ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

अपने ही प्रभारी को नहीं जानते भाजपा नेता
भाजपा की प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में देवगुराडिय़ा से लेकर क्रिसेन्ट पार्क तक जो होर्डिंग्स और पोस्टर लगाए गए थे, उनमें प्रदेश प्रभारी के. मुरलीधर राव के फोटो के आगे कहीं बिस्वेस्वर टुडू का नाम लिख दिया गया तो कहीं राव को राय बना दिया गया। अगर ये होर्डिंग्स या पोस्टर कोई आम फ्लैक्स वाला बनाता तो चल जाता, लेकिन ये होर्डिंग्स भाजपा नेता की दुकान पर ही तैयार हुए थे। वैसे बड़े काम का ठेका इन्हीं नेताजी को मिलता है। सवाल उठ रहा है कि बरसों से भाजपा की नेतागीरी करने वाले इन नेताजी को अपने प्रदेश प्रभारी का नाम तक याद नहीं। हालांकि सफाई दी जा रही है कि कुछ होर्डिंग्स फट गए थे, जिन्हें जल्दबाजी में बनाकर लगाया गया, इसलिए गलती हो गई। सवाल तो यह है कि होर्डिंग्स नए थे, लेकिन उसमें लिखा मैटर तो पुराना था।
अंदर जाने का मौका नहीं मिला….
प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में शहर के बड़े भाजपा नेताओं को अंदर जाने का मौका नहीं मिला, लेकिन नेताओं ने अपनी इच्छा बाहर ही पूरी कर ली। कई नेता एयरपोर्ट पहुंच गए और बड़े नेताओं के आगे-पीछे घूमते रहे। प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव को तो कई नेताओं ने छोड़ा तक नहीं, क्योंकि आगामी चुनाव में टिकट देने में उनकी ही भूमिका रहेगी। साथ ही पंकजा मुंडे को भी दावेदारों ने घेरे रखा। इनमें महापौर के दावेदार भी थे। पंकजा को इंदौरी पोहे-जलेबी भी चखा दिए। अब चाशनी किसके ऊपर टपकेगी, ये तो संगठन ही तय करेगा।


शंकर के गण बन गए ताई के समर्थक
जिधर दम…उधर हम…राजनीति में यह बात हर मौके पर सच साबित होती रही है और नेता भी उधर ही रहते हैं, जिधर दम रहता है। सांसद शंकर लालवानी को सर्वे में नंबर वन सांसद का खिताब क्या मिला, ताई के साथ रहने वालों ने एक सम्मान समारोह रख लिया और उसमें शंकर को बुलाकर उनका स्वागत कर बताया गया कि हम आपके साथ हैं। इनमें सब वे ही थे, जिनकी राजनीति और समाजसेवा पहले ताई के ईर्द-गिर्द ही होती रही है। अब जिन लोगों को फिर टिकट चाहिए, उन्हें शंकर की परिक्रमा करना पड़ रही है।
चार नंबर में हो सकती है बड़ी घटना
जिस तरह से चार नंबर विधानसभा में भाजपा के दो गुटों में तनातनी चल रही है, उससे लग रहा है कि यहां कभी भी कुछ बड़ा हो सकता है। वर्चस्व की लड़ाई में दो बड़े नेताओं के समर्थक आपस में लडऩे का मौका ढूंढते ही रहते हैं। अभी कुछ दिनों पहले मंत्रीजी के रिश्तेदार से भिड़ंत हो गई। आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ। ये बात ठंडी होती उसके पहले ही फिर दो गुटों में भिड़ंत हो गई और उसमें नाम फिर मंडल अध्यक्ष का नाम आ रहा है। मंडल अध्यक्ष के पीछे कुछ कांग्रेसी भी लग गए हैं। पुलिस भी परेशान है कि बार-बार थाने तक आने वाले विवादों को कैसे सुलझाएं?
अधिकारियों के दौरे में छुटभैये नेता
पिछले दिनों वार्ड क्रमांक 65 में निगम अधिकारियों ने दौरा किया। इस दौरान कुछ छुटभैये नेता भी अधिकारियों के साथ थे। साब लोगों के साथ वे ऐसे निर्देश दे रहे थे, जैसे ये यहां के जनप्रतिनिधि बन गए हों या फिर बड़े नेता हों। वहीं उन्होंने स्वच्छताकर्मियों को भी धमकीभरे लहजे में सोशल मीडिया पर आदेश दे डाले। इसकी जानकारी जब कांग्रेसियों को लगी तो उन्होंने इस पर आपत्ति ली और कहा कि अगर भाजपा के ऐसे छुटभैये नेता आदेश देने लग जाएंगे तो अधिकारी क्या करेंगे? वैसे कांग्रेसियों ने निगमायुक्त से इस संबंध में शिकायत करने की बात भी कही है।


