इंदौर न्यूज़ (Indore News) मनोरंजन

सुखी फिल्म में भी है महिला रिजर्वेशन

फिल्म समीक्षक – प्रकाश हिन्दुस्तानी

सुखी फिल्म में भी है महिला रिजर्वेशन
लगता है कि फिल्मों में भी महिलाओं के लिए आरक्षण प्रभावकारी हो गया है। सुखी एक महिला प्रधान फिल्म है। फिल्म की निर्माताओं में से एक शिखा शर्मा महिला है। फिल्म की निदेशक सोनल जोशी महिला है। फिल्म की कहानी तीन महिलाओं राधिका आनंद, पुलोमी दत्ता और रुपिंदर इंद्रजीत ने लिखी थी। एडिटिंग विनी राज ने की और फिल्म की मुख्य पात्र महिलाएं ही हैं। शिल्पा शेट्टी कुंद्रा, दिलनाज़ ईरानी, कुशा कपिला, पवलीन गुजराल, पूर्णिमा राठौर, सेजल गुप्ता, कोमल सचदेवा, अंजलि शर्मा, ज्योति कपूर, माही जैन, सुषमा प्रशांत आदि महिलाएं हैं और पुरुष पात्र अमित साध, चैतन्य चौधरी, विनोद नागपाल, किरण कुमार आदि केवल फिलर की तरह ही हैं। फिल्म में उच्च-मध्यम वर्ग की महिलाओं की दास्तान है। सब खाये-अघाये घरों की हैं और सबके अपने अपने कष्ट हैं। सुखी यानि सुखप्रीत गिल ने मोहब्बत की फिर लव मैरिज के बाद सुखप्रीत कालरा बन गई। शिल्पा शेट्टी बनी है सुखी। पति राज कुंद्रा भले ही हजारों करोड़ का मालिक हो पर शिल्पा लगाती है सुक्खी शट! वह एक हाउसवाइफ है। पति कम्बल का धंधा करता है और रेलवे में ठेके लेता है। 15 साल की बेटी जस्सी है। सुखी रोजमर्रा की जिंदगी से दुखी है। पति अब लवर बॉय नहीं रहा और बेटी सुनती नहीं। वह स्कूल और कॉलेज के दिनों में झकास लडक़ी हुआ करती थी। तब कहा करती थी कि कच्छे, बच्चे और बनियान से अपनी पहचान नहीं बनाएंगे। उसकी सहेलियां और वह कहती थी कि हम कमीन हैं और लाइफ लॉन्ग कमीनी ही रहेंगी। हम हैं बेशरम, बेधडक़ और बेपरवाह गैंग। हम बच्चों की ममता के चक्कर में डोरमैट नहीं बनेंगी कि हर आता-जाता शख्स पांव पोंछकर चलता बने।


सुखी सुबह उठकर टमाटर काटने से लेकर शाम के डिनर तक का खाना बनाती है और इसी से वह परेशान हो गई है और चिड़चिड़ी हो गई है। उसकी एक सहेली लंदन में आर्किटेक्ट है और प्रमोशन नहीं मिलने से दुखी है। तीसरी सहेली की शादी हो गई है और बच्चा नहीं हो रहा है। चौथी सहेली की शादी नहीं हो रही है और बच्चा होने वाला है। सबके अपने-अपने स्यापे हैं और ऐसे में वे दिल्ली में स्कूल के एक रियूनियन कार्यक्रम में मिलती हैं और नए-नए लफड़े पाल लेती हैं। शिल्पा को घुड़सवारी, डांस और बाइक चलाना आता है, तो उसने वह किया भी है। बहुत सारे पेंच आते हैं कहानी में, पर अंत भला, सो भला! फिल्म का नाम सुखी है, दर्शक दुखी होकर निकलता है।

अझेलनीय है द ग्रेट इंडियन फैमिली
यशराज बैनर की इससे पकाऊ फिल्म शायद ही कोई हो। डायरेक्टर ने विक्की कौशल को लिया, 2017 की मिस यूनिवर्स मानुषी छिल्लर को लिया, मनोज पाहवा, कुमुद मिश्रा, सादिया सिद्दीकी, अलका अमीन को लिया, संगीत के लिए प्रीतम को लिया, पर कोई ढंग का लेखक ही ले लेते तो बेहतर होता। विक्की कौशल भजन कुमार बने हैं, भजन गायक। मानुषी छिल्लर का काम इस फिल्म में मोटर बाइक चलाना, मुस्लिम युवक को राखी बांधकर भाई बनाना और पंडित विक्की कौशल के साथ चुम्मा चाटी का एक सीन करना रहा।


फिल्म में साम्प्रदायिक सौहार्द के लम्बे-लम्बे भाषण हैं। पचास साल पुरानी यशराज कम्पनी ने पचास साल पुरानी जैसी कहानी पर फिल्म बनाई है। फिल्म में पंडितों को कूढ़ मगज और लालची बताया गया है। बिना जरूरत के हिन्दू- मुस्लिम एकता के भाषण हैं। विक्की कौशल ने फिल्म में अच्छा काम किया है, लेकिन मानुषी छिल्लर सम्राट पृथ्वीराज के बाद लगातार दूसरी फिल्म में असर नहीं छोड़ पाईं। धूम जैसी फिल्म के डायरेक्टर विजयकृष्ण आचार्य का नाम इसके निर्देशक के रूप में देखकर अफ़सोस हुआ। उन्होंने एक ही शानदार काम किया कि इस फिल्म की लम्बाई करीब पौने दो घंटे ही रखी। इस फिल्म को छोटा बनाकर उन्होंने दर्शकों पर कृपा की है। अझेलनीय फिल्म है! देखने जाएं तो अपनी रिस्क पर।

 

Share:

Next Post

9 लाख का जीरा चोरी करने वाला नोकर पुलिस की गिरफ्त मे

Sat Sep 23 , 2023