सदी के महानायक अमिताभ बच्चन (megastar amitabh bachchan) सालों से इंडस्ट्री पर राज कर रहे हैं। यही वजह है कि अमिताभ बच्चन (megastar amitabh bachchan) को बॉलीवुड का शंहशाह (Shahenshah of Bollywood) कहा जाता है। 70 के दशक से लोगों का मनोरंजन करते आ रहे बिग बी आज भी फिल्मों और टीवी में सक्रिय हैं। उनके अभिनय और आवाज़ का जादू सालों बाद भी कायम हैं, लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब अमिताभ बच्चन ने एक्टिंग के साथ-साथ राजनीति में हाथ अजमाने का फैसला लिया। जो कि उन्हें बाद में उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती लगी। इस दौरान अमिताभ बच्चन को एक बार राष्ट्रपति भवन में रात का खाना खाने का न्यौता दिया गया। हैरान कर देनी वाली बात ये थी कि इसके लिए राष्ट्रपति भवन नियम में बदलाव किया गया। जिसके लिए बकायदा संसद में पारित भी किया गया।
बता दें कि ये बात साल 1983 की है जब अमिताभ फिल्ममेकर टिनू आनंद की फिल्म ‘मैं आजाद हूं’ कि शूटिंग कर रहे थे। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन के साथ शबाना आजमी नजर आईं थीं। ये वो ही फिल्म थी जिससे अमिताभ बॉलीवुड में री लॉन्च हो रहे थे क्योंकि उससे पहले वो फिल्मों से दूर होकर राजनीतिक में सक्रिय हो गए थे। एक दिन राजकोट में शूटिंग के दौरान बात बात में शबाना आजमी ने अमिताभ से एक सवाल पूछा कि क्या एमपी रहते हुए उन्होंने कोई चीज बदली या कोई नया कानून लेकर आए? इसके जवाब में अमिताभ बच्चन ने हां में सिर हिलाया और फिर बेहद ही रोचक किस्सा सुनाया।
अमिताभ ने बताया कि एक बार वो राष्ट्रपति भवन में रात के खाने पर गए थे। वो खाने की मेज पर बैठे तो सामने लगी प्लेट पर उनकी नजर गई और उनका माथा ठनका। दरअसल जिस प्लेट में सब लोग खाना खा रहे थे उस प्लेट पर राष्ट्रीय प्रतीक यानि अशोक स्तंभ बना हुआ था। ये बात अमिताभ को सही नहीं लगी। उन्होंने संसद में इस बात को रखते हुए कहा कि खाने की प्लेट पर राष्ट्रीय प्रतीक का होना उसका अपमान है।
अमिताभ इसके कुछ ही दिन बाद एक कानून पारित हुआ जिसमें ये कहा गया कि खाने की प्लेटों पर राष्ट्रीय प्रतीक नहीं होगा। तो ये वो घटना थी जब अमिताभ बच्चन ने राष्टपति भवन का सालों पुराना नियम बदलवा दिया था। बिग बी ने शबाना आजमी को बताया था कि शंहशाह के सेट पर इंदर राज आनंद के साथ हुई इस बातचीत की वजह से उन्हें राष्ट्रपति भवन में वो ख्याल आया था।
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