ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

टिकट घोषित नहीं और कार्यालय खुल गया
नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने परदेशीपुरा में अपना चुनावी कार्यालय खोल लिया है। चौकसे का दो नंबर विधानसभा से टिकट तो तय है, लेकिन उसकी घोषणा नहीं की गई है। सबको मालूम है कि दो नंबर से केवल कांग्रेस को औपचारिकता के लिए चुनाव लडऩा है, लेकिन चिंटू जिस तरह से किला लड़ा रहे हैं, उससे उन्हें लगने लगा है कि वे भाजपा को कड़ा जवाब देंगे, जबकि दबी जुबान में कांग्रेसी कह रहे हैं कि यहां अच्छे-अच्छे नहीं टिके तो चिंटू की क्या बिसात? फिर भी चिंटू के चेहरे पर जो भाव है वो बदल नहीं रहे हैं। चिंटू का साथ कितने फूलछाप कांग्रेसी देंगे यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन कार्यालय से चुनावी गतिविधियां शुरू हो गई हैं। चिंटू को अपना नाम पहली सूची में ही आने की उम्मीद हैं। वे सबसे कह रहे हैं कि राजा साब और कमलनाथ ने तो उन्हें कब की हरी झंडी दे रखी है।


गौरव के समर्थक बढ़वा रहे नंबर
चुनावी साल है और हर कोई अपने नंबर बढ़वाने में लगा हुआ है। एक मीडिया द्वारा करवाए जा रहे ऑनलाइन सर्वे में अपने नेता गौरव रणदिवे के नंबर बढ़वाने के लिए उनके समर्थक लोगों को मैसेज भेज रहे हैं। मैसेज में गौरव को लाइक करने की बात कही जा रही है। गौरव की निगाह पांच नंबर विधानसभा सीट पर है और उन्हें लग रहा है कि वे आसान तरीके से टिकट ले आएंगे, लेकिन अभी पार्टी जिस तरह से अप्रत्याशित फैसले ले रही हैं, उससे लग रहा है कि वर्तमान विधायक हार्डिया को एक मौका और मिलेगा।

पैरो में घूंघरू बांध लगा रहे दो नंबर के फेरे
कांग्रेस से भाजपा में आए एक नेता को भी विधानसभा चुनाव लडऩे की सवारी आ रही है। पुराने कांग्रेसियों के हाल से अंजान नेताजी अपने पैरों में उम्मीदवारी के घूंघरू बांधकर घूम रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि जिसने उनको भाजपा में आने का सहारा दिया है और जिनके हाथ के नीचे वे चल रहे हैं, वे ही उन्हें टिकट दिला देंगे। मुस्लिम वोटों को साधने का दावा करने वाले नेताजी पर हमेशा से फूलछाप होने के आरोप लगते रहे तो उन्होंने भी अपने आपको जाहिर तौर पर कमल की छत्रछाया में लाने में ही अपनी भलाई समझी।

उनके गले में हार और इनके दिलों पर लौटा सांप
जो लोग सोच रहे थे कि इस बार भाजपा किसी भी हालत में राऊ से मधु वर्मा को मौका नहीं देगी, उनके मुगालतों पर पानी फिर गया है। जिस तरह से पहली सूची आई है, उससे तो लग रहा है कि पुराने नेताओं को पार्टी भूलेगी नहीं। हालांकि चुनाव में बहुत ही कम वोटों से हुई हार-जीत को भी इससे जोडक़र देखा जा रहा है। राऊ विधानसभा एक ऐसी सीट थी, जिस पर आधा दर्जन से अधिक दावेदार थे। कोई नेतापुत्र था तो कोई पदाधिकारी और हर किसी को लग रहा था कि इस बार मधु नहीं, कोई नया नाम ही इस सीट पर आएगा। कइयों ने तो सेहरा तक सजा लिया था, लेकिन अब उनके पास हाथ मलने के सिवा कुछ नहीं बचा है। इसमें से तो कुछ वर्मा का टिकट होने के बाद उनके घर पहुंच गए और साथ ही खड़े रहे, ताकि बताया जा सके कि वे उनके साथ हैं, लेकिन एक-एक हार जो मधु वर्मा के गले में पड़ रहा था, वह उनके दिल पर सांप की तरह लौट रहा था।


पीए साब की किरकिरी कर दी नेताओं के सामने
भाजपा के एक उम्मीदवार के पीए कह लो या मित्र। सांये की तरह अपने नेता के साथ रहने वाले पीए साब की शिकायत कर कुछ लोगों ने किरकिरी कर दी। हुआ यूं कि उम्मीदार बने नेताजी तो लोगों से स्वागत-सत्कार कराने में व्यस्त थे, तभी लोगों ने सबके सामने कह दिया कि इस बार इनको साथ में नहीं रखना, नहीं तो फिर यहां से भी हारकर लौटोगे। यह देख दूसरे भाजपा नेता अचंभे में रह गए और वे नेता भी, जो उस विधानसभा से नेताजी का स्वागत करने आए थे, जहां से उन्हें टिकट मिला है।

पता ही नहीं चला और विरोध हो गया
विपक्ष को कुछ न कुछ पक्ष के खिलाफ करना है सो कांग्रेसी पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन देने पहुंच गए। कांग्रेसियों को मालूम था कि आज डीजीपी शहर में हैं और ये मौका अच्छा है। कोई और पुलिस की कार्रवाई का श्रेय लें, उसके पहले हम विपक्ष का धर्म निभा दें। जल्दबाजी में कई वरिष्ठ नेताओं को सूचना नहीं दे पाए तो उन्होंने अपनी भड़ास गांधीभवन से जुड़े नेताओं पर निकाल दी।


परदे के पीछे कोई और ही है खेल रचने वाला
5 नंबर के विधायक महैन्द्र हार्डिया के बारे में एक बात जगप्रसिद्ध है कि वे भोले-भंडारी हैं और कभी किसी पचड़े में नहीं पड़ते। हालांकि उम्र के कई दशक बाबा राजनीति में गुजार चुके हैं और अब जो उनके इलाके में चल रहा है, उसको लेकर वे जरा-भी विचलित नहीं हो रहे हैं। विरोध की बात कहो तो वे कहते हैं कि सबको अपनी बात कहने का अधिकार है। दरअसल बाबा को वे ही लोग बाहरी बता रहे हैं जो कभी उनकी गाड़ी में पिछली सीट पर बैठा करते थे। सूत्रों का कहना है कि जो लोग विरोध की बैठकों में शामिल हो रहे हैं तो वे तो केवल मोहरे हैं, असल खेल तो कहीं ओर से ही खेला जा रहा है और परदे के पीछे से इसका निर्देशन एक बड़े नेता कर रहे हैं, ताकि माहौल बने और उनके टिकट का रास्ता क्लीयर हो।

सुरजीतसिंह चड्ढा भले ही शहर कांग्रेस का अध्यक्ष पद तीन दावेदारों के बीच से निकालकर ले आए हो, लेकिन जिस स्पीड से उन्हें काम करना है वह दिखाई नहीं दे रही है। कारण उनके साथ मुंह दिखाने को तो सब खड़े हैं, लेकिन फील्ड में नहीं। उनके आने के बाद गांधी भवन में बाकलीवाल के समर्थक गायब हो गए हैं और उनके दो-चार समर्थकों ने आना शुरू कर दिया है, लेकिन निष्क्रिय पड़ी शहर कांग्रेस में जिस तरह की कसावट और सक्रियता दिखना चाहिए, वह अभी तक नजर नहीं आई है, जबकि ये महीने चुनाव की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। -संजीव मालवीय

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