देश

पश्चिम बंगाल के पूर्व CM बुद्धदेव भट्टाचार्य की बेटी ने लिया जेंडर बदलने का फैसला, जानें प्रक्रिया

नई दिल्‍ली (New Delhi) । पश्चिम बंगाल (West Bengal) के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य (Buddhadev Bhattacharya) की बेटी सुचेतना भट्टाचार्य (Suchetna Bhattacharya) ने अपना जेंडर बदलवाने (change gender) का फैसला किया है. वो ऑपरेशन के जरिए अपना सेक्स चेंज कराकर ‘सुचेतन’ बनना चाहती हैं जिसके लिए उन्होंने कानूनी सलाह लेना भी शुरू कर दिया है. उन्होंने आगे की प्रक्रिया के लिए मनोचिकित्सकों (psychiatrists) से भी संपर्क किया है.

सुचेतना ने हाल ही में एलजीबीटीक्यू वर्कशॉप में भाग लिया था. उन्होंने कहा, ”मेरे इस कदम के पीछे मेरे माता-पिता की पहचान या पारिवारिक पहचान का लेना-देना नहीं है. मैं ऐसा अपने एलजीबीटीक्यू आंदोलन के हिस्से के रूप में कर रही हूं. मैं एक ट्रांस-मैन के रूप में हर दिन होने वाले सामाजिक उत्पीड़न को रोकना चाहती हूं.”

उन्होंने आगे कहा, ”मैं बालिग हूं और अब मैं 41 साल की हो गई हूं. नतीजन मैं अपनी जिंदगी से जुड़े सारे फैसले खुद ले सकती हूं. कृपया मेरे माता-पिता को इसमें न घसीटें. पुरुष मानसिक रूप से भी पुरुष होते हैं जैसे मैं खुद को मानसिक रूप से पुरुष मानती हूं. मैं चाहती हूं कि अब शारीरिक रूप से भी मैं पुरुष ही बन जाऊं.” सुचेतना मानती है कि उनके पिता इस फैसले का समर्थन करेंगे क्योंकि वह बचपन से ही इसके बारे में जानते हैं.


उन्होंने कहा, ”मैंने यह फैसला किया है. मैं लड़ूंगी. मुझमें वह साहस है. मुझे फर्क नहीं पड़ता कि कौन क्या कहता है. मैं सभी के सवालों का जवाब देने के लिए तैयार हूं.” सुचेतना ने मीडिया से इस खबर को तोड़ मरोड़ कर पेश ना करने की भी अपील की.

उन्होंने कहा, ”यह निर्णय सिर्फ मेरा है. मैं सभी से अपील करूंगी कि इस खबर को तोड़ मरोड़ कर पेश ना करें. यह मेरा अपना संघर्ष है. मैं इससे अकेले लड़ना चाहती हूं. कभी नहीं से देर हो जाना अच्छा है. मैं बचपन से ऐसा चाहती थी. कई लोगों ने इसका समर्थन किया तो कई लोगों ने हंगामा भी किया. मानसिक रूप से मैं एक ट्रांस-मैन हूं और शारीरिक रूप से भी मैं वैसा ही बनना चाहती हूं.”

उन्होंने LGBTQ समुदाय के लोगों से भी बहादुरी से जीवन जीने की अपील की. उन्होंने कहा, ”मैं सभी को बोल्ड होने के लिए कहूंगी. हो सकता है कि मेरे नाम और मेरे माता-पिता को लेकर कुछ विवाद हो. लेकिन मैं बार-बार कहूंगी कि प्लीज समझिए और यह सभी को समझना चाहिए.”

बुद्धदेव भट्टाचार्य की बेटी को एक पर्यावरण कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ के रूप में जाना जाता है. हालांकि, सुचेतना को कभी सक्रिय राजनीति में नहीं देखा गया.

