ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

तारीफ के बुलाया, लेकिन व्यापारियों ने ही कर दी सरकार की बुराई
रविवार को भाजपा के व्यापारी प्रकोष्ठ के सम्मेलन में 25 हजार व्यापारियों को निमंत्रण देने का दावा किया था, लेकिन दो से ढाई हजार व्यापारी भी पूरे नहीं आए। कार्यक्रम में सांसद शंकर लालवानी, विधायक मालिनी गौड़, संगठन प्रभारी तेजबहादुरसिंह, नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे भी पहुंचे थे जो भीड़ के दावे को देखकर नाराज दिखाई दिए। प्रकोष्ठ के संयोजक धीरज खंडलेवाल ने अपनी ही सरकार और नेताओं की तारीफ करने का मौका नहीं चूंका, लेकिन जब अहिल्या चेम्बर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल की बारी आई तो उन्होंने हकीकत बयां कर दी और कह कि जब से जीएसटी लागू हुआ है, तब से व्यापारी परेशान हैं। भाजपा व्यापारियों की पार्टी कही जाती है, लेकिन अफसरशाही हावी है और कतिपय कुछ व्यापारियों के कारण सभी व्यापारियों को चोर की नजर से देखा जाता है। इस पर कुछ होना चाहिए। खंडेलवाल ने जैसे ही जय जवान, जय किसान की तरह जय व्यापारी का नारा देने की बात कही तो व्यापारियों ने जोरदार ताली बजाकर उनका समर्थन किया।
फेल हो गया अखिलेश यादव का दौरा
अखिलेश जिस हिसाब से इंदौर और महू आए थे, उस मकसद में वे नाकामयाब रहे। भले ही उन्हें अपनी पार्टी के नेताओं ने घेरे रखा, लेकिन वे चुनावी तैयारियों को लेकर ज्यादा कुछ बात नहीं कर पाए। उन पर गैंगस्टर अतीक वाला मामला भी हावी ही नजर आया। अब हिसाब-किताब लगाया जा रहा है कि अखिलेश का दौरा फीका क्यों पड़ा? दरअसल कुछ नेताओं को ही तवज्जो देने के चक्कर में अखिलेश कार्यकर्ताओं को दूर रखा गया और यहां सपा का प्रदेश संगठन भी कुछ नहीं कर पाया।


कांग्रेस नेता का अनूठा जन्मदिन
एक कांग्रेस नेता ने पिछले दिनों पुलिस कमिश्नर ऑफिस के कॉफी हाउस में अपना जन्मदिन मनाया। वहां एक ओर काले गुब्बारे लगाए गए थे तो दूसरी ओर तिरंगे गुब्बारे। किसी ने सवाल पूछ लिया कि ये काले गुब्बारे क्यों? उन्होंने कह डाला कि शिवराज सरकार ने ही बेरोगजार युवाओं का ब्लेक प्रदेश बनाया है, इसलिए काले गुब्बारे और दूसरी तरफ के गुब्बारों को देखकर वे बोल उठे कि वहां लिखा है पढ़ लो। वहां लिखा था ‘सबके सपने होंगे साकार, आ रही है कमलनाथ सरकार।’
कोई नहीं मिला तो साथियों को ही बना डाला
भाजपा अपने संगठन की मजबूती का दावा तो करती है, लेकिन निचले स्तर पर स्थानीय नेता गड़बड़ी कर देते हंै और सारे किए-कराए पर पानी फिर जाता है। कई तो अपने वालों को संगठन में पदों पर उपकृत करने से बाज नहीं आते। वार्ड 47 में रहने वाले भाजपा नेता अमित शुक्ला को पार्टी ने अंत्योदय प्रकोष्ठ का संयोजक बनाया। 13 अप्रैल को उन्होंने अपनी कार्यकारियणी बनाई तो उसमें एक ही वार्ड के अधिकांश नेताओं को ले लिया। उन्होंने अपने ही वार्ड के पुराने भाजपाई सतीश देवांग, विनित सेन को सहसंयोजक बनाया तो भीमसिंह कटारिया और कमलेश मीणा को प्रकोष्ठ में सदस्य बना डाला, जबकि शहर में 85 वार्ड है और इसमें सभी क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व देना था, लेकिन कोई मिला नहीं तो एक ही वार्ड से 4-4 लोगों को ले लिया। बताया जा रहा है कि इसमें से एक सदस्य का तो आपराधिक रिकार्ड भी रहा है।


