मध्‍यप्रदेश

ये घोषणा मप्र सरकार के लिए बन सकती है मुसीबत, किसान खड़ी कर सकते हैं बड़ी परेशानी!

भोपाल। एमएसपी (MSP) को लेकर कानून की मांग कर रहे किसानों का आंदोलन (farmers movement) लगातार जारी है। हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर किसानों और प्रशासन (farmers and administration) में टकराव देखने को मिला है। इसी बीच सरकार ने एक बार फिर से किसानों से वार्ता का प्रस्ताव रख दिया है। इससे शंभू बॉर्डर पर भी फिर शांति नजर आ रही है। लेकिन अब किसानों का ये आंदोलन मध्यप्रदेश में भी देखने को मिल सकता है। किसान सड़कों पर भाजपा की मोहन यादव सरकार के खिलाफ आंदोलन करते हुए नजर आ सकते हैं। आंदोलन के लिए किसानों ने बैठकों का दौर शुरू कर दिया है।

मध्यप्रदेश के युवा किसान नेता राहुल राज (Young farmer leader Rahul Raj) ने बताया कि मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने वादा किया था कि प्रदेश की सत्ता में फिर से काबिज होने पर 2700 रुपये गेहूं और 3100 रुपये में धान की खरीदी करेंगे। धान का सीजन निकल गया है। इधर, गेहूं का पंजीयन प्रदेश में शुरू हो गया है। लेकिन वह भी केंद्र सरकार की एमएसपी 2275 रुपये पर हो रहा है। कई बार किसान संगठन और नेता सरकार को अपने वादे की याद दिला चुके हैं, बावजूद इसके सरकार कोई निर्णय नहीं ले रही है। हम सरकार को महज गेहूं कटाई तक समय दे रहे हैं। जब तक सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया, तो हम प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतरेंगे।


राहुल राज का कहना है कि जिस तरह से पंजाब-हरियाणा के किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। अब उसी तर्ज पर मध्यप्रदेश के किसान भी प्रदर्शन करेंगे। क्योंकि आज सरकार उन्हीं से चर्चा कर रही है, जो सड़कों पर सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। अब हम भी यहीं तरीका अपनाएंगे ताकि सरकार मध्यप्रदेश के किसानों से भी चर्चा करें। एमपी के किसान बहुत ही शांत तरीके से सरकार से अपनी मांग रख रहे है, लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। पूरे प्रदेश में कैसे प्रदर्शन करना है, इसके लिए हर जिलों में बैठकों का दौर शुरू हो गया है। आने वाले दिनों में सभी जिलों के साथ राजधानी भोपाल में प्रदर्शन का प्लान तैयार हो गया है।

मध्यप्रदेश भाजपा के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा कि किसानों से 2700 रुपये गेहूं और 3100 रुपये में धान की खरीद का वादा भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में किया है। संकल्प पत्र पांच साल की अवधि के लिए होता है। हमारी सरकार को बने अभी 100 दिन भी पूरे नहीं हुए हैं, बावजूद इसके करीब 40 से ज्यादा संकल्प पूरे हो गए हैं। आने वाले दिनों में किसान भाइयों को किया गया ये वादा भी निश्चित पूरा हो जाएगा।

किसान नेता शिवकुमार शर्मा कक्काजी का कहना है कि बीते दिनों आंदोलन में शामिल होने निकले किसानों को सरकार ने जेलों में बंद कर दिया था। अब सभी किसान बाहर आ गए हैं। लेकिन अभी मध्यप्रदेश के किसानों के सामने यह समस्या है कि कहां जाएं। क्योंकि राजधानी दिल्ली तक किसानों का मार्च अभी तक पहुंचा नहीं है। जबकि शंभू बॉर्डर पर किसानों की आवाजाही पर पुलिस प्रशासन ने रोक लगा दी है।

सूत्रों के मुताबिक, दूसरी तरफ पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर बैठे किसानों की तरफ से भले सरकार का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया हो, लेकिन सरकार अभी भी बातचीत के लिए तैयार है। सूत्रों के मुताबिक, पिछली बैठक के दौरान सरकार की तरफ अरहर, उड़द और मसूर पर 100 फीसदी प्रोक्योरमेंट के लिए तैयार होने की बात भी कही गई थी और यह सरकार लिखित में भी देने को तैयार है। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक के दौरान सरकार की तरफ से कॉटन और मक्के पर भी MSP देने की हामी भरी गई। सरकार की तरफ से किसानों को कहा गया है कि किसानों को सुनिश्चित करना होगा कि वह फसल और जमीन की उर्वरकता पर भी ध्यान दे और क्रॉप डायवर्सिफिकेशन पर फोकस करें।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी की मांग को लेकर आठ दिनों से शंभू और खनौरी-दातासिंह वाला बॉर्डर पर डटे किसानों ने बुधवार सुबह दिल्ली कूच का प्रयास किया। जवाब में हरियाणा पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने आंसू गैस के गोले बरसाए और रबड़ की गोलियां भी चलाईं। दो किसान गोली लगने से जख्मी हो गए, जिनमें से बठिंडा के गांव बल्लोंके के युवा शुभकरण (23) की मौत हो गई, जबकि दूसरे किसान संगरूर के नवांगांव के प्रीत पाल सिंह को भी गंभीर चोट आई है। उसे रोहतक पीजीआई में भर्ती किया गया है।

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