लखनऊ (Lucknow)। उत्तर प्रदेश का राज भवन (Raj Bhavan of Uttar Pradesh) लखनऊ के हजरतगंज में है. जहां पर प्रदेश की वर्तमान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Governor Anandiben Patel) रहती हैं. इसे राज्यपाल निवास भी कहा जाता है. इसे कोठी मुबारक बख्श के नाम से भी जाना जाता है. सवाल उठता है कि आखिर क्यों कई लोग राजभवन जैसी शाही और खूबसूरत कोठी को लखनऊ के भूतिया घरों में शामिल करते हैं? देश के जाने-माने इतिहासकार डॉ. रवि भट्ट के मुताबिक इसके पीछे दिलचस्प कहानियां है.
उन्होंने बताया कि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि राजभवन को नवाब आसफुद्दौला ने बनवाया था. जबकि कुछ का मानना है कि इसे नवाब सआदत अली खान ने बनवाया था. लेकिन सबूत आसफुद्दौला के ही मिलते हैं. दरअसल इनका यहां पर शस्त्र-गृह था. यह हकीकत है कि इसे नवाबों के वक्त में कोठी हयात बख्श कहते थे. भारत की आजादी के बाद इसे राजभवन का नाम दिया गया.
इसलिए कहते हैं भूतिया घर
डॉ. रवि भट्ट ने बताया कि एक मशहूर इतिहासकार हे (Hay) ने इसको भूतिया घर कहे जाने का कारण बताया है. उनके मुताबिक इसे भूतिया घर इसलिए कहते हैं, क्योंकि 2 मार्च 1858 को लखनऊ के हजरतगंज में जहां आज जनपद मार्केट है. वहां बेगम कोठी हुआ करती थी. डॉ. रवि भट्ट ने कहा, ‘दिल्ली में मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के बेटों की कैप्टन विलियम एल हडसन ने हत्या कर दी. वो ब्रिटिश सेना का प्रमुख था. बाद में उसको यहां जनपद मार्केट में 1858 की क्रांति में क्रांतिकारियों ने गोली मार दी थी. घायल अवस्था में कैप्टन हडसन को राज भवन लाया गया था और अगली सुबह उसकी राज भवन में ही मृत्यु हो गई थी. जिसके बाद से कई लोगों का दावा है कि आज भी आधी रात में इसी राज भवन में वर्दी पहने हुए विलियम हडसन लोगों को नजर आते हैं.
यह भी रहा है इतिहास
डॉ. रवि भट्ट ने बताया कि यह यूरोपियन शैली में बना हुआ है. इसे कुछ इतिहासकारों ने मुबारक बख्श भी कहा है. यहां पर अंग्रेजी सेना के जनरल क्लाउड मार्टिन ने अपना निवास बनाया था और वह इसे बारूद खाने के तौर पर इस्तेमाल करता था. उन्होंने बताया कि कमिश्नर मेजर बैंक भी यहां पर रहते थे जिस वजह से इसे बैंक हाउस भी कहा जाता था. इसके अलावा यहां पर लेफ्टिनेंट गवर्नर जॉर्ज कूपर ने भी 1873 में अपना निवास बनाया था. 1907 में अंग्रेजों ने यहां पर कुछ मेहमानों के रहने के लिए भी कमरे बनवाए थे. यहां पर डाकू सुल्ताना का भाला भी रखा हुआ है.