ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे


अब नेताओं को पं. मिश्रा का सहारा
इसी सप्ताह देपालपुर विधानसभा में सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा की शिवपुराण आयोजित की जा रही है। वैसे आयोजन चौबीस अवतार मंदिर में हो रहा है, लेकिन स्थानीय पूर्व विधायक रहने के नाते मनोज पटेल भी मुख्य कर्ताधर्ताओं में शामिल हैं। वैसे चिंटू वर्मा भी आयोजक हैं और इसे गैरराजनीतिक बताया जा रहा है, लेकिन जब आयोजक ही राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े हों तो आयोजन गैरराजनीतिक कैसे हो जाएगा? इसके पहले विधायक रमेश मेंदोला पं. मिश्रा की कथा करवा चुके हैं। वहीं जुलाई में पूर्व मंत्री जीतू पटवारी भी पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा का आयोजन कर रहे हंै। आयोजन की भव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा रहा है कि उनके भाई भरत पटवारी और पत्नी रेणुका पटवारी क्षेत्र में घूम-घूमकर रामचरित मानस की पुस्तक बांट रहे हैं और लोगों को कार्यक्रम में आने का निमंत्रण दे रही हैं, यानी चुनाव के पहले अब धर्म करके लोगों को लुभाने की तैयारी है।
अलीम की अपनी ढपली अपना राग
शेख अलीम को प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग की कुर्सी पर बैठने से रोकने के लिए उनके विरोधियों ने खूब कोशिशें की, लेकिन सफल नहीं हो सके। अब बारी अलीम की है। प्रदेश कांगे्रस अल्पसंख्यकों की कमान उनके हाथ में है और अब वे विरोधियों को एक-एक कर साइड में कर रहे हैं। इसका उदाहरण हाल ही में जिलों के प्रभारियों की सूची में देखा जा सकता है, जिसमें उनके समर्थकों को ही तवज्जो मिली है।


भाजपा कार्यालय में अब होटल जैसी सुविधा
दीनदयाल भवन के दूसरे माले पर बने कमरों का रेनोवेशन कर उन्हें होटल जैसा बना दिया है, ताकि बाहर से आने वाले बड़े नेता भी यहां ठहर सकें। पहले दौर में स्थानीय नेताओं के कार्यालय का जीर्णोद्धार किया गया था। यहां कई बड़े नेता भी रुक चुके हैं और व्यवस्थाओं की तारीफ कर चुके हैं। तर्क दिया जा रहा है कि अब नेताओं को बाहर होटलों में महंगा खर्च कर नहीं ठहराना पड़ेगा और कार्यालय में रुकेंगे तो कार्यकर्ताओं से संवाद भी हो जाएगा।
निगम के बेलदार को बचाने की कोशिश नाकाम
नगर निगम में बेलदार पद पर कार्यरत असलम खान पर छापा पड़ा था और बेलदार होते हुए भी वह मालदार निकला। इसके बाद कार्रवाई चल ही रही थी कि उसके बहाल होने की खबरें बाजार में आ गईं। दरअसल उक्त बेलदार ने शहर के एक वरिष्ठ भाजपा नेता, जिनकी इस समय प्रशासन में तूती बोल रही है, के माध्यम से निगम अधिकारियों पर दबाव बनाया और स्क्रिप्ट ऐसी बनाई गई कि जो अपराध उसने किया है, उसके कारण उसे नौकरी से हटाना नाइंसाफी होगी। आदेश जारी होते उसके पहले ही मामला मीडिया में आ गया और बहाली होने के पहले ही बात बाजार में आ गई। इस मामले में निगम अधिकारियों को स्पष्टीकरण देना पड़ा कि असलम पर दो मामले हैं और लोकायुक्त मामले में उसे किसी प्रकार की रियायत नहीं दी गई है। यहां दांव तो उलटा पड़ गया और नेताजी भी कह रहे हैं कि कोशिश तो की थी, लेकिन अब क्या करें?


