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दुश्‍मनों के मंसूबो पर फ‍िरेगा पानी, सेल साइट एनेलाइजर तकनीक से लैस होंगी सीमा

नई द‍िल्‍ली: भारत सरकार (Government of India) ने भारत-चीन सीमा, भारत-पाकिस्तान सीमा, भारत-बांग्लादेश सीमा पर बसे इलाकों को पूरी तरीके से वाईफाई और सिग्नलयुक्त करने का फैसला किया है. बड़ी तादाद में मोबाइल टावर सीमावर्ती इलाकों (Border Areas) में लगाए जा रहे हैं. ऐसे में दुश्मन की धरती से संदिग्ध सिग्नल लगातार भारत की सीमा में घुसते रहते हैं. देश की सीमा पर इन संदिग्ध सिग्नल पर नजर रखने और इनको रोकने के लिए अत्याधुनिक सेल साइट एनेलाइजर सिस्टम को यहा लगाया जा रहा है.

भारत सरकार सीमावर्ती इलाकों में जो गांव हैं और जो बसावट की जगह है वहां यह सुनिश्चित कर रही है कि मोबाइल कनेक्टिविटी 100 फीसदी हो. इसके लिए भारत-चीन सीमा, भारत-पाकिस्तान सीमा, भारत बांग्लादेश सीमा और अन्य पड़ोसी देश के साथ लगी सीमा में आधुनिक सिग्नल व्यवस्था की एक विस्तृत योजना पर काम कर किया जा रहा है. लेकिन गोलाबारी और घुसपैठ की तरह संदिग्ध सिग्नल भी भारतीय सुरक्षा के अदृश्य दुश्मन है.

विदेश की जमीन से आए ये सिग्नल संचार व्यवस्था में बाधा पहुंचाते हैं. रडार सिस्टम के काम को रोकते हैं और भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के संवाद को सुनते हैं. लेकिन अब भारत के इस अदृश्य दुश्मन की करतूत को नाकाम किया जाएगा. सेल साइट एनालाइजर सिस्टम के जर‍िए तुरंत संदिग्ध सिग्नल का पता लगाया जा सकेगा और सबसे पहले संबधित एजेंसियों को इसके बारे में सूचित क‍िया जाएगा.


सेल साइट एनालाइजर सिस्टम से जुड़ी तकनीक को विकसित करने वाली कंपनी के नुमाइंदे समीर दत्त के मुताबिक देश की सीमाओं और देश में बढ़ रहे अपराधों की सुरक्षा के मद्देनजर इस तकनीक को विकसित किया गया है और जैसे-जैसे संदिग्ध सिग्नल का तरीका बदल रहा है, हम अपनी तकनीक में भी उसी तरीके से इजाद कर रहे हैं.

मेक इन इंडिया तकनीक के तहत इस सिस्टम को अलग-अलग कंपनियां विकसित कर रही हैं. इस तकनीक की सबसे खास बात यह है कि बेहद छोटा होने की वजह से इसे मैदान, पहाड़, रेगिस्तान, समुद्री इलाके कहीं भी चलाया जा सकता है. सबसे पहले ये सिस्टम जितने भी मोबाइल टावर उस इलाके में हैं उसको ट्रैक करता है. जिस मोबाइल टावर के आगे कुछ नहीं लिखा होता, मतलब इस सिग्नल के लोकेशन का पता नहीं जिससे यह साफ हो जाता है क‍ि यह संदिग्ध सिग्नल है.

संदिग्‍ध सिग्नल का पता लगाने के बाद तुरंत इस तरीके से उसका रूट चार्ट बनाया जाता है और इसके बारे में अलग-अलग एजेंसियों को सूचित किया जाता है कि किस और कहां से इसके आने की संभावना है जो भारत में संचालित नहीं है. सीमावर्ती इलाके खासकर भारत-पाकिस्तान सीमा और भारत-चीन सीमा पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के सिग्नल सिस्टम को हैक करने या नाकाम करने की कोशिश हमेशा की जाती है. अब ऐसी तकनीक से तुरंत सिग्नल के जरिए ही दुश्मन के संदिग्ध सिग्नल का काम तमाम किया जाएगा.

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