नई दिल्ली (New Delhi)। भारतीय नौसेना खुद को मजबूत करने के लिए स्वदेशी हथियारों (indigenous weapons) की मदद ले रही है। अगले हफ्ते दिल्ली में एक सेमिनार होने वाला है, जिसे स्वावलंबन 2023 के तौर पर जाना जाता है। इस सेमिनार में नौसेना अपने 75 नए टेक्नोलॉजी (new technology) को पेश करने वाली है। अधिकारियों का कहना है कि नौसेना दिखाएगी कि पिछले एक साल में कुछ खास क्षेत्रों में किस तरह की टेक्नोलॉजी तैयार की गई है। इसमें कई तरह के हथियार होने वाले हैं, जिन पर सभी की निगाहें होंगी।
नौसेना की तरफ से जिन हथियारों का प्रदर्शन किया जाने वाला है, उसमें ‘अंडरवाटर स्वार्म ड्रोन्स’, ‘ऑटोनोमस वेपनाइज्ड बोट स्वार्म’, ‘ब्लू-ग्रीन लेजर फॉर अंडरवाटर एप्लिकेशन’, ‘मल्टीपल फायरफाइटिंग सिस्टम’ और छोटे ड्रोन शामिल हैं। इन हथियारों की पहचान नौसेना ने की है, जबकि इन्हें तैयार करने का काम लोकल स्टार्टअप्स और छोटी कंपनियों ने किया है. हालांकि, इन हथियारों में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय ‘अंडरवाटर स्वार्म ड्रोन्स’ बना हुए हैं।
‘अंडरवाटर स्वार्म ड्रोन्स’ को ‘अनमैन्ड अंडरवाटर व्हीकल’ (UUV) के तौर पर भी जाना जाता है. इसे पानी के भीतर ऑपरेट किया जाता है और इसमें किसी सैनिक को बैठाने की जरूरत नहीं पड़ती है. इस हथियार को दो कैटेगरी में डिवाइड किया जा सकता है, जिसमें पहला ‘रिमोटली ऑपरेटेड अंडरवाटर व्हीकल’ होता है, जिसे एक सैनिक के जरिए ऑपरेट किया जाता है. दूसरा ‘ऑटोनोमस अंडरवाटर व्हीकल’ होते हैं, जो बिना इनपुट के ऑटोमैटिक ही काम करते हैं।
‘अंडरवाटर स्वार्म ड्रोन्स’ की ‘रिमोटली ऑपरेटेड अंडरवाटर व्हीकल’ कैटेगरी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. एक ऑपरेटर के जरिए कंट्रोल होने वाला ये हथियार समुद्र में निगरानी और पेट्रोलिंग के काम आता है। ‘अंडरवाटर स्वार्म ड्रोन्स’ का वजन कुछ किलो से लेकर कुछ हजार किलों तक हो सकता है. इन ड्रोन्स के जरिए हजारों किलोमीटर का सफर तय किया जा सकता है. साथ ही ये समुद्र में कई हजार मीटर की गहराई तक जा सकते हैं।
नौसेना का मकसद इन ड्रोन्स के एक पूरे बेड़े को तैनात करने का है. इसमें ज्यादा से ज्यादा संख्या में अंडरवाटर ड्रोन्स होंगे, जो पानी के भीतर जाकर पेट्रोलिंग का काम करेंगे. इसके अलावा इनके जरिए समुद्र के नीचे होने वाली खुफिया गतिविधियों को भी पता लगाया जा सकेगा. अमेरिका, चीन समेत कई सारे देश इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं और अब भारत को भी इस टेक्नोलॉजी को यूज करने का मौका मिलेगा।
दरअसल, चीन ड्रोन्स के मामले काफी अडवांस्ड है। चीनी सेना हिंद महासागर में निगरानी और खोज अभियान के लिए लंबे समय से अंडरवाटर ड्रोन्स का इस्तेमाल कर रही है. बड़ी संख्या में ड्रोन्स की तैनाती से चीन को पानी के भीतर ज्यादा बढ़त हासिल होती है. चीन इसके जरिए हिंद महासागर में भारतीय जहाजों की जासूसी भी कर सकता है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए भारतीय नौसेना भी ‘अंडरवाटर स्वार्म ड्रोन्स’ हासिल कर रही है, ताकि चीनी जहाजों पर नजर रखी जा सके।
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