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कभी तुलगक सेना का गढ़ था औरंगाबाद का यह किला, अब इसका नाम बदलेगी शिंदे सरकार!

औरंगाबाद। भारत (India) में शहरों के नाम बदलने (renaming cities) की परंपरा पुरानी है। मुगल काल (Mughal period) में कई शहरों के नाम बदले गए और उसके बाद अंग्रेजों ने, फिर कई सरकारों ने जगहों के नाम बदले हैं। अब महाराष्ट्र (Maharashtra) की शिंदे सरकार (Shinde Government) एक फिर नाम बदलने को लेकर खबरों में है। राज्य के पर्यटन मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा (Minister Mangal Prabhat Lodha) ने शनिवार को कहा कि महाराष्ट्र पर्यटन विभाग औरंगाबाद शहर के पास स्थित दौलताबाद किले का नाम बदलकर उसके पुराने नाम ‘देवगिरी’ करने का प्रस्ताव पेश करेगा।

दौलताबाद किले के परिसर में स्थित भारत माता मंदिर (Bharat Mata Mandir) में शनिवार को ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ मनाने के लिए एक समारोह का आयोजन किया गया था, इस समारोह में लोढ़ा ने तिरंगा फहराया। लोढ़ा ने संवाददाताओं से कहा, “किले को दौलताबाद उर्फ देवगिरी के नाम से जाना जाता है। इसे अभी भी दौलताबाद किले के नाम से जाना जाता है। राज्य पर्यटन विभाग इसका नाम बदलकर देवगिरी किले के रूप में करने का प्रस्ताव पेश करेगा।” उन्होंने कहा कि “हैदराबाद मुक्ति संग्राम दिवस के मौके पर पहली बार तिरंगा फहराया गया है और अब हर साल झंडा फहराया जाएगा।”


इतिहासकारों के अनुसार, 14वीं शताब्दी में मोहम्मद तुगलक द्वारा किले का नाम बदलकर दौलताबाद कर दिया गया था। यह किला 1187 में यादव वंश द्वारा बनवाया गया था और इसे देवगिरी के नाम से जाना जाता था। जब मुहम्मद तुगलक ने दिल्ली के सिंहासन पर कब्जा किया, तो वह इस किले से इतना प्रभावित हुआ कि उसने अपना दरबार और राजधानी यहां स्थानांतरित करने का फैसला किया और इसका नाम बदलकर दौलताबाद ‘भाग्य का शहर’ कर दिया। उसने दिल्ली की पूरी आबादी को सामूहिक रूप से नई राजधानी में जाने का आदेश दिया था। हालांकि, बाद में किले को कुब्बतुल इस्लाम के नाम से जाना जाने लगा और इस नाम से सिक्के ढाले गए।

औरंगाबाद शहर से लगभग 14 किलोमीटर दूर स्थित यह किला एक राष्ट्रीय विरासत स्मारक है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इसकी देखरेख की जाती है। बता दें कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पिछली महाराष्ट्र सरकार ने औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने का प्रस्ताव दिया था। मौजूदा एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार ने औरंगाबाद के नए नाम में ‘छत्रपति’ जोड़ा।

बता दें कि सितंबर 1948 में, भारतीय सशस्त्र बलों ने हैदराबाद की निजाम शासित रियासत पर आक्रमण किया था और इसे भारतीय संघ में मिला लिया था। इस विलय को ‘हैदराबाद मुक्ति संग्राम’ दिवस के रूप में मनाया जाता है। महाराष्ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र भी तत्कालीन हैदराबाद रियासत का हिस्सा था। देश के पहले केंद्रीय गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने 17 सितंबर 1948 को हैदराबाद में तिरंगा फहराया था। इसलिए इस दिन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया।

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