लोग क्यों करवाते हैं जेंडर चेंज
जेंडर चेंज करवाना सुनने में जितना मुश्किल है, उससे कहीं ज्यादा कठिन है. लोग ऐसा इसलिए करवाते हैं ताकि फिजिकल अपीयरंस उनकी जेंडर आइडेंटिटी से मेल खाए. लोग ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वो जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर या जेंडर डिस्फोरिया का अनुभव करते हैं. जेंडर डिस्फोरिया उस स्थिति को कहते हैं जहां एक महिला, पुरुष और एक पुरुष महिला की तरह महसूस करते हैं. जिन लोगों को जेंडर डिस्फोरिया होता है, वो इस तरह का ऑपरेशन कराते हैं.

जेंडर चेंज कराने की सर्जरी
जेंडर चेंज कराने के लिए किसी भी व्यक्ति को सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी (एसआरएस) की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी (एसआरएस) एक सर्जिकल प्रक्रिया या यूं कहें कि कई प्रक्रियाओं की श्रृंखला है जिसमें ट्रांसजेंडर व्यक्ति की शारीरिक बनावट को बदल दिया जाता है. सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी को जेंडर रीअसाइनमेंट सर्जरी, जेनिटल रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी और सेक्स रीअलाइनमेंट सर्जरी भी कहा जाता है.

दुनिया भर में कितने लोग बदलवाते हैं अपना जेंडर
दुनिया में कितने लोग अपना जेंडर चेंज करवाते हैं, इसका सटीक आंकड़ा बताना मुश्किल है लेकिन सर्जरी के इनसाइक्लोपीडिया के आंकड़ों की मानें तो अमेरिका में हर साल लगभग 100 और 500 के बीच सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी होती हैं. दुनिया भर में ये संख्या दो से पांच गुना या इससे ज्यादा अधिक हो सकती है. वहीं, भारत में भी अब सेक्स चेंज करवाना आम हो चुका है. पिछले कुछ समय से सेक्स चेंज कराने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है.

कैलिफॉर्निया के ट्रांसजेंडर सर्जरीस के एक्सपर्ट विशेषज्ञ मार्सी बोवर्स ने एक इंटरव्यू में कहा कि वो हर साल लगभग 200 सेक्स चेंज सर्जरी करते हैं. इनमें तीन चौथाई लोग अपनी आइडेंटिटी पुरुष से महिला में बदलते हैं.

कोई व्यक्ति अपने लिंग को बदलने की प्रक्रिया कैसे शुरू करता है?
वर्ल्ड प्रोफेशनल एसोसिएशन फॉर ट्रांसजेंडर हेल्थ (WPATH)के अनुसार, किसी के लिए भी जन्म के साथ मिले शरीर को बदलना इतना आसान नहीं होता, भले ही इंसान खुद ऐसा चाह रहा हो. इस सर्जरी को कराने से पहले मानसिक तौर पर भी तैयार रहना पड़ता है जिसके लिए डॉक्टर उस व्यक्ति को मनोचिकित्सक से बात करने की सलाह देते हैं.

उसकी अनुमति के बिना ये इस तरह की सर्जरी नहीं कराई जा सकती. व्यक्ति को वाकई में जेंडर डिस्फोरिया है या नहीं, इसके लिए मनोरोग विशेषज्ञ से एक प्रमाणपत्र भी लेना पड़ता है जिसमें वो इस विकार की पुष्टि करता है. ये प्रमाणपत्र सर्जरी कर रहे डॉक्टर को सौंपना भी पड़ता है. जेंडर चेंज करने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले डॉक्टर ये भी देखता है कि उस व्यक्ति को कोई गंभीर बीमारी तो नहीं है. इसके बाद व्यक्ति के रिप्रोडक्टिव पार्ट्स और अन्य अंगों को बदलने की प्रक्रिया शुरू की जाती है.

