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International Space Station से टकाराया कचरा, Robotic Arm में हुआ छेद

टोरंटो। धरती पर नजर रखने वाले अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन(international space station) से हाल ही में एक स्पेस जंक (Space Junk) यानी अंतरिक्ष का कचरा टकराया. इसकी वजह से स्पेस स्टेशन के रोबोटिक आर्म को नुकसान(Damage to the space station’s robotic arm) पहुंचा है. इस रोबोटिक आर्म (robotic arm) से ही कार्गो यान जाकर स्पेस स्टेशन से जुड़ते(Cargo vehicle connecting to space station) हैं. इस रोबोटिक आर्म को कनाडार्म-2 (Canadarm-2) कहते हैं. इसे कनाडा की स्पेस एजेंसी ने बनाया है. इस आर्म के एक ज्वाइंट के पास कचरा टकराने से उसके थर्मल ब्लैंकेट यानी गर्मी से बचाने वाली परत में छेद हो गया है. वैज्ञानिकों ने इस छेद को रूटी स्पेस वॉक के दौरान देखा है.
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (International Space Station) के रोबोटिक आर्म कनाडार्म-2 (Canadarm-2) में पिछले महीने अंतरिक्ष में उड़ने वाले छोटे से कचरे से टकरा गया. अच्छी बात ये थी कि कचरे का सैलाब नहीं था. सिर्फ एक छोटा सा पत्थर या किसी छोटे सैटेलाइट का टुकड़ा इससे टकराया. अगर बहुत ज्यादा मात्रा में कचरा आता तो स्पेस स्टेशन को भारी नुकसान होने की आशंका थी. लेकिन फिलहाल कनाडार्म-2 में एक छेद हुआ है. इस बात की जानकारी कनाडा के अंतरिक्ष स्टेशन ने शेयर की है.



कनाडा की स्पेस एजेंसी CSA ने 12 मई को रोबोटिक आर्म में छेद की जानकारी मिली. उन्हें यह सूचना रुटीन जांच के स्पेस वॉक करने वाले एस्ट्रोनॉट्स ने दी. हालांकि, इस छेद की वजह से रोबोटिक आर्म के काम पर कोई असर नहीं पड़ा है. वह पहले की तरह की तयशुदा कार्यक्रम के तहत काम कर रहा है. 1970 के बाद से अंतरिक्ष में लगातार स्पेस जंक या स्पेस गार्बेज या अंतरिक्ष का कचरा बढ़ता जा रहा है.
नासा ने कई बार अपने स्पेस शटल की मुख्य और अन्य खिड़कियों को कचरे से टक्कर के बाद मरम्मत कर चुका है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, अभी तक सिर्फ 27 हजार स्पेस जंक का पता लगाया जा सका है. जबकि लाखों जंक इतने छोटे हैं कि उनकी गिनती नहीं की जा सकती. ये 27 हजार कचरा आकार में बड़े हैं, इसलिए इनकी गिनती हो सकी. छोटे स्पेस जंक यानी कचरा गिने तो नहीं जा सकते लेकिन ये इंसानी उड़ान या सैटेलाइट को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं.
नासा ने इस घटना के बाद लिखा कि अंतरिक्ष में उड़ने वाला कचरा और स्पेस स्टेशन की गति लगभग 25,261 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है. इस गति में अगर कोई भी चीज टकराएगी तो वह नुकसान करेगी ही. किस्मत अच्छी थी कि ये कचरा स्टेशन के बीच से नहीं निकला नहीं तो बहुत ज्यादा नुकसा पहुंचा सकता था.
अंतरिक्ष में नासा ने जो 27 हजार कचरे गिने हैं, उनमें से 23 हजार छोटे सॉफ्टबॉल के आकार के हैं. इनकी गति 2.81 लाख किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा है. इसके अलावा 5 लाख से ज्यादा कचरा मार्बल गेंद के आकार के हैं. यानी 0.4 इंच से ज्यादा बड़े हैं. जबकि 10 करोड़ कचरे .04 इंच या एक मिलीमीटर या उससे थोड़े बड़े हैं. इसके अलावा माइक्रोमीटर में भी कचरा मौजूद है, जो 0.000039 इंच आकार के हैं.
यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ये छोटे-छोटे कचरे या तो ईंधन के बचे हुए हिस्से हैं या फिर विस्फोट में जली बैटरी के टुकड़े. इस साल के शुरुआत में एक एक्सपर्ट ने चेतावनी दी थी कि धरती की निचली कक्षा में एक नया छल्ला बन रहा है, जिसमें प्लास्टिक से लेकर हर तरह का कचरा मौजूद है. यह इतना ज्यादा है कि इससे एक पूरा बड़ी द्वीप भर जाए.
ऐसा माना जाता है कि धरती के चारों तरफ अंतरिक्ष में 17 करोड़ स्पेस जंक मौजूद है. जो पिछले पांच-सात दशकों से अंतरिक्ष में जा रॉकेट्स, सैटेलाइट्स और इंसानी उड़ानों की वजह से छूट गए हैं. लेकिन इनमें से सिर्फ 27 हजार को ही ट्रैक किया जा सकता है क्योंकि ये आकार में थोड़े बड़े हैं. अंतरिक्ष में कचरा सबसे ज्यादा फैलाने की दो ही घटनाएं दर्ज हैं. पहली घटना है फरवरी 2009 की जब रूसी मिलिट्री सैटेलाइट कॉस्मॉस-2251 और इरिडियम टेलीकॉम्स सैटेलाइट आपस में टकरा गए थे.
इसके अलावा दूसरी घटना साल 2007 जनवरी की है. तब चीन ने अपने फेंगुएन मौसम सैटेलाइट को एंटी-सैटेलाइट हथियार से निशाना बनाया था. इन दोनों घटनाओं की वजह से अंतरिक्ष में कचरा ज्यादा तेजी से फैल गया. जबकि, धरती की निचली कक्षा में ही कई और सैटेलाइट्स और अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन भी घूम रहे हैं लेकिन ये आपस में कभी नहीं टकराते.

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