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उज्जैन: महाकाल मंदिर में भीड़ बढऩे से हुई धक्का मुक्की, बैरिकेड टूटने से महिलाएं और बच्चे नीचे गिरे

उज्जैन। उज्जैन (Ujjain) के महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) में आज श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. इस भीड़ के सामने कुछ देर के लिए व्यवस्था चरमरा गयी. मंदिर के गेट नंबर चार पर प्रवेश के दौरान भारी धक्का-मुक्की हो गयी और उस आपाधापी में बैरिकेड गिर गए. बेरिकेड गिरते ही कई बच्चे और महिलाएं गिर पड़े. घटना का एक वीडियो सामने आया है. महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) में गेट नंबर 4 पर प्रवेश के दौरान भारी धक्का-मुक्की मच गयी. घटना का जो वीडियो सामने आया है उसमें दिख रहा है कि भक्तों की भारी भीड़ थी. इसमें बच्चों और महिलाओं की संख्या भी काफी थी.

भीड़ बढ़ने के कारण धक्का मुक्की होने लगी. इसमें न तो सोशल डिस्टेंस (social distance) कहीं दिखा न कोरोना प्रोटोकॉल (corona protocol) फॉलो होते दिखाई दिया. लोगों की भीड़ में मंदिर में प्रवेश के लिए लगा बेरिकेड टूट गया और भीड़ में खड़ी महिलाएं और बच्चे नीचे गिर पड़े. उनके ऊपर लोग चढ़ने लगे. लेकिन मंदिर और प्रवेश द्वार पर तैनात सतर्क गार्ड्स ने फौरन व्यवस्था संभाल ली और कोई अनहोनी होने से बच गयी.


25 साल पहले आज ही के दिन हुआ था हादसा
आज से ठीक 25 साल पहले महाकाल मंदिर में बड़ा हादसा हो चुका है. 26 जुलाई 1996 को सोमवती अमावस्या के दिन बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु के बीच भगदड़ हो गयी थी, जिसमें 35 से अधिक लोगों की मौत हो गयी थी. वो महाकाल मंदिर में अब तक का सबसे बड़ा हादसा था. आज समय रहते लोगो की जान बचा ली गयी वरना बड़ा हादसा हो सकता था. कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि अगली बार से हम सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाएंगे. एक साथ अचानक भारी भीड़ आ गयी थी. अगली बार प्लान बदलेंगे. कोविड गाइड लाइन का सख्ती से पालन करवाया जाएगा.


महाकाल की निकली सवारी
आज सावन के पहले सोमवार को बाबा महाकाल (Mahakal) भक्तों का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले. परंपरा अनुसार बाबा की सवारी निकाली गयी. लेकिन कोरोना (Corona) के कारण इस बार भक्तों को इसमें शामिल होने की इजाजत नहीं है. इस बार सवारी का मार्ग भी छोटा रखा गया है. महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों का अल सुबह से बाबा के दर्शन के लिए तांता लगा हुआ है. भक्त गर्भगृह में तो प्रवेश नहीं कर सके, लेकिन नंदी हॉल के गेट पर लगे बैरिकेट से पूजा कर सकते थे. सैकड़ों भक्त रविवार रात से ही मंदिर के बाहर जमा होने लगे थे. भक्तों को सुबह 5 बजे से प्रवेश दिया गया. मंदिर के पट तड़के 2:30 बजे खोल दिए गए. सबसे पहले सभी पंडे-पुजारियों ने जल चढ़ाया. उसके बाद दूध, घी, शहद, शकर व दही से पंचामृत अभिषेक किया गया. अभिषेक के बाद बाबा का भांग से शृंगार कर भस्म रमाई गई.

कोरोना का असर
कोरोना काल है इसलिए भस्म-शयन आरती में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है. इसलिए गणेश मंडप, नंदी हॉल, कार्तिक हॉल आरती के समय खाली दिखाई दिए. सुबह 5 बजे से मंदिर में दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ. गेट नंबर 4 प्रवेश द्वार पर वेक्सीन सर्टिफिकेट दिखा कर श्रद्धालुओं ने प्रवेश किया. कोरोना के कारण मंदिर में पहले एक दिन में सिर्फ साढे़ तीन हजार श्रद्धालुओं को ही प्रवेश दिया जा रहा था. सावन के कारण अब ये संख्या बढ़ा दी गयी है. वो भी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन या भारी शुल्क देने के बाद.

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