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बच्चे पैदा करो और पैसा लो, इन देशों की सरकारें चला रहीं खास योजनाएं

October 27, 2025

वाशिंगटन। दुनिया में कुछ देश ऐसे हैं जहां जनसंख्या पर लगाम के लिए तमाम उपाय किए जा रहे हैं। वहीं, कुछ देश ऐसे भी हैं, जहां अधिक बच्चे (more children) पैदा करने के लोगों को पैसे दिए जा रहे हैं। इन देशों की सरकार को चिंता सता रही है कि वहां बच्चे बहुत कम पैदा हो रहे हैं। असल में वहां की आबादी तेजी से बूढ़ी होती जा रही है। साथ ही यहां पर जन्मदर में भी गिरावट आ रही है। इन देशों में हंगरी, पोलैंड और फ्रांस (Hungary, Poland and France) जैसे देशों के नाम शामिल हैं। इन देशों में लोगों को आर्थिक मदद के साथ-साथ, इनकम टैक्स में छूट, बच्चों के लिए विशेष छूट और फैमिली अलाउंसेज तक शामिल हैं।

विएतनाम, सिंगापुर और अमेरिका
विएतनाम ने 2025 में अपने दो बच्चों की पॉलिसी बंद कर दी थी। इसके बाद उसने जन्मदर बढ़ाने के लिए इंसेटिव्स शुरू किए थे। इसी तरह सिंगापुर में नए बच्चे के पैदा होने पर उसे खास योजना का हिस्सा बनाया जाता है। सरकार बच्चे की पढ़ाई-लिखाई का ख्याल रखती है। अमेरिका भी बच्चों की पैदाइश पर जोर दे रहा है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वांस ने कहा कि हम अमेरिका में और ज्यादा बच्चे चाहते हैं। साथ ही ट्रंप प्रशासन ने बेबी बोनस की शुरुआत की है।



पोलैंड
पोलैंड ने एक नया टैक्स कानून लागू किया है। यहां पर दो या दो से अधिक बच्चों के परिवारों को 38,395 डॉलर की सालाना कमाई पर जीरो-इनकम टैक्स का कानून लागू किया गया है। इसके अलावा पोलैंड एक खास कार्यक्रम भी चलाता है। इसके तहत अधिक बच्चों वाले परिवार को 219 डॉलर की रकम दी जाती है।

हंगरी और फ्रांस
हंगरी में जिन मांओं के पास चार या अधिक बच्चे हैं, उन्हें पर्सनल इनकम टैक्स से छूट दी जाती है। इसके अलावा जो शादीशुदा कपल बच्चे पैदा करने का वादा करते हैं, उन्हें घर के लिए सरकारी लोन दिया जाता है। वहीं, फ्रांस में दो या अधिक बच्चों वाले परिवार को खास सुविधाएं दी जाती हैं। यह रकम इस बात पर निर्भर करती है कि परिवार में बच्चे कितने हैं। बच्चों के बढ़ने के साथ-साथ यह रकम बढ़ती जाती है।

इटली
इटली में यूनिवर्सल चाइल्ड अलाउंस योजना है। यह रकम उन परिवारों को दी जाती है, जिनके घरों में बच्चे है। इसकी रकम परिवार में बच्चों की संख्या के हिसाब से दी जाती है। साल 2025 में इस रकम में तीन गुना का इजाफा किया गया है।

एस्टोनेशिया
एस्टोनेशिया में भी ऐसा ही कुछ इंतजाम है। यहां पर जिन परिवारों में दो या अधिक बच्चे होते हैं, उन्हें अलाउंस दिया जाता है। पहले बच्चे के लिए 1,848 पाउंड दिए जाते हैं। वहीं, दूसरे बच्चे के लिए 3,048 पाउंड देने का प्रावधान है। तीसरे बच्चे के पैदा होने के बाद पैरेंट्स एनुअल टैक्स रिटर्न के लिए भी दावा कर सकते हैं। इसके अलावा इन्हें एनुअल छुट्टी और अन्य लाभ भी दिए जाते हैं। यह तब तक चलता है, जब तक बच्चा तीन साल का नहीं हो जाता।

रूस और तुर्की भी
इस लिस्ट में रूस का नाम भी शामिल है। रूस फैमिली कैपिटल देता है। यह एक निश्चित राशि होती है, जो बच्चों वाला परिवार अपने घर, शिक्षा आदि के लिए खर्च कर सकता है। इसी तरह तुर्की में राष्ट्रपति एर्दोगान ने साल 2025 को परिवार का साल घोषित किया है। इसके तहत बच्चे के जन्म पर परिवार को आर्थिक मदद दी जाती है। इसके अलावा अन्य फैमिली इंसेटिव भी दिए जाते हैं।

दक्षिण कोरिया और जापान
साल 2024 के मुताबिक दक्षिण कोरिया हर साल 694 डॉलर हर महीने देता है। यह रकम बच्चे की एक साल की उम्र पूरी होने तक हर महीने दी जाती है। बच्चे का दूसरा साल शुरू होते ही यह रकम पांच गुना कर दी जाती है। वहीं, जापान भी इसी तरह की योजना चलाता है।

कम बच्चे क्यों पैदा कर रहे लोग
असल में इन देशों के लोग बच्चे कम पैदा कर रहे हैं। इसकी वजह है आर्थिक तंगी। खासतौर पर 2008 की मंदी के बाद से यहां पर हालात बहुत ज्यादा खराब हैं। तमाम लोगों ने कहा कि पैसों की तंगी के चलते ही वह लोग परिवार छोटे रख रहे हैं। यह सवाल 14 देशों के लोगों से एक सर्वे में पूछा गया था।

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