लंदन। भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) ने लंदन में कोर्ट फंड्स ऑफिस(Court Funds Office in London) से 758,000 पाउंड (लगभग 7.8 करोड़ रुपये) पाने के लिए एक आवेदन दिया है। विजय माल्या (Vijay Mallya) ने ये पैसे भारत में अपने वकीलों को भुगतान (Pay to lawyers) करने के लिए मांगे हैं। विजय माल्या (Vijay Mallya) का कहना है कि उसकी संपत्तियां सीज (Assets seize) किए जाने और उसके खिलाफ दिवालिया कार्रवाई (Insolvency proceedings) चलने की वजह से वह भारत में वकीलों को खुद से भुगतान करने में सक्षम नहीं है।
यह एप्लीकेशन लंदन हाईकोर्ट (London high court) की चांसेरी अपील्स डिवीजन(Chancery appeals division) में मंगलवार को एक अपील के तौर पर दायर की गई। यह अपील फरवरी 2021 में डिप्टी ICC जज बरनेट द्वारा सुनाए गए एक फैसले के खिलाफ दायर की गई है। उस फैसले में बरनेट ने माल्या को बैंकरप्सी पिटीशन डिफेंड करने के लिए पुरानी और भविष्य की कानूनी फीस का भुगतान कोर्ट फंड्स ऑफिस से किए जाने की इजाजत दी थी। साथ ही यह भी कहा था कि कोर्ट फंड्स ऑफिस की ओर से माल्या को 22,500 पाउंड (लगभग 23 लाख रुपये) के मंथली लिविंग एक्सपेंसेज यानी मासिक आजीविका खर्च का भी भुगतान किया जाएगा। लेकिन जज ने भारत में माल्या के वकीलों को भुगतान को इसमें शामिल नहीं किया था।
जज बरनेट ने माल्या को कोर्ट फंड्स ऑफिस से कुल 12 लाख पाउंड (करीब 12 करोड़ रुपये) एक्सेस करने की अनुमति दी थी। इस पैसे का सोर्स फ्रांस के कान्स में माल्या की Le Grand Jardin प्रॉपर्टी की बिक्री से मिले 33 लाख पाउंड (लगभग 29 करोड़ रुपये) थे। कोर्ट के सुनने में आया था कि माल्या के पास भारत में 555,000 पाउंड (करीब 5.7 करोड़ रुपये) की लॉ फर्म हैं और भारत में भविष्य की कानूनी लागत के लिए माल्या को 203,000 पाउंड (2 करोड़ रुपये) की जरूरत है।
भारत में तीन केस लड़ रहा है माल्या
माल्या का प्रतिनिधित्व कर रहे फिलिप मार्शल QC का कहना है कि उनका क्लाइंट भारत में खुद जाकर केसेज के लिए पेश नहीं हो सकता क्योंकि उसे वहां बंदी बना लिया जाएगा। भारत में तीन केस माल्या लड़ रहा है- माल्या का कॉम्प्रोमाइज सेटलमेंट ऑफर जो भारत के सुप्रीम कोर्ट के समक्ष है, जजमेंट डेट पर लगाए जा रहे 11.5 फीसदी ब्याज को माल्या की चुनौती और भगोड़ा आर्थिक अपराधी कार्यवाही को चुनौती। मार्शल ने आगे कहा कि भारत में वकीलों को निर्देश देने की अनुमति नहीं देना और फिर शिकायत करना कि भारत में इन मुकदमों में प्रगति नहीं हुई है, यह ठीक नहीं है। भारत में प्रोसिडिंग्स आगे नहीं बढ़ने के पीछे वजह फंड की कमी और महामारी है।