उज्जैन। जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूँ की खरीदी का कल आखिरी दिन था। 44 दिन तक समर्थन मूल्य की खरीदी चली और इस बार किसानों ने टारगेट से करीब आधा ही गेहूँ समर्थन मूल्य पर समितियों को बेचा। इस वजह से उज्जैन जिला इस बार समर्थन मूल्य पर गेहूँ खरीदी के मामले में काफी पिछड़ गया है।
उल्लेखनीय है कि इस साल किसानों ने जिले में लगभग 4 लाख हेक्टेयर के दायरे में गेहूँ की फसल बोयी थी। कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इतने बड़े रकबे में फसल भी अच्छी हुई और लगभग इस साल 19 लाख टन गेहूँ का उत्पादन जिले में हुआ। इसी के चलते अनुमान लगाया गया था कि 28 मार्च से शुरु हुई समर्थन मूल्य की खरीदी में किसान लगभग साढ़े 4 लाख मेट्रिक टन गेहूँ बेचेंगे। इसी के मान से खरीदी का लक्ष्य रखा गया था। जिला आपूर्ति नियंत्रक एम.एल. मारू ने बताया कि 28 मार्च से आरंभ हुई समर्थन मूल्य गेहूँ की खरीदी का 10 मई को आखिरी दिन था। इतने दिनों में जिले की 177 खरीदी केन्द्रों पर किसानों ने 2.87 लाख मेट्रिक टन गेहूँ बेचा। यह आंकड़ा साढ़े 4 लाख मेट्रिक टन लक्ष्य से 2.63 लाख मेट्रिक टन कम है। इस बार लगभग पूरे जिले में निर्धारित लक्ष्य से समर्थन मूल्य पर गेहूँ की खरीदी आधी ही हो पाई है। इधर समर्थन मूल्य पर गेहूँ की खरीदी के टारगेट में आई कमी को लेकर जानकारों का कहना है कि मंडी में किसानों को समर्थन मूल्य के निर्धारित दामों से अधिक दाम मिले। इसके अलावा कई किसानों ने समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के लिए पंजीयन करवाया तथा स्लाट बुकिंग कराई, इसके बाद भी वे उपज रोककर बैठ गए। इस साल विदेशों में भी यहाँ के गेहूँ की माँग अच्छी है। संभवत: इसी के चलते किसानों ने अभी गेहूँ को रोक लिया है और इससे भी ज्यादा बाजार भाव मिलने के इंतजार में है। इन्हीं कारणों के चलते इस बार समर्थन मूल्य की खरीदी का लक्ष्य पीछे रह गया है।
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