इन्दौर। कारखाने में सील लगा देने और एफआईआर (FIR) दर्ज होने के कानून की जानकारी लगते ही मोती तबेला, चंदन नगर (Chandan Nagar) क्षेत्र में बच्चों से बाल मजदूरी करवाने वाले कारखाना मालिकों के होश उड़ गए। सैकड़ों की तादाद में पिछले 5 दिनों से बच्चों का पाया जाना लगातार जारी है। कल भी एक साथ लगभग 90 बच्चे बिहार वापसी के लिए ट्रेन से रवाना हुए।
महिला एवं बाल विकास विभाग, बाल कल्याण समिति, चाइल्डलाइन (Women and Child Development Department, Child Welfare Committee, Childline) और सत्यार्थी फाउंडेशन द्वारा शुरू की गई जागरूकता पाठशाला रंग लाने लगी है। पिछले 5 दिनों से लगभग हर दिन सैकड़ो की तादाद में बच्चे बिहार वापसी कर रहे हैं। कारीगरों की कमी और कानून के डर के चलते अब कारखाना मालिकों ने भी नियमों के अनुसार अनुमति लेकर काम करने की शुरुआत कर ली है ।
एक क्षेत्र की दशा देख दूसरे सतर्क
मोती तबेला क्षेत्र में आयोजित बैठक के बाद चंदन नगर क्षेत्र के कारखाना मालिकों के भी होश उड़ गए और एक साथ चार से अधिक कारखाना मालिक बाल कल्याण समिति के समक्ष अनुमति की गुहार लगाने पहुंचे। बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष पल्लवी पोरवाल के अनुसार कारखाना मालिकों ने जानकारी दी है कि बच्चे तेजी से पलायन कर रहे हैं। अब उनके पास कारीगरों की कमी हो गई है, जिसके कारण काम ढप पड़ गया है। उन्हें जानकारी दी गई है कि वह लेबर डिपार्टमेंट में जाकर 14 से 18 साल तक के बच्चों से काम करने के लिए अनुमति ले सकते हैं। विभाग ने अन्य इलाकों में भी कारखाना मालिकों की बैठक बुलाई है।
इस तरह ले सकते हैं अनुमति
बाल कल्याण समिति अध्यक्ष के अनुसार यदि किसी कारखाने में 14 से 18 साल तक के किशोरों से काम कराया जाता है तो उन्हें लेबर डिपार्टमेंट के माध्यम से अनुमति लेना आवश्यक है। कानूनी तरीके से 10 घंटे की शिफ्ट में दिन-रात काम कराया जा रहा था। विभाग में जाकर आवेदन के साथ-साथ किशोर के दस्तावेज भी विभाग को सौंपने होंगे। किशोर न्याय अधिनियम के अनुसार इन बच्चों से काम 6-6 घंटे की शिफ्ट में ही काम कराया जाएगा, वहीं इस दौरान भी खाना खाने और आराम करने के लिए समय दिया जाएगा। हवादार कमरा, पानी की व्यवस्था के साथ-साथ, साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखना होगा। ऐसी मशीनें जिन पर काम करने के दौरान दुर्घटना हो सकती है उन मशीनों पर कारीगर के तौर पर किशोर से काम नहीं कराया जा सकेगा।
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