खरी-खरी

गरीबों की जाति किसने बनाई, इस जाति की बदौलत ही तो नेताओं ने सत्ता पाई

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा…इस देश में गरीब ही सबसे बड़ी जाति है… सही है… लेकिन इससे बड़ा सच यह है कि इस जाति का शोषण हर राजनीतिक दल ने किया…कोई मुफ्त अनाज का टुकड़ा डालता है…कोई लाड़ली बहना और नारी सम्मान के नाम पर खैरात बांटता है…कोई किसानों के कर्ज माफ करने की उदारता दिखाता है…कोई मुफ्त बिजली का अहसान थोप डालता है और गरीबों की यह अनपढ़ जाति ऐसे राजनीतिक दलों के लिए वोटों की फसल उगाती है, जिसे पांच साल नेता डकारते हैं और फिर खैरात बांटने, वोट खरीदने की होड़ में लग जाते हैं…प्रधानमंत्रीजी आपने इस देश में गरीबों की जाति तो बताई, लेकिन यह जाति किसने बनाई…क्यों आम बच्चा भूख से बिलखता है, जब सरकार मुफ्त अनाज बांटती है… जब सरकार अस्पताल बनाती है…मुफ्त इलाज के लिए डॉक्टरों की कतार लगाती है…हजारों करोड़ दवाइयों पर लुटाती है… फिर क्यों लोग बीमारी से तड़पते हैं…इलाज में घर के बजट बिगड़ जाते हैं…लोग बिना इलाज के मर जाते हैं…क्यों किसान कर्ज के कारण आत्महत्या करते हैं… जब कर्ज माफी की योजनाएं चलाई जाती है… क्यों बिजली के बिलों के झटके लगते हैं…क्यों बेरोजगारी के दर्द में युवा फांसी चढ़ते हैं…क्योंकि योजना बनाने वाले नेता हों या योजना चलाने वाले अधिकारी, सब चोर होते हैं…मुफ्त का अनाज काले बाजार में बिक जाता है… अस्पताल में दवाइयां आती ही नहीं हैं और भुगतान हो जाता है…किसान की फसलें कुदरत चौपट करती है और मुआवजे की रकम अधिकारियों की भेंट चढ़ती है…इसीलिए मौत ही इस मुश्किल का हल बनती है…खुदकुशियां होती रहती हैं…बेरोजगारों को तानने सुनने से ज्यादा फांसी पर लटकने में सुकून नजर आता है…और बिजली का बिल इसलिए चढ़ता चला जाता है कि आपकी बांटी मुफ्त बिजली का पैसा गरीब हो या अमीर हर व्यक्ति चुकाता है… मोदीजी इस देश में गरीब जाति ही तो सत्ता के लिए वरदान है…जब तक लोग गरीब रहेंगे हर दल प्रलोभन देते रहेंगे…लोग भीख के टुकड़ों पर पलते रहेंगे और वोट देते रहेंगे…कई सरकारें आईं… इंदिराजी ने गरीबी हटाओ की कसम खाई…गरीबी हटी, लेकिन यहां से हटी वहां रखी की तर्ज पर कायम रही…ऐसा नहीं कि भाजपा ने गरीबी मिटाने के लिए कुछ नहीं किया…आपने पांच साल में 13 करोड़ लोगों की गरीबी मिटाने का दावा किया, लेकिन प्रधानमंत्रीजी आपने गरीबी का आकलन ही ऐसा किया कि गरीबी केवल कागजों पर हटी, न भूख मिटी न भुखमरी…अब पांच सौ रुपए कमाने वाला गरीब नहीं कहलाता, लेकिन मोदीजी पांच सौ रुपए में तो आटा भी नहीं आता…इसीलिए आप हमारी गरीब जाति की चिंता छोड़ो और नेता प्रजाति की चिंता से नाता जोड़ो…वो तो चुनाव है, इसीलिए नेताओं के दर्शन हो रहे हैं…वरना नेता विदेश में, हम देश में और हमारे गरीब सडक़ों पर पलते हैं और मरते हैं…यदि वाकई में आप गरीब जाति के साथ न्याय करना चाहते हैं तो केवल इतना कीजिए कि लोग भले ही गरीब रहें, लेकिन भिखारी न बनें…भले ही संघर्ष करें, लेकिन खुदकुशी न करें…भले ही बच्चे को दूध न मिले, लेकिन भूख से न मरे…अस्पतालों मेें इलाज के बिना किसी बाप के सामने बेटा दम न तोड़े…वरना हम रोटी की तरह सत्ता पलटते रहेंगे और जली हुई रोटी से अपना पेट भरते रहेंगे…

 

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