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आपराधिक कानून से जुड़े तीन विधेयकों को मिली मंजूरी, जानिए मॉब लिंचिंग पर मिलेगी कैसी सजा?

नई दिल्‍ली (New Delhi) । आपराधिक कानून (criminal law) से जुड़े तीन विधेयक (bill) के लोकसभा और राज्यसभा (Lok Sabha and Rajya Sabha) से पास होने के बाद सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (President Draupadi Murmu) ने मंजूरी दे दी है। नए कानून में अलग-अलग तरह के अपराधों पर सख्ती और सजा के कड़े प्रावधान हैं। आइए जानते हैं कि तीन बिल भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम क्या है। इसमें कैसे बदलाव हुए हैं जिन्हें आमजन को जानना बेहद जरूरी है।

सवाल: भारतीय न्याय संहिता (BNS) में क्या है?
जवाब: भारतीय दंड संहिता की जगह लेने वाले बीएनएस में 511 की जगह 358 खंड होंगे। इसमें 21 नए अपराध जोड़े गए हैं। 41 अपराधों में सजा की अवधि बढ़ी है। 82 में जुर्माना राशि बढ़ी है। 25 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा शुरू की गई है। छह अपराधों में सजा के रूप में सामुदायिक सेवा के प्रावधान हैं, 19 धाराएं निरस्त की गई हैं।

सवाल: भारतीय साक्ष्य विधेयक किसकी जगह लेगा?
जवाब: भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह इसे लाया गया है। इसमें दो नई धाराएं और छह उप धाराएं जोड़ी गई हैं। पहले 167 खंड थे अब 170 हो गए हैं। 24 खंडों में संसोधन हुआ है। छह निरस्त हुए हैं। इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्राप्त बयान साक्ष्य की परिभाषा में शामिल किया गया है। साक्ष्य के रूप में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड को कानूनी मान्यता होगी।


सवाल: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) से क्या बदलाव होगा?
जवाब: बीएनएसएस को दंड प्रक्रिया संहिता 1898 की जगह लाया गया है। इसमें मजिस्ट्रेट द्वारा जुर्माना लगाने की शक्ति बढ़ी है। अपराध से अर्जित आय को जब्त और कुर्की करने की प्रक्रिया को शामिल किया गया है। तीन से सात साल से कम सजा वाले अपराधों में प्रारंभिक जांच होगी। गंभीर अपराध की जांच डीएसपी स्तर के अधिकारी करेंगे।

सवाल: हिट एंड रन केस में कितनी सजा संभव?
जवाब: रोड एक्सीडेंट कर के भागने वालों को दस साल की सजा का प्रावधान है। अगर एक्सीडेंट करने वाला व्यक्ति घायल को अस्पताल पहुंचाता है तो उसकी सजा कम हो सकती है।

सवाल: ई-एफआईआर का जवाब कितने दिन में मिलेगा?
जवाब: एक महिला ई- एफआईआर दर्ज करा सकती है। इसका तुरंत संज्ञान लिया जाएगा और दो दिन के भीतर जवाब देने की व्यवस्था है।

सवाल: मॉब लिंचिंग में कैसी सजा हो सकती है?
जवाब: मॉब लिंचिंग जघन्य अपराध है। भीड़ द्वारा की गई हिंसा में दोष सिद्ध होने पर आरोपी को मौत की सजा तक हो सकती है।

सवाल: नए कानून में जीरो एफआईआर का क्या मतलब है?
जवाब: पीड़ित अब किसी भी पुलिस थाने में जाकर जीरो एफआईआर दर्ज करा सकता है। शिकायत को 24 घंटे के भीतर संबंधित थाने में स्थानांतरित करना होगा।

सवाल: गिरफ्तार लोगों के लिए कानून में क्या है?
जवाब: गिरफ्तार लोगों की सूची तैयार करने और उनके रिश्तेदारों को सूचित करने के लिए हर जिले में पुलिस स्टेशन में एक पुलिस अधिकारी नामित किया जाएगा।

सवाल: गिरफ्तार व्यक्ति को भी कुछ अधिकार मिलेगा?
जवाब: पुलिस किसी को गिरफ्तार करती है तो उसकी जानकारी परिवार को देनी होगी। पहले ये जरूरी नहीं था। केस में 90 दिन में क्या हुआ पीड़ित को पुलिस सबकुछ बताएगी।

सवाल: क्या आरोपी की गैरमौजूदगी में ट्रायल संभव है?
जवाब: आरोपी 90 दिन के भीतर कोर्ट में पेश नहीं होता है तो उसकी गैर मौजूदगी में ट्रायल होगा। दूसरे देशों में छिपे आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू हो सकेगी।

सवाल: दया याचिका को लेकर कैसे बदलाव हुए हैं?
जवाब: दया याचिका दोषी ही दायर कर सकता है। पहले एनजीओ और संस्थान भी दाखिल करते थे। सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद ये 30 के भीतर ही संभव है।

सवाल: अदालती कार्यवाही के अनिधिकृत प्रकाशन पर क्या होगा?
जवाब: रेप- यौन शोषण के मामले में बिना अनुमति कुछ भी प्रकाशित करने पर दो साल जेल और जुर्माना। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसलों से जुड़ी रिपोर्ट पर ये प्रावधान लागू नहीं।

सवाल: क्या हर व्यक्ति को हथकड़ी लगाई जा सकती है?
जवाब: रेप- हत्या आरोपियों को हथकड़ी लगाने का अधिकार। पुलिस को गिरफ्तारी से लेकर अदालत में पेशी तक हथकड़ी का प्रयोग कर सकती है। आर्थिक अपराधी इससे बचेंगे।

सवाल: हिरासत अवधि की सीमा 15 दिन है या बढ़ी है?
जवाब: बीएनएसएस के तहत हिरासत अवधि 15 दिन से लेकर 60 या 90 दिन तक हो सकती है। पहले ये सिर्फ 15 दिन थी। हिरासत अवधि अपराध प्रकार पर निर्भर करेगी।

सवाल: हिरासत से व्यक्ति कितने समय में रिहा हो सकता है?
जवाब: हिरासत में पुलिस किसी व्यक्ति से अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं कर सकती है। मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना होगा। छोटे मामलों में 24 घंटे के भीतर रिहाई संभव है।

सवाल: आत्महत्या की कोशिश करने वालों को कैसी सजा होगी?
जवाब: आत्महत्या की कोशिश करने वालों को सामाजिक सेवा से जुड़े काम करने होंगे। इसके लिए किसी भी व्यक्ति को कोई मेहनताना भी नहीं दिया जाएगा।

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