जूते पहनकर चढ़ बैठे बिस्तरों पर
शहर में भिक्षुकों को बाहर करने के मामले में कांग्रेस ने राजनीतिक पैतरेंबाजी की। युवक कांग्रेस के रमीज खान और नेता प्रतिपक्ष फौजिया अलीम विधायक संजय शुक्ला को लेकर एमवाय अस्पताल के पीछे रैन बसेरे में पहुंच गए। भिक्षुकों से जब नेता बात करने लगे तो उत्साही कांग्रेसी फोटो खिंचवाने के चक्कर में भिक्षुकों के पलंग पर जूते पहनकर चढ़ बैठे। इनमें नए-नए युवा नेताओं की संख्या ज्यादा थी। जूते से बिस्तरों पर कितना संक्रमण फैला, इससे नेताओं को कोई मतलब नहीं। उन्होंने तो अपनी नेतागीरी चमकाना थी और वे चमका आए।
दिग्गी के साथ भाजपा नेता का फोटो वायरल
सोशल मीडिया पर इन दिनों भाजपा के एक नेता का फोटो वायरल हो रहा है। ये नेता 1 नंबर विधानसभा के हैं और पार्षद के साथ एमआईसी मेम्बर रह चुके हंै। अब उस फोटो की बात करें कि फोटो वायरल क्यों हो रहा है? तो बता दें कि ये फोटो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह के साथ है। फोटो में देखकर लग रहा है कि नेताजी की दिग्विजयसिंह से नजदीकियां कुछ ज्यादा हैं। वैसे नेताजी पार्षद के टिकट की दौड़ में हैं, लेकिन ये फोटो उन लोगों के लिए काम कर रहा है जो नेताजी को अब पार्षद बनते नहीं देखना चाह रहे हंै। वैसे नेताजी जिसके बल पर टिकट मांग रहे हैं, उनकी नेता भी अब शहर से बाहर हो गई हैं।

 

सबसे बड़ी पार्टी भाजपा में इंदौर में कई बड़े नेता हैं और हर किसी का अपना रसूख है, लेकिन भाजपा की प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में किसी को काम करने का मौका नहीं दिया गया। बताया जा रहा है कि ऊपर से ही आदेश था कि स्थानीय स्तर पर कोई भी पदाधिकारी बैठक की व्यवस्थाओं में नहीं रहेगा। इसका पालन किया गया और बैठक स्थल पर गौरव रणदिवे और राजेश सोनकर के नजदीकी ही व्यवस्थाओं में नजर आए। जिनको जवाबदारी नहीं मिली, वे अब इसका कारण खोजने में लगे हैं कि शहर में इतने अनुभवी नेता और कार्यकर्ताओं के होने के बावजूद उन्हें बैठक से दूर क्यों रखा गया? -संजीव मालवीय

Share:

Next Post

6 फरवरी से कोरोना वैक्सीन का दूसरा चरण संभव

Mon Feb 1 , 2021
अब 3 फरवरी को स्वास्थ्यकर्मियों को मिलेगा आखिरी मौका… इसके बाद चिन्हित 28 हजार से अधिक सरकारी अमले को लगेंगे वैक्सीन इन्दौर। स्वास्थ्यकर्मियों के बाद अब दूसरे चरण में फ्रंट लाइन वर्कर को वैक्सीन लगाए जाएंगे, जिसकी शुरुआत 6 फरवरी से संभव है। इन्दौर में पुलिस, प्रशासन, नगर निगम सहित अन्य विभागों के अधिकारियों, कर्मचारियों […]