नाम गुम जाएगा… चेहरा ये बदल जायेगा
मेरी आवाज़ ही पहचान है… गर याद रहे।
खालिस हिंदी या यूं कहिए कि हिंदुस्तानी ज़बान के ये पंच माहिरे फन हैं। एकदम साफ तलफ्फ़़ुज़ (उच्चारण), आवाज़ ऐसी कि कानो में खनकती सी लगे। आवाज़ के उतार चढ़ाव, सब्जेक्ट के भाव के मुताबिक़ बेस का इनसे बेहतर इल्म किसे हो सकता है। हम बात कर रहे हैं आकाशवाणी भोपाल से बावस्ता और अपनी आप मिसाल 6 अनाउंसरों की। इनमे से एक राजुरकर राज 36 बरस की मुलाज़मत के बाद सुबुकदोश (रिटायर) हो चुके हैं। संजीव मालवीय साब का ताबदला इंदौर के मालवा हाउस स्थित आकाशवाणी केंद में हो गया है। बाकी के अनाउंसर हैं डॉ. अरविंद सोनी, पुरुषोत्तम श्रीवास, अनिल मुंशी और अमिता त्रिवेदी। इन सभी का शुमार एयर के सीनियर अनाउंसरों में होता है। इनमे से कुछ ने आकाशवाणी के स्पूल वाले टेप और ईपी/एलपी रिकॉर्ड वाले दौर से अपने काम की इब्तिदा करी थी। इन सभी का सफर तस्करीबन 30 बरसों से ज़्यादा का हो चुका है।
आज के डिजिटल ट्रांसमिशन के दौर में भी ये बंदे अपनी नायाब आवाज़ से लोगों को मुतास्सिर करने का हुनर रखते हैं। ये दौर भले ही एफएम रेडियो पे हिंग्लिश नुमा शब्दावली या कान्वेंटी तरबियत वाली किसी हद तक नकली आवाज़ का हो, बाकी आकाशवाणी के अनाउंसरों की आवाज़ की तालिमो तरबियत की बात ही अलग है। पहले भोपाल आकाशवाणी और और इसकी विज्ञापन प्रसारण सेवा विविध भारती की ब्रॉडकास्टिंग अलग अलग थी। दोनों के अनाउंसर अलग होते थे। अब ये सेवाएं एक हो गई हैं। लिहाज़ा ये लोग यहां चिंतन और मानसगान के अलावा लोकल वेरिएशन के प्रोग्राम भी पेश करते हैं। इन दोस्तों ने हीरोज़ ऑफ एयर भोपाल नाम से एक वाट्ससप ग्रुप बनाया हुआ है। ये लोग आकाशवाणी के पंच नाम से जाने जाते हैं। अपने काम को और बेहतर करने की मंशा से ये लोग आपस मे मिलने और गपियाने का वक्त भी निकाल लेते हैं। इसके लिए आकाशवाणी की केंटीन के अलावा कभी विंड एंड वेव्ज तो कभी अप्सरा रेस्टोरेंट में खानपान के साथ खेर खैरियत भी मिल जाती है। गुजिश्ता दिनों पुरुषोत्तम श्रीवास साब ने अपने ग्रुप के साथी इंदौर के अनाउंसर संजीव मालवीय को भोपाल बुला लिया। सभी ने भोपाल केंद में कुछ वक्त साथ बिताया। इनमे अरविंद सोनी गाने बजाने, सुगम संगीत और तबले का शौक़ भी रखते हैं। पुरुषोत्तम श्रीवास ने भारतीय सिनेमा के 100 साल पे बहुत उम्दा काम किया है। इन्हें भोपाल गैस कांड पे जानदार प्रोग्राम बनाने के लिए अवार्ड मिल चुका है। राजुरकर राज साब दुष्यंत संग्रहालय के लिए पूरे मुल्क में जाने जाते हैं। अनिल मुंशी को आकाशवाणी में लाइव प्रोग्राम का माहिर माना जाता है। अमिता त्रिवेदी महिलाओं और उनके अधिकारों पे उम्दा कार्यक्रम बनाती हैं। आवाज़ की दुनिया के इन जादूगरों का ये याराना यूं ही बना रहे और इनकी बेलौस दोस्ती दूसरों को इबरत (प्रेरणा) देती रहे सूरमा येई दुआ करता है।
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