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224 उम्मीदवारों में से किसकी चमकेगी किस्मत? बोम्मई से लेकर सिद्धारमैया तक….इन बड़े चेहरों पर सभी की नजर

नई दिल्ली (New Delhi)। कर्नाटक विधानसभा (Karnataka Assembly ) की सभी 224 सीटों के नतीजे आज आ जाएंगे। वोटो गिनती सुबह आठ बजे से शुरू होगी। सवा आठ बजे तक रुझान आने लगेंगे। इसके साथ ही ये भी पता लगने लगेगा कि 2,615 उम्मीदवारों (candidates) में किन 224 उम्मीदवारों की किस्मत चमकेगी। इन सभी के बीच कुछ चेहरे ऐसे भी होंगे जिनकी जीत-हार पर सभी की नजर होगी।

इन चेहरों में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Chief Minister Basavaraj Bommai) से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार, पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी (Former Chief Minister and JDS leader HD Kumaraswamy) जैसे कई दिग्गज शामिल हैं। चुनावी परिणामों के रूझान आने के साथ हम आपको यहां बताएंगे कि कर्नाटक की हॉट सीटों पर क्या हो रहा है? कौन जीत रहा है तो कौन हार रहा?

इन बड़े चहरों का क्या होगा?

विधानसभा सीट   उम्मीदवार
शिग्गांव बसवराज बोम्मई (भाजपा)
वरुणा सिद्धारमैया (कांग्रेस)
कनकपुरा डीके शिवकुमार (कांग्रेस)
चन्नापट्टन एचडी कुमारस्वामी (जेडीएस)
चिकमंगलूर सीटी रवि (भाजपा)
अथणी लक्ष्मण सावदी (कांग्रेस)
हुबली–धारवाड़ सेंट्रल जगदीश शेट्टार (कांग्रेस)
सिरसी विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी (भाजपा)
शिकारीपुर बीवाई विजयेंद्र (भाजपा)
चित्तपुर प्रियांक खरगे (कांग्रेस)
होलेनरसीपुर एचडी रवन्ना (जेडीएस)

1. शिग्गांव विधानसभा : मुख्यमंत्री बोम्मई के खिलाफ यासिर और शशिधर
कर्नाटक की सबसे हाई प्रोफाइल सीट है। यहां से मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के खिलाफ कांग्रेस ने यासिर अहमद खान पठान को टिकट दिया था। जेडीएस ने शशिधर चन्नबसप्पा यलीगर को चुनावी मैदान में उतारा था। शिग्गांव विघानसभा निर्वाचन क्षेत्र से बोम्मई लगातार तीन बार से जीतते आ रहे हैं। उन्होंने साल 2008 से ही इस क्षेत्र पर अपना कब्जा जमाया हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक, यहां हुए पिछले 14 विधानसभा चुनावों में जेडीएस मात्र एक बार ही जीत पाई है, जबकी दो बार निर्दलीय उम्मीदवार जीतने में सफल रहे हैं। आठ बार इस सीट पर कांग्रेस को जीत मिली है। हालांकि, कांग्रेस आखिरी बार यहां से 1994 में जीती थी।


2. वरुणा विधानसभा : सिद्धारमैया के खिलाफ मंत्री सोमन्ना मैदान में
राज्य की वरुणा विधानसभा सीट हाई-प्रोफाइल (Varuna assembly seat high-profile) है। यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मैदान में थे। सिद्धारमैया के खिलाफ भाजपा ने कर्नाटक सरकार के मंत्री वी. सोमन्ना को उतारा था। जेडीएस से डॉ. भारती शंकर उम्मीदवार थे। 2018 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले टोआडप्पा बासवराजू पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं। उन्हें वरुणा सीट पर 37,000 से ज्यादा वोट मिले थे। 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई। 2008 और 2013 में यहां से कांग्रेस के सिद्धारमैया जीते। 2018 में सिद्धारमैया के बेटे यतीन्द्र एस ने इस सीट पर कांग्रेस का परचम लहराया।