जन्मदिन पर करते रहे गुणगान
ताई के 80वें जन्मदिन पर उनके चाहने वाले राजबाड़ा पर इकट्ठा हुए, लेकिन नजदीकियों को इतनी जानकारी नहीं थी कि ताई ने शहर को क्या-क्या दिया। वो अपने व्यक्तिगत अनुभव सुनाने लगे। प्रकाश पारवानी ने कह दिया कि किस तरह से ताई ने उन्हें दूसरी बार सांसद प्रतिनिधि बनाया तो सुधीर देडग़े यह कहने से नहीं चूंके कि मेरे टिकट के लिए ताई ने कह दिया था कि सुधीर का टिकट जब तक नहीं होगा, तब तक सूची जारी नहीं होगी। एक महिला ने कहा कि मेरे बच्चों के स्कूल एडमिशन में वे अड़ गई। शहर में ताई के योगदान को लेकर कई बातें कहीं जा सकती थीं, लेकिन उनके समर्थक ताई की महिमा मंडित करने का मौका नहीं चूंके। वहीं एक महिला पार्षद ने जन्मदिन की बधाई देने के लिए ऐसी राग छेड़ी कि दूसरे हंसे बिना नहीं रह सके।
मिलिंद और मंदार हुए सक्रिय
आमतौर पर ताई जन्मदिन नहीं मनाती है, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में उनके नजदीकियों ने राजबाड़ा पर मजमा सजाया। इसमें ताई के दोनों
पुत्र मिलिंद और मंदार नजर आए। कार्यक्रम में दोनों की उपस्थिति चौंकाने वाली रही है। कहा जा रहा है कि ताई जल्द ही उत्तराधिकारी के रूप में अपने एक बेटे को सक्रिय राजनीति में उतारने वाली है।


ये वो वाले गोविंदसिंह नहीं है मंडल अध्यक्षजी
नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह द्वारा रानी कमलापती पर दिए गए बयान को लेकर भाजपा ने ताबड़तोड़ सिंह का पुतला जलाने की घोषणा कर दी और सभी मंडल अध्यक्षों को फोन पर निर्देश भी जारी हो गए। जब कनाडिय़ा रोड के एक मंडल में पुतला जलाया और मंडल अध्यक्ष दीपेश पालविया को भाषण देने का मौका मिला तो उन्होंने अपनी ही पार्टी के मंत्री गोविंदसिंह राजपूत को भला-बुरा कहना शुरू कर दिया। इस पर वहां खड़े राजा कोठारी ने उन्हें टोंका और कहा कि राजपूत तो अपनी पार्टी के हैं। बयान तो कांग्रेस के गोविंदसिंह ने दिया है। तब जाकर मंडल अध्यक्ष को अपनी गलती का अहसास हुआ, लेकिन तब तक देर हो गई थी और उनकी अज्ञानता पर भाजपाई हंस रहे थे।

इंदौर में लगातार हो रही राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर विधानसभा चुनाव के दावेदारों ने भी अपनी दौड़ भोपाल तक लगाना शुरू कर दी है। किसी को आईडीए में आना है तो किसी को निगम-मंडल में, लेकिन हो वही रहा है, जिससे भाजपा डर रही है और जिससे आने वाले चुनाव में खतरा हो सकता है। अब दूसरे भाजपाई कह रहे हैं कि अगर ऐसा हैं तो हमें भी अपना रंग-ढंग बदलना पड़ेगा, तभी पार्टी हमारी ओर देखेगी। इनमें ऐसा नेता भी शामिल हैं जो मलाईदार पदों पर रह चुके हंै। -संजीव मालवीय

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