टमार्टम के बाद तीन दिनों तक सुरक्षित रखने का प्रावधान है, जिसके बाद नगर निगम द्वारा अंतिम संस्कार की प्रक्रिया कराई जाती है। 2009 तक व्यवस्थाएं ठीक थी, लेकिन निजी संस्था द्वारा उपहार में दिए गए फ्रिजर के रखरखाव और सुधार के लिए सरकारी बजट न होने के कारण बंद पड़ा है।
Share: