ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

समीक्षा धरी रह गई एमआईसी सदस्यों की
झोन की संख्या बढऩे के पहले महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने सभी 18 झोन की समीक्षा एमआईसी सदस्यों से करवाई थी। इसके आधार पर यह पता किया गया था कि किस वार्ड में क्या समस्या है और उनका निराकरण कैसे होगा? उस वार्ड में नगर निगम के कितने काम लंबित है? लेकिन अब अब झोन की संख्या बढऩे और 22 जोन में नए वार्डों का बंटवारा होने के बाद एमआईसी सदस्य पूछ रहे हैं कि उनकी समीक्षा रिपोर्ट का क्या होगा, क्योंकि कई वार्ड इधर से उधर हो गए हैं। ऐसे में फिर से समीक्षा करना होगी जो अब संभव नहीं दिखती।


पुराने पहलवानों को भी खुश करने में लगे
महापौर केसरी दंगल का यह दूसरा साल है। चूंकि सामान्य प्रशासन समिति के अध्यक्ष नंदू पहाडिय़ा भी पहलवान परिवार से आते हैं। इसलिए वे इसमें ज्यादा रुचि ले रहे हैं। नए पहलवानों की फ़ौज में कुछ पुराने कह रहे हैं कि उन्हें सम्मान नहीं मिल पा रहा है। आयोजन कुछ खास पहलवानों के बीच सिमट जाने के कारण वे अपनी उपेक्षा महसूस कर रहे हैं। इनमें कांग्रेस से जुड़े कुछ पहलवान भी शामिल हैं। पहाडिय़ा के कांनों तक खबर पहुंची तो उन्होंने कुश्ती में सामंजस्य बनाने के लिए अब पुराने पहलवानों का सम्मान करने का भी निर्णय लिया है और इसके लिए कल एक समिति भी बना दी है।
भाजपा में अब नई
भर्ती पर जोर
भाजपा अपने एक नए फंडे पर काम कर रही है, जिसकी कुछ नेताओं को जवाबदारी दी है। ये नए सदस्य समाज के उस वर्ग से हैं जो आम आदमी को प्रभावित करते हैं। इनमें रिटायर्ड अधिकारियों की संख्या ज्यादा है जो किसी बड़े विभाग में रहे हैं और अब सामाजिक गतिविधियों में संलग्र हैं। ऐसे लोगों से भाजपा के नेता बात कर रहे हैं कि वे भाजपा की सदस्यता ले लें। वैसे कई अधिकारी मान भी जाते हैं। कल भोपाल में भी एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं वे भाजपा में शामिल हुए। अब इसी तरह का काम हर जिले में किया जा रहा है।

सराफा चौपाटी की रिपोर्ट बनी गले की फांस
सराफा चौपाटी को लेकर जो रिपोर्ट बनाई गई है, उसमें यहां की स्थिति तो खतरनाक मानी गई है, लेकिन इसे लागू करना और बरसो पुरानी चौपाटी को हटाना, यानी बैठे-बिठाए विपक्ष के हाथ में मुद्दा देना। विपक्ष उसे भुनाने पहुंच भी गया है। बहरहाल जांच समिति बनी है और रिपोर्ट पेश हुई है तो कुछ न कुछ तो होगा ही। यहां दुकान लगाने वाले अधिकांश भाजपाई हंै और यह जिस क्षेत्र में आता है उनकी कृपा भी इन ठेले वालों को प्राप्त है। अब महापौर के सामने चैलेंज हैं कि वे यहां की चौपाटी को हटा पाते है ना नहीं। वैसे कुछ दिनों से इस रिपोर्ट पर बात नहीं हो रही है। इसके भी कई मायने निकाले जा रहे हैं।


वार्ड में शुरू हुआ गुटबाजी का वॉर
इंदौर की 3 नंबर विधानसभा के एक वार्ड में जिस तरह की गुटबाजी अब सामने आ रही है, उसकी जानकारी संगठन तक भी पहुंची है। जिस कार्यक्रम की जानकारी देने के लिए निगम अधिकारी ने एक गुट के कार्यकर्ताओं को मना कर दिया गया था, वहीं दूसरा गुट मंच पर था, जिसकी सोशल मीडिया पर तस्वीरें वायरल होती रही और बताया जाता रहा कि कुछ लोग क्षेत्रीय विधायक को भ्रमित कर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने में लगे हैं। वैसे इससे किसी नेता का भला तो नहीं हुआ, लेकिन वार्ड की गुटबाजी सामने आ गई। खबर तो यह है कि एक-दूसरे को निपटाने का खेल कुछ पुराने लोग यहां खेल रहे हैं, जिस पर लगाम की जरूरत है।
अध्यक्ष बनने के बाद भी नहीं गया मीडिया प्रेम
जीतू पटवारी का मीडिया फ्रेंडली होना मीडिया के लिए फायदेमंद तो है ही। जब वे विधायक हुआ करते थे तो कुछ ना कुछ मुद्दों को लेकर हर दिन मीडिया में सुर्खियां बंटोर जाते थे अभी भी उनकी यही आदत है। प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उनका मीडिया प्रेम नहीं गया है। सुबह-सुबह कुछ ना कुछ बयान सरकार के खिलाफ तो जारी कर ही देते हैं जबकि यह काम नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का है। फिर भी पटवारी को अपनी सक्रियता बताना है। अभी तो वे राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में लगे हैं जो उनके लिए अग्नि परीक्षा साबित होने वाला है। वैसे पटवारी को अपनी टीम भी सक्रिय करना होगी , नहीं तो अकेला चना कब तक भाड़ फोड़ेगा?

राहुल को मुंह दिखाकर आ गए इंदौरी नेता
राहुल गांधी की यात्रा ने मुरैना से जैसे ही प्रदेश में प्रवेश किया, कई इंदौरी नेता भी वहां पहुंच गए। इनमें से कई तो राहुल गांधी को केवल मुंह दिखाने गए थे और यह बताने कि वे भी प्रदेश में कांग्रेस के लिए किला लड़ा रहे हैं। जीतू पटवारी ने सबको मिलवाया भी, लेकिन वे कल नदारद नजर आए। इनमें पूर्व विधायक भी शामिल थे। हालांकि बहाना बनाया गया कि पार्टी ने उन्हें दूसरी जवाबदारी दी है, इसलिए वे अपने जिलों में लौट आए हैं। वैसे खबर तो यह भी है कि पहले दिन कमलनाथ गांधी के साथ जीप पर सवार थे, लेकिन कल दिग्गी वहां सर्वेसर्वा रहे। पटवारी भी समझ रहे हैं कि लोकसभा चुनाव तक इन दोनों के पीछे रहने में ही भलाई है।


खबर तो यह है कि इंदौर की लोकसभा सीट से टिकट का दावा करने वाली एक महिला नेत्री ने दिल्ली में भी अपना घर बना रखा है और घर भी भाजपा कार्यालय के पास ही है। मेडम गाहे-बगाहे बड़े नेताओं से मेल-मुलाकात कर लेती है। वैसे मेडम का नाम लोकसभा उम्मीदवार के रूप में कुछ ज्यादा ही उछल रहा है और कई इंदौरी नेताओं ने तो उनसे संपर्क करना भी शुरू कर दिया है। अब देखते हैं अगली लिस्ट में उनका नाम आता है या नहीं? -संजीव मालवीय

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