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उद्धव ठाकरे के 5 महीने रहे सबसे बुरे, MLA-MP टूटे, CM का पद गया, अब विरासत दांव पर

मुंबई । जून के महीने में एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) से बगावत करके शिवसेना (Shiv Sena) के विधायकों (MLA) को लेकर पहले गुजरात (Gujarat) और फिर असम (Assam) के एक रिजॉर्ट में डेरा जमा दिया था। यह वो वक्त है जिसके बाद से उद्धव ठाकरे के बुरे दिन शुरू हुए। इस घटना को हुए मुश्किल से पांच महीने हुए हैं और इतने कम वक्त में उद्धव ठाकरे से पहले शिवसेना के विधायकों और सांसदों ने किनारा करना शुरू किया। फिर सीएम पद गया और अब शिवसेना सिंबल पर दांव लगा है। कुल मिलाकर उद्धव ठाकरे सिर्फ दशहरा रैली के दौरान शिवाजी पार्क ही बचा पाए लेकिन, उसमें भी एकनाथ शिंदे ने दशहरे के दिन मुंबई में ही दूसरी जगह पर रैली करके उद्धव को पूरी चुनौती दी।

शनिवार को बड़ा फैसला लेते हुए चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे और उद्धव गुट के लिए शिवसेना सिंबल के इस्तेमाल पर रोक लगा दी। इस फैसले ने सबसे ज्यादा चोट उद्धव ठाकरे गुट को दिया है। एकनाथ शिंदे कैंप की बात करें तो वो हालांकि खुद को असली शिवसेना कह रहे थे लेकिन, सिंबल तो बालासाहेब के बेटे उद्धव ठाकरे प्रयोग में ला रहे थे। चुनाव आयोग ने फौरी राहत जरूर दी कि दोनों गुट अपने नए सिंबल में शिवसेना के नाम यूज कर सकते हैं।


क्या-क्या गंवा चुके हैं उद्धव
बालासाहेब ठाकरे की विरासत को आगे बढ़ा रहे उनके बेटे उद्धव ठाकरे इस वक्त अपने राजनीतिक करियर के सबसे मुश्किल दौर में हैं। पार्टी के एक नेता की बगावत को हल्के में उन्हें इतना भारी पड़ेगा, उन्होंने शायद ही सोचा हो। एकनाथ शिंदे ने जून महीने में बगावत करके शिवसेना के विधायकों को भरोसे में लिया। पहले गोवा और फिर असम के रिजॉर्ट में डेरा जमा लिया। उद्धव ने जब नेगोशिएट करने से इनकार कर दिया तो शिंदे ने अपना कुनबा बड़ा करना शुरू किया। और विधायक जुड़ते रहे और फिर सांसद और पार्षदों ने उद्धव से किनारा करना शुरू किया। धीरे-धीरे उद्धव के पास ज्यादा प्रतिनिधियों का समर्थन चला गया और वो सत्ता गंवा बैठे। उधर, भाजपा के साथ मिलकर शिंदे ने महाराष्ट्र में सरकार बनाई और खुद को असली शिवसैनिक बताकर चुनाव आयोग के पास जाकर दावा ठोक दिया। अब आयोग ने शिवसेना सिंबल पर भी उद्धव को झटका दिया है।

अब क्या करेंगे उद्धव ठाकरे
मीडिया रिपोर्ट्स हैं कि आज दोपहर उद्धव ठाकरे अपने समूह के वरिष्ठ पदाधिकारियों, विधायकों और सांसदों के साथ बैठक कर सकते हैं। इसमें समूह अपने लिए नए सिंबल और नाम पर फैसला ले सकता है। हालांकि यह भी चर्चा है कि उद्धव गुट आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ऐसा करना उद्धव गुट को फायदा पहुंचाएगा, इसकी कम संभावना है क्योंकि, सुप्रीम कोर्ट ने ही फैसला लिया था कि शिवसेना के सिंबल पर निर्णय चुनाव आयोग को करना चाहिए।

शिंदे गुट ने भी कसी कमर
खबर यह भी है कि एकनाथ शिंदे गुट भी चुनाव आयोग के फैसले के बाद हरकत में आ गया है। इसके लिए शिंदे गुट आज शाम सात बजे मीटिंग करके नए सिंबल और नाम पर बड़ा फैसला ले सकता है।

बता दें कि आगामी 3 नवंबर को अंधेरी ईस्ट में उपचुनाव होना है। इसके मद्देनजर चुनाव आयोग ने फैसला में कहा था कि दोनों गुटों को शिवसेना के सिंबल पर चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं होगी।

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