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UP: अखिलेश से दूर होंगे शिवपाल, PM मोदी से मिलने के लिए PMO से मांगा समय

लखनऊ। सपा को स्थापित करने में मुलायम सिंह (Mulayam Singh) के साथ जूझने वाले शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) अब वैचारिक तौर पर भाजपा (BJP) के करीब आ गए हैं। वे भाजपा में शामिल होने को तैयार हैं। भाजपा उन्हें कब शामिल कराती है और उन्हें किस भूमिका में रखेगी इस पर जल्द निर्णय होगा। पर चाचा-भतीजे (uncle-nephew) यानी शिवपाल-अखिलेश (Shivpal-Akhilesh) की छह साल से चल रही जंग अब निर्णायक मोड़ पर आ गई है। इसमें समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को नुकसान हो सकता है।

इस बीच मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शिवपाल यादव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलने जा रहे हैं। शिवपाल ने मुलाकात के लिए पीएमओ से समय मांगा है। दिल्ली में उनकी मुलाकात लालकृष्ण आडवानी से भी होनी है। उनकी सियासत में बदलाव पिछले कुछ दिनों से दिखाई दे रही है। उनके ट्वीट और बातों से साफ इशारा मिल रहा है कि उनका मूड भाजपा में जाने को लेकर साफ हो चुका है। माना जा रहा है कि भतीजे अखिलेश की तरफ से उनको मनाने या रोकने की कोई कोशिश न होना भी उन्हें खल रहा है।


शिवपाल यादव के साथ सपा के पुराने कार्यकर्ताओं का जुड़ाव रहा है। मुलायम के गढ़ वाले इलाकों में शिवपाल की अपनी पकड़ रही है। इटावा, मैनपुरी, फिरोजाबाद ही नहीं आजमगढ़ के कार्यकर्ताओं में शिवपाल की पैठ रही है। मुलायम परिवार के बड़े कद्दावर नेता को अपने साथ लाकर भाजपा अखिलेश यादव पर दबाव बढ़ा सकती है।

असल में अखिलेश सरकार के आखिर दौर में सपा में अंतर्कलह बहुत बढ़ गई थी। उसके बाद चुनाव में सपा तो सत्ता से बाहर हो गई। शिवपाल यादव उस चुनाव में सपा के टिकट पर जीते थे। लेकिन पार्टी में उन्हें कोई भूमिका नहीं मिली। मुलायम सिंह यादव ने भी इस पर कोई प्रभावी निर्णय नहीं लिया। कभी लगा वह अखिलेश के साथ हैं और कभी लगा कि वह शिवपाल के साथ। जब शिवपाल का धैर्य जवाब दे गया तो उन्होंने 2018 में प्रगतिशील समाज पार्टी (लोहिया) बना ली।

लोकसभा चुनाव में यह पार्टी कुछ खास नहीं कर पाई। खुद शिवपाल फिरोजाबाद से लोकसभा चुनाव हार गए। जब 2022 के चुनाव आए तो वक्ती जरूरतों को देखते हुए अखिलेश ने शिवपाल को साथ ले लिया लेकिन आंतरिक दूरियां बनी रहीं। यह पूरे चुनाव अभियान में दिख गया। शिवपाल सौ सीट मांग रहे थे। लेकिन उन्हें ही सपा से टिकट मिला और जीत गए लेकिन बेटे समेत किसी को भी टिकट नहीं दिला पाए। इसके बाद अचानक शिवपाल यादव ने अपनी अब तक सियासत में वैचारिक तौर पर बदलाव लाना शुरू किया।

कुछ इस तरह शिवपाल यादव ला रहे हैं अपनी सियासत में बदलाव
-नवरात्र पर शिवपाल यादव ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है- भगवान राम का चरित्र ‘परिवार, संस्कार और राष्ट्र’ निर्माण की सर्वोत्तम पाठशाला है। उन्होंने साथ में राम चरित मानस की चौपाई का उल्लेख करते हुए कहा कि , चैत्र नवरात्रि आस्था के साथ ही प्रभु राम के आदर्श से जुड़ने व उसे गुनने का भी क्षण है।
– शिवपाल ने इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ट्वीटर पर फालो करना शुरू किया
– मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कई मुलाकातें। कई बार उनके काम की सराहना की
– हाल में विधान परिषद चुनाव में उन्होंने सपा के उलट किसी सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग से इंकार किया
– अब उन्होंने भाजपा के प्रमुख मुद्दे समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए कहा कि वह इसके लिए संघर्ष करेंगे।

अपनी उपेक्षा पर इस तरह तंज किया था अखिलेश पर
शिवपाल यादव ने कहा कि सभी को हनुमान जी की भूमिका सदैव याद रखनी चाहिए क्योंकि उन्हीं की वजह से प्रभु श्रीराम युद्ध जीत सके थे। उन्होंने महाभारत का भी जिक्र किया और कहा कि जब अपने और पराये में भेद नहीं पता होता है, तब महाभारत होती है। चाहे धर्म हो या राजनीति, दोनों जगह यही बात लागू है।

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