3. कनकपुरा: कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ भाजपा ने राजस्व मंत्री को उतारा
कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार कनकपुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़े। शिवकुमार के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने राजस्व मंत्री आर अशोक को मैदान में उतारा था। जेडीएस ने बी नागराजू को प्रत्याशी बनाया था। शिवकुमार इस सीट पर 2008, 2013 और 2018 में भी जीत दर्ज कर चुके हैं। कनकपुरा सीट पर हुए पिछले 14 चुनावों में से छह बार कांग्रेस को जीत मिली है। भाजपा यहां आज तक जीत दर्ज नहीं कर सकी है। एक-एक बार निर्दलीय, जेडीएस, जेडीयू और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार यहां से जीते हैं। वहीं, दो-दो बार जनता पार्टी और जनता दल के उम्मीदवार यहां से जीतने में सफल रहे।

4. चन्नापट्टन: भाजपा के योगेश्वर और कांग्रेस के गंगाधर से भिड़े कुमारस्वामी
इस सीट से जेडीएस प्रमुख एचडी कुमारस्वामी मैदान में थे। कुमारस्वामी के खिलाफ भाजपा ने सीपी योगेश्वर और कांग्रेस ने गंगाधर एस. को टिकट दिया था। 2018 में भी कुमारस्वामी यहां से जीते थे। उन्होंने भाजपा के सीपी योगेश्वर को 21 हजार से ज्यादा वोट से हराया था। चन्नापट्टन सीट पर अब तक दो उपचुनाव समेत पिछले 16 चुनाव में छह बार कांग्रेस को जीत मिली है। वहीं, दो-दो बार जनता पार्टी, निर्दलीय और जेडीएस उम्मीदवार जीतने में सफल रहे। जबकि, एक-एक बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल, भाजपा और सपा को जीत मिली।

5. अथणी : भाजपा के बागी लक्ष्मण सावदी बनाम भाजपा की लड़ाई
यहां से कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लडे। लक्ष्मण सावदी हाल ही में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। लक्ष्मण सावदी के खिलाफ भाजपा ने महेश कुमाथल्ली ओर जेडीएस ने शशिकांत पदसालगी को मैदान में उतारा था।

2018 में भाजपा के टिकट पर लड़े सादवी को महेश कुमाथल्ली ने हराया था। तब महेश कांग्रेस उम्मीदवार थे। हालांकि, बाद में बगावत करके वह भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद हुए उपचुनाव में महेश भाजपा के टिकट पर जीते थे। सादवी इस सीट से 2004, 2008 और 2013 में भाजपा के टिकट पर जीते थे।

6. हुबली–धारवाड़ सेंट्रल: भाजपा के बागी शेट्टार बनाम भाजपा के नए प्रत्याशी की लड़ाई
इस सीट से कर्नाटक के दिग्गज लिंगाायत नेता जगदीश शेट्टार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े। शेट्टार कभी भाजपा के बड़े नेताओं में से एक थे। शेट्टार को भाजपा से टिकट नहीं मिला तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस का दामन थाम लिया। जगदीश शेट्टार हुबली-धारवाड़ सेंट्रल से छह बार के विधायक हैं। बीजेपी ने इस सीट से महेश तेंगिनाकाई को उम्मीदवार बनाया गया है।

7. सिरसी : विधानसभा अध्यक्ष से कांग्रेस के भीमन्ना भिड़े
इस सीट से कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी चुनाव लड़े। हेगड़े को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। हेगड़े के खिलाफ कांग्रेस ने भीमन्ना नाईक को मैदान में उतारा। कागेरी यहां जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। इस सीट पर पिछले पांच चुनाव में भाजपा को जीत मिली है। कांग्रेस को यहां 1989 में आखिरी बार जीत मिली थी।

