नई दिल्ली । खून की उल्टी, खांसी के साथ खून आना, ब्रेन स्ट्रोक, कैंसर (brain stroke, cancer) जैसी समस्याओं को लेकर सफदरजंग अस्पताल (Safdarjung Hospital) पहुंचे करीब दो हजार मरीजों का उपचार बिना सर्जरी के हो गया। इंटरवेंशनल रेडियोलोजी (interventional radiology) की मदद से न तो मरीज को बड़ा चीरा लगाना पड़ा और न ही उसे लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। डॉक्टरों ने शरीर में केवल एक तार डालकर रोगग्रस्त हिस्से में सर्जरी (surgery) कर दी। इस तकनीक की मदद से सफदरजंग में अब तक दो हजार से अधिक सफल सर्जरी हो चुकी है। इन्हीं सर्जरी को लेकर सफदरजंग अस्पताल 9 अक्टूबर को सम्मेलन कर रहा है जिसमें देशभर से आने वाले डॉक्टरों को यह तकनीक बताई जाएगी।
इस संबंध में सफदरजंग अस्पताल के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पुनित गर्ग ने बताया कि यह तकनीक मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है। इस तकनीक में सर्जरी करने के लिए बड़ा चीरा भी लगाने की जरूरत नहीं पड़ती और उसे एक-दो दिन में ही छुट्टी दे दी जाती है। उन्होंने कहा कि सफदरजंग में खून की उलटी, खांसी के साथ खून आना जैसी शिकायत को लेकर पहुंच रहे तीन से चार मरीजों की रोज सर्जरी हो रही है। उन्होंने कहा कि टीबी के मरीजों का फेफड़ा खराब होने के कारण खांसी में खून आता है। जबकि ज्यादा शराब पीने के कारण लीवर खराब हो जाता है जिससे उलटी में खून आता है। इस तकनीक की मदद से तार डालकर क्षतिग्रस्त हुई नसों को बंद कर दिया जाता है जिससे खून आना बंद हो जाता है। इस तकनीक से दो दिन बाद ही मरीज को छुट्टी दे दी जाती है। जबकि दवाइयों से महीनों लग जाते हैं।
इन अस्पतालों से आएंगे डॉक्टर
दिल्ली में होने वाले सम्मेलन में एम्स दिल्ली, एम्स ऋषिकेश, एम्स जोधपुर, पीजीआई चंडीगढ़(PGI Chandigarh) सहित नार्थ इंडिया के बड़े अस्पतालों से डॉक्टर आएंगे। यहां आने वाले डॉक्टरों के साथ इन तकनीक व नैदानिक अनुभव को साझा किया जाएगा। साथ ही तकनीक और रोगियों की सफलता (success of patients) की स्टोरी बताई जाएगी। डॉ. गर्ग ने बताया कि यह एक मील का पत्थर साबित होगा। यहां से सीखकर जाने वाले डॉक्टर इस तकनीक का उपयोग अपने अस्पताल में भी कर सकेंगे। अभी दिल्ली में एम्स और सफदजंग में इसका इस्तेमाल हो रहा है। बता दें कि सफदरजंग में 2018 में इस तकनीक को शुरू किया गया था।