भिलाई: ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म की चर्चा इन दिनों पूरे देश में है. कश्मीर से कश्मीरी हिंदुओं के पलायन और कश्मीरी पंडितों पर किए गए नरसंहार को इस फिल्म में दिखाया गया है. छत्तीसगढ़ में दुर्ग जिले के भिलाई में रहने वाले इस तरह की घटना के गवाह संतोष किचलू से zee मीडिया ने खास बातचीत की.
बर्बरता की कहानी बताते हुए हो गए भावुक
कश्मीरी पंडितों पर बर्बरता की कहानी बताते हुए वे भावुक भी हुए और उनकी आंखें डबडबा गई. छत्तीसगढ़ के भिलाई के सेक्टर 5 में संतोष किचलू का घर है जो कि एशिया की सबसे बड़े भिलाई स्टील प्लांट में बड़े अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं.
12 हिंदुओं को घर से निकाल कर गोलियों से भूना
1964 को इनका जन्म कश्मीर के सुफियान भटपुरा में हुआ. संतोष, कश्मीर के सुफियान के रहने वाले हैं जो कि श्रीनगर से पुलवामा के रास्ते में पड़ता है. यह वही इलाका है जहां 12 हिंदुओं को घर से निकाल कर गोलियों से भून दिया गया जिसके बाद कश्मीरी पंडितों और मुसलमानों के बीच ऐसी खाई बन गई जिसे अब तक पाटा नहीं जा सका.
मिलिटेंट्स ने कश्मीरी मुसलमानों को भड़काना शुरू किया
पूर्व में हिंदू और मुसलमान बड़े प्रेम के साथ रहा करते थे. सब कुछ बहुत बेहतर था लेकिन कुछ पाकिस्तान के रहने वाले मिलिटेंट्स ने कश्मीरी मुसलमानों को भड़काना शुरू किया और धीरे-धीरे मुसलमानों ने हिंदुओं का साथ छोड़ना शुरू कर दिया. उसके बाद सभी मिलिटेंट उनके साथ हो गए जिसके बाद कश्मीरी पंडितों के साथ बर्बरता होने लगी.
कश्मीर में हिंदू ना के बराबर हो गए
धीरे-धीरे सभी कश्मीरी पंडितों ने पलायन करना शुरू कर दिया. 1990 के आसपास पूरी तरह से पलायन होने लगा. कश्मीर में हिंदू ना के बराबर हो गए जिसके कारण कश्मीरी पंडितों को अपना मुल्क कश्मीर छोड़ना पड़ा. 1986 के बाद संतोष किचलू की नौकरी भिलाई स्टील प्लांट में लग गई तो वे यहां आ गए लेकिन कश्मीर के सुफियान में आज भी उनका जला हुआ घर मौजूद है.
हिंदू होने के कारण सुफियान में उनका घर मिलिटेंट्स ने जला दिया
इसी बीच बात करते-करते संतोष किचलू ने बताया कि कश्मीरी पंडित और हिंदू होने के कारण सुफियान में उनका घर मिलिटेंट्स ने जला दिया. बड़ी मुश्किल से अपने पुश्तैनी घर को संतोष के दादा-परदादाओं ने बनाया था लेकिन उनके सामने उनका घर जलता रहा और वह कुछ भी नहीं कर पाए. हालांकि कई साल के बाद सरकार ने 75 हजार रुपये मुआवजा दिया. घर जलने के बाद उनका पूरा परिवार अब दूसरे दूसरे राज्यों में जाकर शिफ्ट हो गया. उनके परिवार के कुछ सदस्य आज भी जम्मू में हैं तो कुछ बेंगलुरु, दिल्ली में शिफ्ट हो गए हैं. संतोष स्वयं छत्तीसगढ़ के भिलाई में रहते हैं.
हिंसा की असलियत तो और भी भयानक है
संतोष ने यह भी बताया कि फिल्म में जो दिखाया गया है, वह अधूरा सच है. असलियत तो और भी भयानक है. वहां इतनी हिंसा हुई कि उसे दिखाया नहीं जा सकता. मंदिरों को तोड़ना, हिंदू और कश्मीरी पंडितों को मारना, उनके घर जला देना, ये वहां आम बात हो गई थी. अपने समय भयावह मंजर को याद कर संतोष किचलू की आंखें डबडबा गई और आगे कुछ भी बोलने का साहस नहीं जुटा पाए.