निगम के बेलदार को बचाने की कोशिश नाकाम
नगर निगम में बेलदार पद पर कार्यरत असलम खान पर छापा पड़ा था और बेलदार होते हुए भी वह मालदार निकला। इसके बाद कार्रवाई चल ही रही थी कि उसके बहाल होने की खबरें बाजार में आ गईं। दरअसल उक्त बेलदार ने शहर के एक वरिष्ठ भाजपा नेता, जिनकी इस समय प्रशासन में तूती बोल रही है, के माध्यम से निगम अधिकारियों पर दबाव बनाया और स्क्रिप्ट ऐसी बनाई गई कि जो अपराध उसने किया है, उसके कारण उसे नौकरी से हटाना नाइंसाफी होगी। आदेश जारी होते उसके पहले ही मामला मीडिया में आ गया और बहाली होने के पहले ही बात बाजार में आ गई। इस मामले में निगम अधिकारियों को स्पष्टीकरण देना पड़ा कि असलम पर दो मामले हैं और लोकायुक्त मामले में उसे किसी प्रकार की रियायत नहीं दी गई है। यहां दांव तो उलटा पड़ गया और नेताजी भी कह रहे हैं कि कोशिश तो की थी, लेकिन अब क्या करें?
राजनीति वाले सांप भी पकड़ते हो क्या?
राजभाषा क्रियान्वयन समिति के दौरे पर आईं प्रयागराज की सांसद रीता बहुगुणा जोशी से जब इंदौर के एक भाजपा कार्यकर्ता का परिचय सांप पकडऩे वाले कार्यकर्ता के रूप में कराया गया तो जोशी तपाक से बोल पड़ीं-राजनीति के सांप भी पकड़ते हो क्या? उनका इतना कहना था कि उनके साथ आए दूसरे सांसद भी ठहाका लगाकर हंस पड़े। जोशी को बताया गया कि उक्त कार्यकर्ता को इंदौर में राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक के दौरान सांप पकडऩे वाली समिति का अध्यक्ष बनाया गया था, तब से वे सांप पकडऩे वाले भाजपाई के रूप में ही जाने जाते हैं।


शशि यादव को फिर बंधी आस
महिला कांग्रेस की पूर्व शहर अध्यक्ष शशि यादव को एक बार फिर अध्यक्ष पद की आस बंधी है। शोभा ओझा खेमे से आने वाली शशि यादव को पिछले दिनों अर्चना जायसवाल ने हटा दिया था और उनके स्थान पर दो अध्यक्ष बना दिए थे, लेकिन अर्चना का दांव फेल हो गया। उनकी कार्यकारिणी तो गई ही, साथ ही वे भी प्रदेश अध्यक्ष पद से हाथ धो बैठीं। अब कहा जा रहा है कि कई पुराने अध्यक्षों को ही महिला कांग्रेस में मौका मिल सकता है। इसलिए शशि को लग रहा है कि उन्हें फिर से अध्यक्ष बनाया जा सकता है। लेकिन ये इतना आसान नहीं है, जितना शशि सोच रही हैं।
सीएम ने गले लगाया तो चौंक पड़े भाजपाई
वैसे तो रामविलास पटेल मुख्यमंत्री के गृहक्षेत्र के रहने वाले हैं, लेकिन राजनीति इंदौर ग्रामीण की करते हैं और उन्हें राजेश सोनकर ने अपनी टीम में उपाध्यक्ष बनाया है। बूथ विस्तार तथा समर्पण निधि जैसे अभियानों में विशेष जवाबदारी दी है। पिछले दिनों जब शिप्रा के कार्यक्रम में सीएम आए तो हैलीपेड पर पटेल भी मौजूद थे। पटेल को देख वे बोल पड़े कि रामविलास तुम अपना क्षेत्र छोडक़र यहां आ गए? पटेल बोले-भाईसाब जहां जवाबदारी मिलती है वहां पहुंच जाता हूं। इस पर सीएम ने उन्हें गले लगा लिया। ये देख वे भाजपाई चौंक गए, जो अभी तक पटेल का कद कम आंक रहे थे। वैसे पटेल की निगाह अब ग्रामीण क्षेत्र की एक विधानसभा पर है और दावा कर रहे हैं कि उन्हें इशारा मिल गया है।
जैसे-तैसे भाजपा का समर्पण निधि अभियान रफ्तार पकड़ रहा था, लेकिन बीच में ही संगठन ने 5 करोड़ का बोझ और इंदौर पर डाल दिया। अब 15 करोड़ रुपए इक_ा करना हैं और इसकी जोड़तोड़ भिड़ाई जा रही है कि कैसे, क्या किया जाए, जिससे टारगेट पूरा हो सके। वैसे अब ऐसे नामों की सूची तैयार की जा रही है, जो मोटी रकम दे सकते हैं। -संजीव मालवीय

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