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क्या होता है कोरोना का ब्रेकथ्रू इंफेक्शन, जानें इसके बारे में हर सवाल का जवाब

नई दिल्ली। कोविड-19 (Covid-19) के खिलाफ वैक्सीन 100 फीसद तो कारगर नहीं है लेकिन फिर भी इसके बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं. उसके बाद भी दुनियाभर में जिस तरह से ब्रेकथ्रू इंफेक्शन (Breakthrough Infection) के मामलों में इजाफा देखने को मिल रहा है, उसे देखकर लग रहा है कि कोरोना से संसार को मुक्ति मिलने में लंबा वक्त लगेगा। ब्रेकथ्रू संक्रमण यानी जब किसी को वैक्सीन लगने के दो हफ्ते के बाद कोविड-19 का संक्रमण हो जाता है. ये संक्रमण वैसे तो काफी हल्के स्तर का होता है लेकिन अन्य संक्रमण की तरह इसके साइड इफेक्ट हो सकते हैं।


भारत में डेल्टा वैरियंट ब्रेकथ्रू मामलों में बढ़ोतरी की वजह है. INSACOG के मुताबिक प्रयोगशालाओं के सरकारी कन्सोर्टियम में हुई जीनोम सीक्वेंसिंग से मालूम चला कि कोविड-19 के सतत प्रकोप के पीछे डेल्टा वैरियंट ही वजह रहा है. हालांकि वैक्सीन गंभीर बीमारी और मृत्यु से बचाव में अभी भी सबसे ज्यादा असरदार है. वर्तमान में डेल्टा वैरियंट का प्रकोप चीन, कोरिया सहित कई देशों में देखने को मिल रहा है. कोरिया में डेल्टा प्लस के म्यूटेशन K417N के कारण मामलों में इजाफा हो रहा है।

ब्रेकथ्रू मामले क्या होते हैं?
जब वैक्सीनेशन करवा चुके किसी व्यक्ति को कोरोनावायरस का संक्रमण हो जाए.

इसके लक्षण क्या हैं?
वैक्सीन से गंभीर बीमारी को कम करने में मदद मिलती है, जिन्हें वैक्सीन लगी है उनमें हल्के लक्षण आ सकते हैं. जैसे बुखार, सर्दी लगना, बलगम आना, थकान, मांसपेशियों और शरीर में दर्द, सरदर्द, गले में दर्द, नाक बहना, उल्टी आना, डायरिया और गंध व स्वाद का चले जाना. सबसे जरूरी बात, आपको अपने शरीर में कुछ भी गलत लग रहा है तो तुरंत जांच करवानी चाहिए।

क्या वैक्सीन असरदार नहीं है?
वायरस से सुरक्षा में वैक्सीन ही कारगर है लेकिन फिर भी ये सौ फीसद सुरक्षा की गारंटी नहीं देती है और किसी को हल्के लक्षण या बगैर लक्षण के संक्रमित होने का खतरा बना रहता है. अगर वैक्सीन लगने के बाद भी आप संक्रमित होते हैं तो विशेषज्ञों का मानना है कि बीमारी ज्यादा गंभीर नहीं होगी और अस्पताल जाने का खतरा ना के बराबर होगा।

क्या वैक्सीनेशन के बाद संक्रमित हुए लोग दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं?
पहले ऐसा माना जा रहा था कि जिन्हें टीका लगा हुआ है उनसे ब्रेकथ्रू संक्रमण की आशंका नहीं होती है. लेकिन अत्यधिक संक्रमित डेल्टा वेरियंट को लेकर यू.एस की सेंटर फॉर डिजीस कंट्रोल और प्रिवेन्शन की नई रिपोर्ट बताती है कि जो लोग संक्रमित हुए हैं उनके नाक और गले में अच्छा खासा वायरस लोड होता है जिससे दूसरे संक्रमित हो सकते हैं. इसलिए जिन्हें वैक्सीन लग गई है उन्हें भी वायरस फैलने वाले क्षेत्र में मास्क पहन कर रहना चाहिए.

क्या जिसे ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन हुआ है उसे आइसोलेट हो जाना चाहिए?
बिल्कुल, सीएनएन मेडिकल एनालिस्ट डॉ लियना वेन का कहना है कि जो भी संक्रमित हैं, उन्हें आइसोलेशन का सख्ती से पालन करना चाहिए क्योंकि बीमारी किसी को भी हो सकती है. अगर व्यक्ति में लक्षण मौजूद है तो उसे खुद को 10 दिन के लिए आइसोलेट कर लेना चाहिए. और जब तक उसे 24 घंटे तक बुखार नहीं आता है और दूसरे लक्षणों में सुधार नहीं होता तब तक अलग रहना चाहिए. जिस व्यक्ति में लक्षण मौजूद नहीं है और वो पॉजिटिव है उसे भी खुद को 10 दिन के लिए आइसोलेट कर लेना चाहिए।

अगर घर में किसी एक को ब्रेकथ्रू संक्रमण हुआ है तो क्या सभी की जांच की जानी चाहिए?
जी हां, सभी करीबी और संपर्क मे आए लोगों को जांच करवा लेनी चाहिए.

क्या बूस्टर शॉट से मदद मिल सकती है?
अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन और सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन की सलाह है कि ऐसे लोग जो हल्के से गंभीर स्तर पर कमजोर इम्यूनिटी के शिकार है उन्हें कोविड -19 का तीसरा डोज लेना चाहिए. इसकी एक बड़ी वजह ये है कि टीका लगने के बाद भी जिन लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा उनमें से ज्यादातर कमजोर इम्यूनिटी के शिकार थे. जुलाई 2021 तक के एक डेटा के मुताबिक टीका लगने के बाद हुए ब्रेकथ्रू संक्रमण के शिकार में से आधे से ज्यादा कमजोर इम्यूनिटी वालों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. ये अमेरिका की आबादी का 2.7 फीसद था वहीं जिनकी इम्यूनिटी बेहतर थी ऐसे ब्रेकथ्रू मामलों में ये आंकड़ा 1 फीसद से भी कम था।

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