देश को कोरोना का एक और टीका मिल सकता है। अहमदाबाद की फार्मा कंपनी जायडस कैडिला ने सेंट्रल ड्रग्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) से जायकोव-डी टीके को इमरजेंसी में इस्तेमाल की अनुमति के लिए आवेदन किया है।
सीडीएससीओ टीके को अनुमति देता है तो ये दुनिया का पहला डीएनए आधारित कोरोना टीका होगा। टीके को तैयार करने के लिए केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी और आईसीएमआर ने जायडस कैडिला का सहयोग किया है।
जायडस कैडिला का टीका कोशिकाओं को कोड दे बनाएगा सुरक्षा कवच
जायकोव-डी टीके (Jaykov-D Vaccines) की डोज शरीर में जैसे ही जाएगी। टीका शरीर की कोशिकाओं को कोड देगा जिसके बाद शरीर में वायरस के बाहरी हिस्से जैसा दिखने वाला स्पाइक बनने लगेगा, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इसे खतरा मानकर एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देगी और शरीर कोरोना से बचने को तैयार हो जाएगा।
जायकोव-डी प्लाजमिड डीएनए वैक्सीन (DNA vaccine) है जिसे वायरस के जेनेटिक के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें इस्तेमाल किया गया जेनेटिक डीएनए का अणु फैल नहीं सकता है जिसे प्लाजमिड कहते हैं। वैक्सीन को बनाने में इस्तेमाल हुए प्लाजमिड में कोडिंग है जो शरीर में कोरोना के जैसा स्पाइक प्रोटीन (spike protein) बनाने के लिए निर्देशित करेगा।
28 दिन के अंतराल पर तीन डोज
दुनियाभर में सबसे अधिक दो डोज वाले कोरोना टीके (corona vaccines) का इस्तेमाल अधिक हो रहा है। कुछ वैक्सीन सिंगल डोज (Vaccine Single Dose) वाली भी हैं। जायकोव-डी दुनिया का पहला टीका होगा जिसकी तीन डोज हर 28 दिन के अंतराल पर लगेगी।
सिरिंज से नहीं लगेगा ये टीका
इस टीके को लगाने के लिए सिरिंज का इस्तेमाल नहीं होगा। एक स्प्रिंग युक्त डिवाइस के जरिये इस टीके को लगाया जाएगा जिसके तहत खुराक सीधे त्वचा में चली जाएगी और अपना असर शुरू कर देगी।
टीके की तीन डोज क्यों?
जायडस का कहना है कि टीके की पहली दो डोज से कोरोना के गंभीर लक्षणों के साथ मौत के खतरे को कम किया जा सकता है। तीन डोज लेने वाले व्यक्ति को संक्रमण के कारण मॉडरेट लक्षण से भी बचाव होगा।
टीका कितना सुरक्षित और असरदार
जायकोव-डी टीके का पहले, दूसरे और तीसरे चरण में 28 हजार लोगों पर परीक्षण हुआ है। इसमें से हजारों लोगों की उम्र 12 से 18 वर्ष के बीच थी। दिसंबर 2020 में जायडस समूह के चेयरमैन डॉ. पंकज आर पटेल ने पहले और दूसरे चरण के परीक्षण का हवाला देते हुए कहा था कि टीका सुरक्षित और असरदार है।
डेल्टा वैरिएंट पर कारगर होगा टीका
देशभर में तीसरे चरण का परीक्षण कोरोना महामारी (corona pandemic) की दूसरी लहर के साथ 50 स्थानों पर चल रहा है। डॉ. पटेल बताते हैं कि सीरो सर्वे में सभी स्ट्रेन में से 99 फीसदी डेल्टा वैरिएंट का था। पूरी उम्मीद है कि टीका डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ भी काम करेगा। अप्रैल, मई और जून में टीके के तीसरे चरण का परीक्षण हुआ है जब दूसरी लहर पीक पर थी। उन्होंने ये भी दावा किया है कि वैरिएंट के अनुसार टीके में बदलाव संभव है।
हर माह एक करोड़ डोज का उत्पादन
डॉ. पटेल बताते हैं कि टीके को अनुमति मिलती है तो हर वर्ष 12 करोड़ डोज का उत्पादन संभव है। इस अनुसार हर साल 40 लाख लोगों को टीके की तीन खुराक लग सकेगी। कंपनी नई उत्पादन यूनिट भी लगा रही है जो इस माह के अंत तक तैयार हो जाएगी जहां अगस्त के मध्य से उत्पादन शुरू हो जाएगा। हर महीने एक करोड़ डोज का उत्पादन होगा और उम्मीद है कि दिसंबर तक पांच करोड़ डोज मिल जाएगी।