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कल पश्चिम बंगाल में सातवें चरण का मतदान, तय होगा कौन आएगा सत्ता में

पश्चिम बंगाल। West Bengal में छह चरणों का मतदान संपन्न हो गया है. 26 अप्रैल को सातवें चरण का मतदान है. इस चरण में कुल पांच जिलों में 36 निर्वाचन क्षेत्रों पर मतदान होगा. ये पांच जिले दक्षिण दिनाजपुर, मालदा (6 सीटें), मुर्शिदाबाद (11), कोलकाता (4) और पश्चिम बर्दवान (9) हैं. इन जिलों में मुस्लिमों की आबादी लगभग 40% है. साल 2016 के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने 14 सीटें जीतीं थीं, जबकि कांग्रेस ने 12, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने 8 और क्रांतिकारी सोशलिस्ट पार्टी ने 2 सीटें जीतीं थीं. बीजेपी कोई भी सीट जीतने में नाकाम रही थी. लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव में स्थिति बदल गई. हालांकि टीएमसी 16 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाने में कामयाब रही, लेकिन बीजेपी अन्य सभी दलों से बराबर सीटों पर आगे थी.

7 वें चरण के उम्मीदवारों के विश्लेषण के अनुसार दक्षिण दिनाजपुर की 6 सीटों में से साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वोटिंग पैटर्न के अनुसार टीएमसी 3 में पीछे चल रही थी. पार्टी ने इस जिले में 3 उम्मीदवारों को बदल दिया है. मालदा की 6 सीटों में से ममता बनर्जी की पार्टी साल 2019 में 4 पर पीछे थी. पार्टी ने जिले में 5 उम्मीदवारों को बदल दिया है.

मुर्शिदाबाद जिले में टीएमसी ने साल 2016 में उम्मीदवारों की सूची में से 7 उम्मीदवारों को बदल दिया है, हालांकि पार्टी साल 2019 में 3 सीटों पर ही पीछे चल रही थी. राज्य की राजधानी कोलकाता में 4 सीटों में से ममता बनर्जी की पार्टी 1 सीट पर पीछे थी, लेकिन 2 सीटों पर उम्मीदवार बदल दिया है. पश्चिम बर्दवान जिले में टीएमसी सभी 9 सीटों पर पीछे चल रही थी. पार्टी ने 5 उम्मीदवारों को बदल दिया है. कुल मिलाकर टीएमसी ने साल 2016 के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों की सूची में से 22 उम्मीदवारों को बदल दिया है.


विधानसभा क्षेत्रों के जातीय विश्लेषण के अनुसार सातवें चरण के मतदान क्षेत्र में मुस्लिमों की कुल आबादी लगभग 40 % है, जबकि अनुसूचित जाति की आबादी 18% और अनुसूचित जनजाति की आबादी 6% है. इस चरण में 26 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिमों की आबादी 20% है और 18 सीटें ऐसी हैं, जहां एससी की समान हिस्सेदारी है.

इस चरण में 6 ऐसी सीटें हैं, जहां राजबंशियों की आबादी 20% से अधिक है. 2 सीटों पर SAIL (भारतीय इस्पात प्राधिकरण) के कर्मचारियों की आबादी 20% से अधिक है और 5 निर्वाचन क्षेत्रों में कोयला खदान श्रमिकों की आबादी 20% से अधिक है.

बीजेपी की रणनीति पश्चिम बर्दवान जिले में गैर-बंगाली मतदाताओं को एकजुट करना है. यह औद्योगिक इलाका और कोयला खदानों का क्षेत्र है, जहां उत्तर भारत के हिंदी भाषी राज्यों के लोग स्थायी रूप से बस गए हैं. केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी मालदा और दक्षिण दिनाजपुर जिलों में कम मुस्लिम बहुल वाली सीटों पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है.

मालदा और दक्षिण दिनाजपुर परंपरागत रूप से कांग्रेस के गढ़ रहे हैं. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में उनकी पकड़ कमजोर हुई है, लेकिन कांग्रेस का प्रभाव अभी भी बरकरार है. बीजेपी उम्मीद कर रही है कि कांग्रेस इन जिलों में टीएमसी के वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब होगी.

दूसरी ओर, टीएमसी की रणनीति मुस्लिम वोटों को मजबूत करने की है. पार्टी पश्चिम बर्दवान जिले में भी पलटवार करने की कोशिश कर रही है, जहां सेल और अन्य औद्योगिक इकाइयों और कोयला खदानों के श्रमिकों का वर्चस्व है. बीजेपी ने साल 2019 के लोकसभा चुनावों में इस इलाके में अच्छा प्रदर्शन किया था. बीजेपी के उम्मीदवार एस एस अहलूवालिया और बाबुल सुप्रियो ने क्रमशः बर्दवान-दुर्गापुर और आसनसोल संसदीय सीटों पर जीत दर्ज की थी.

टीएमसी कोलकाता में चुनाव जीतने के लिए अपने उम्मीदवारों के चेहरे पर जोर दे रही है. उदाहरण के लिए कोलकाता नगर निगम के एक पार्षद देबाशीष कुमार जो रासबिहारी सीट पर पार्टी के उम्मीदवार हैं, एक लोकप्रिय चेहरा हैं. उसी तरह से बालीगंज सीट से सुब्रत मुखर्जी को उम्मीदवार बनाया है. वह एक अनुभवी राजनेता हैं. उनका निर्वाचन क्षेत्र मध्यम वर्ग के मतदाताओं में से एक है. ममता बनर्जी ने पूर्व विधानसभा क्षेत्र भवानीपुर को छोड़ कर नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. टीएमसी ने भवानीपुर से स्वच्छ छवि वाले शोभनदेव चट्टोपाध्याय को इस प्रतिष्ठित सीट से उम्मीदवार बनाया है.

वाम-कांग्रेस-भारतीय सेक्युलर फ्रंट के संयुक्त मोर्चा की रणनीति मुर्शिदाबाद जिले में अच्छा प्रदर्शन करना है. यह जिला कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी का गढ़ माना जाता है. वामपंथियों को उम्मीद है कि वह पश्चिम बर्दवान में फिर से मतदाताओं का विश्वास हासिल करने में सफल रहेंगे. कभी यह इलाका उनका गढ़ माना जाता था. साल 2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सीपीआई (एम) ने इन 36 सीटों में से 22 सीटें जीती थीं.

अंतिम विश्लेषण में, दक्षिण दिनाजपुर जिले में मुसलमानों की आबादी 40% से अधिक है. यहां मतों का ध्रुवीकरण होने की संभावना है. मालदा में मुस्लिमों के वर्चस्व वाली कुछ सीटों पर कांग्रेस और टीएमसी के बीच मुकाबला हो सकता है, जबकि जिले की अन्य सीटों पर बीजेपी को फायदा मिल सकता है. पश्चिम बर्दवान में त्रिकोणिय मुकाबले की उम्मीद है. मुर्शिदाबाद जिले में बीजेपी, मुर्शिदाबाद विधानसभा सीट को लेकर आशान्वित है. बाकी सीटों पर टीएमसी और संयुक्त मोर्चा के बीच मुकाबला हो सकता है.

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