आचंलिक

पर्यटन स्थल शैल वन प्रशासनिक और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार

  • वर्ष 2006 में यहां जुटाईं गईं थी पर्यटकों को लुभाने की व्यवस्थाएं, अब है बदहाल

कटनी। शहर के नजदीक स्थित ही एक पर्यटन स्थल शैल वन की स्थतियां नहीं सुधर पाई हैं। यहां पर बारिश में मौसम खुशनुमा हो जाता है लेकिन रखरखाव और जानकारी के अभाव में यहां पर पर्यटक नहीं पहुंच पा रहा है। शहर में 2006 में शैलवन में टिकिट खि?की सहित अन्य व्यवस्थाओं के माध्यम से पर्यटकों को लुभाने की योजनाएं बनाईं गई लेकिन इसके बाद प्रशासनिक उदासीनता के चलते शैलवन की तरफ अधिकारियों ने ध्यान देना ही बंद कर।
पहले लाखों खर्च कर कटनी में शैलवन को विकसित किया गया था लेकिन आज यहां कोई नहीं आता है। वन में स्थित शिलाओं पर आदिम मानवों द्वारा उकेरी गई कलाकृति को देखने कभी बच्चों सहित नगर व आसपास के लोग भी पहुंचते थे लेकिन अब पार्क की बदहाल है। वन संरक्षक कार्यालय से सटे हुए इस वन परिसर के अंदर लगभग 5 बडी चटटानों में आदिम मानव युग की 20 से अधिक कलाकृतियां व आकृतियां उकेरी गई हैं। इस स्थल को ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संजाने साल 2006 में यहां पर तमाम व्यवस्थाएं जुटाई गई थी। यहां पर शिलाओं को सुरक्षित करने फेंसिग, मार्ग व बाउड्रीबाल का निर्माण कराया गया था। पाषाण युग की आकृतियों को देखने यदि अब कोई पहुंचे तो गेट से ही वापस लौट आएगा।



यहां कुदरती तौर पर पहाडी, चटटानो का कटाव, हरे भरे वृक्ष से लेकर वन्य जीवों की भी कमी नहीं है। शैलवन के शुरुआती दिनों में कराई गई व्यवस्था बीच बीच में टावर के साथ झूले और चट्टानी रास्तों से उपर जाना, चटानों की ओट में प्रकृति का बेहद करीब से दीदार बेहद रोमांचित करता है। बावजूद इसके शासन प्रशासन द्वारा पार्क के विकास की दिशा में कोई सार्थक प्रयास नहीं किए जा रहे है।आज भी ध्यान देने पर शैलवन का काया कल्प हो सकता है। आज की स्थिति में यहां हमेशा ताला ही लगा रहता है। जो कुछ लोग पहुंचते भी है उनके लिए साइड का गेट है। भ्रमण के लिए जो लोग भी कभी कभार यहां पहुंचते हैं। उनकी सुरक्षा स्वयं उन्हीं के हाथों में है। जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा शैलवन की व्यवस्थाओं के प्रति ध्यान न दिए जाने के कारण यह पार्क अपनी दुदर्शा पर आंसू बहा रहा है।

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