सर्जरी से पहले दिए जाते हैं हार्मोन्स
जेंडर चेंज की प्रक्रिया की शुरुआत हार्मोन थेरेपी से होती है. इस स्टेज पर महिला में पुरुष और पुरुष में महिला वाले हार्मोन इंजेक्शन और दवाओं के जरिए शरीर में पहुंचाए जाते हैं. सर्जरी से पहले महिला को एड्रोजन हार्मोन दिया जाता है ताकि उसके शरीर पर पुरुषों की तरह बाल विकसित हों और दाढ़ी आए.

वहीं, जो पुरुष अपना जेंडर चेंज कराकर महिला बनना चाहता है, उसे एंटी-एड्रोजन हार्मोन दिए जाते हैं ताकि उसके शरीर की मांसपेशियों में बदलाव हो, शरीर के हिस्सों में फैट्स का जमाव बदल सके और शरीर के बाल कम हो जाएं. कुल मिलाकर उस आदमी को महिला के शरीर की बनावट में ढाला जाता है. इसके बाद उस व्यक्ति में हार्मोनल बदलाव होने लगते हैं और आगे की प्रक्रिया शुरू की जाती है.

सर्जरी के दौरान क्या होता है?
पुरुष से महिला में बदलने वाली सर्जरी आसान, कम खर्चीली और आमतौर पर महिला से पुरुष बनने की सर्जरी की तुलना में अधिक सफल होती है. यही कारण है कि कम ही महिलाएं, महिला से पुरुष बनने के लिए अपनी सर्जरी करवाती हैं. इसके अलावा दूसरा कारण ये है कि महिला से पुरुष बनने की सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी की प्रक्रिया बेहद महंगी होती है.

पुरुष से महिला बनने की सर्जरी में पुरुष के अंडकोष (जहां वीर्य बनता है) और रिप्रोडक्टिव पार्ट के अधिकांश हिस्से को हटा दिया जाता है और यूरेथ्रा (मूत्रमार्ग) को छोटा कर दिया जाता है. सर्जरी करा रहे व्यक्ति में उसके शरीर से लिए गए मांस से ही महिला के अंग बनाए जाते हैं.

वहीं, महिला से पुरुष की सर्जरी में स्तन, गर्भाशय और अंडाशय को हटाया जाता है और शरीर के अन्य हिस्सों से लिए गए मांस से प्राइवेट पार्ट बनाया जाता है.

क्या सेक्स चेंज करवाने के बाद पछताते हैं लोग
इस तरह के मामलों में यह काफी दुर्लभ होता है. डॉक्टर मार्सी बोवर्स ने कहा कि उसने जिन 1,300 लोगों का ऑपरेशन किया है, उनमें केवल दो ही लोगों ने अपने पुराने शरीर में लौटने की ख्वाहिश की थी. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जेंडर डिसफोरिया की चुनौतियों से निपटने के लिए सर्जरी एक चमत्कारिक इलाज है. कई बार इस तरह के ऑपरेशन के बाद लोग अपने जीवनसाथी, परिवार, मित्रों और कई बार नौकरी तक खो देते हैं. कई बार वो खुद को पूरी तरह से अकेला पाते हैं.

जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी, 1960 के दशक में सबसे पहले सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी की शुरुआत करने वाले संस्थानों में शामिल थी. लेकिन कुछ समय बाद उसने अपनी प्रैक्टिस बंद कर दी क्योंकि उन्हें महसूस हुआ कि ये इस तरह के लोगों की बहुत ज्यादा मदद नहीं कर रहा है.

Share:

Next Post

व्हाइट हाउस में प्रेसिडेंट बाइडन और वाइफ जिल ने पीएम मोदी का स्वागत किया, प्राइवेट डिनर दिया

Thu Jun 22 , 2023
वॉशिंगटन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) अमेरिका में हैं। 21 जून (बुधवार को) न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में योग करने के बाद वे वॉशिंगटन पहुंचे। व्हाइट हाउस में प्रेसिडेंट जो बाइडन और उनकी वाइफ फर्स्ट लेडी जिल (President Joe Biden and his wife First Lady Jill at the White House) ने उनका स्वागत […]