भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

केरवा डैम से 76 गांवों से मिलेगा पानी

  • 190 किमी बिछेगी पाइप लाइन, डेढ़ लाख लोगों का फायदा

संतनगर। भोपाल के केरवा डैम से 76 गांव जुड़ेंगे और वहां की करीब डेढ़ लाख आबादी को भरपूर पानी मिलेगा। इसके लिए 91 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। कुल 190 ्यद्व पाइप लाइन बिछाई जाएगी। नई और पुरानी 43 टंकियों की मदद से गांव-गांव पानी पहुंचाया जाएगा। ये सभी गांव केरवा डैम के आसपास है, लेकिन हर साल पानी को तरसते हैं। करीब 40 साल से वे पेयजल की समस्या परेशान हो रहे हैं। दावा है कि 24 महीने में काम पूरा हो जाएगा और फिर समस्या हमेशा के लिए दूर हो जाएगी। वाटर सप्लाई सिस्टम का मेंटेनेंस 10 साल तक संबंधित कंपनी ही करेगी।
बता दें कि केरवा डैम से शहर के कुछ हिस्सों के अलावा सिंचाई के लिए भी पानी दिया जाता है, लेकिन डैम से जुड़े गांवों में गंभीर जलसंकट है। इन्हीं गांवों के लिए नई पहल की गई है। विधायक रामेश्वर शर्मा ने बताया, हुजूर विधानसभा के 76 गांवों में हर घर को नल से जल देने के लिए 91 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। केरवा डैम से पाइप लाइन के जरिए इन गांवों में पानी पहुंचाया जाएगा। जिसके लिए 4.86 एमसीएम पानी का आरक्षण किया गया है। भारत सरकार के जल जीवन मिशन एवं मध्यप्रदेश सरकार के अंशदान से यह पैसा खर्चा किया जाएगा। विधायक शर्मा ने बताया, ताल-तलैयों का शहर कहलाने वाले भोपाल का ग्रामीण क्षेत्र गर्मी के दिनों में टैंकरों पर आधारित हो जाता है। ऐसा नहीं है कि इन क्षेत्रों में पेयजल को लेकर कोई काम नहीं हुआ हो, लेकिन वॉटर लेवल नीचे चले जाने से इन गांवों की पेयजल योजना बंद हो जाती है। लोग चार दशक से समस्या से जूझ रहे हैं। इन क्षेत्रों की मुख्यमंत्री नल-जल योजना की उपलब्ध पानी की टंकियों एवं अन्य संसाधनों को जोड़ते हुए केरवा ग्राम जलापूर्ति योजना बनाई गई है।


स्काडा सिस्टम से होगी मानीटरिंग
विधायक शर्मा ने बताया, 50 हजार से ढाई लाख लीटर की 14 नई एवं 29 पुरानी टंकियों को योजना में शामिल किया गया है। इंटकवेल के साथ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट एवं लगभग 190 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाई जाएगी। योजना आधुनिक रूप से लैस है। लीकेज एवं अन्य समस्याओं को नवीनतम तकनीकी सिस्टम स्काडा के माध्यम से रखा जाएगा। इस सिस्टम के माध्यम से पूरी योजना पर आसानी से मानीटरिंग की जा सकती है। यदि भविष्य में क्षेत्र नगर निगम में शामिल होता भी है तो निगम को नई योजना बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

इन गांवों को मिलेगा फायदा
आमला, अमरपुरा, अमरावतकलां, बड़झिरी, बकानिया, बंदोरी, बरखेड़ा नाथू, बरखेड़ा सालम, बावड़ीखेड़ा, बेरखेड़ी बाजयाफ्त, भानपुर, भोजनगर, बोरदा, बोरखेड़ी, छापरी, देहरियाकलां, धामनिया, दुबड़ी, फतेहपुर डोबरा, गोल, हथाईखेड़ा, ईटखेड़ी छाप, जाटखेड़ी, झागरिया खुर्द, कजलास, कलखेड़ा, कालापानी, कल्याणपुर, खड़ बमुलिया, खजूरीसड़क, खामलाखेड़ी, खांडावड, खारखेड़ी, खारपा, खारपी, खेतलाखेड़ी, खोकरिया, खुरचनी, कौड़ी, कोडिय़ा, कोटरा, कुशलपुरा, लखापुर, महाबडिय़ा, महुआखेड़ा, मालीखेड़ी, मेंडोरा, मेंडोरी, मि_ूखेड़ी, मुंडला, मुगालिया छाप, नांदनी, नरेला, फंदाकला, फंदाखुर्द, पिपलिया धाकड़, पिपलिया रानी, रसूलिया पठार, रसूलिया घाट, रसूलिया गोसाई, रतनपुर, रातीबड़, साइस्ता खेड़ी, समसपुरा, सरवर, सेमरी बाजयाफ्त, सेवनिया, शोभापुर, सिकंदराबाद, सुरैया नगर, टीला खेड़ी, थुआखेड़ा और तूमड़ा।

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