8. शिकारीपुर: येदियुरप्पा के बेटे ने लड़ा चुनाव
इस सीट से भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई विजयेंद्र ने चुनाव लड़ा। विजयेंद्र को भाजपा ने टिकट दिया था। विजयेंद्र के खिलाफ कांग्रेस ने जीबी मलातेश को अपना उम्मीदवार बनाया था। इस बार येदियुरप्पा खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। येदियुरप्पा यहां से आठ बार विधायक चुने जा चुके हैं। 1983 से ही यह सीट येदियुरप्पा का गढ़ रही है। तीस साल में उन्हें सिर्फ एक बार 1999 में हार का सामना करना पड़ा था। तब उन्हें कांग्रेस के महलिनगप्पा ने मात दी थी।

9. चित्तपुर: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे हैं चुनावी मैेदान में
यहां से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे चुनाव लड़े। प्रियांक के खिलाफ भाजपा ने मणिकांता राठौड़ को मैदान में उतारा था। 2018 में इस सीट से प्रियांक खरगे ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस के प्रियांक को 69700 वोट मिले थे। 2013 में भी प्रियांक यहां से जीते थे।

2008 के विधानसभा चुनाव में प्रियांक के पिता मल्लिकार्जुन खरगे यहां से विधायक बने थे। हालांकि, 2009 में लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने यह सीट छोड़ दी थी। इसके बाद हुए उप चुनाव में प्रियांक को भाजपा के वाल्मिकी नायक ने हरा दिया था।

10. होलेनरसीपुर: पूर्व पीएम देवेगौड़ा के बड़े बेटे मैदान में
यहां से जेडीएस ने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के बड़े बेटे एचडी रवन्ना को मैदान में उतारा था। पिछली बार यानी 2018 में भी इस सीट से रवन्ना ने जीत हासिल की थी। रवन्ना के खिलाफ भाजपा ने देवराजे गौड़ा और कांग्रेस ने श्रेयस एम. पटेल को उम्मीदवार बनाया था।

होलेनरसीपुर सीट देवगौड़ा परिवार का गढ़ है। रवन्ना के पिता एचडी देवगौड़ा यहां से 1962 में पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते थे। इसके बाद लगातार छह बार एचडी देवगौड़ा यहां से जीते। 1989 में देवगौड़ा को कांग्रेस के जी पुत्तस्वामी गौड़ा ने हरा दिया था।

1994 में यहां से देवगौड़ा के बेटे एचडी रवन्ना यहां से उतरे। उन्होंने पुत्तस्वामी गौड़ा को हराकर पिता की हार का बदला लिया। हालांकि, 1999 में रवन्ना को कांग्रेस के ए डोडेगौड़ा ने हरा दिया। इसके बाद 2004, 2009, 2013 और 2018 में रवन्ना ने होलेनरसीपुर पर कब्जा बरकरार रखा।

11. सोरब सीट :
यहां से पूर्व मुख्यमंत्री एस बंगारप्पा के दो बेटे अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़ रहे हैं। मधु बंगारप्पा कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं, जबकि कुमार बंगारप्पा ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। 2018 के विधानसभा चुनाव में कुमार ने मधु को 3,286 मतों से हराया था। कुमार 2018 के चुनावों से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे, जबकि सोरब के मौजूदा विधायक मधु जेडीएस से फिर से चुनाव लड़ रहे थे। मधु 2021 में कांग्रेस में शामिल हो गए। ये दोनों भाई 2004 से एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ते आए हैं तब उनके पिता एस बंगारप्पा भी जीवित थे।

कुमार ने चार बार 1996 (उपचुनाव), 1999, 2004 और 2018 में सोरब सीट का प्रतिनिधित्व किया है। वह मंत्री के रूप में भी काम कर चुके हैं। 2013 में मधु विजयी रहे थे। दोनों भाई पूर्व में कन्नड़ फिल्म उद्योग से भी जुड़े रहे हैं। कुमार ने एक अभिनेता के रूप में काम किया था जबकि मधु एक अभिनेता और निर्माता के रूप में। अपने पिता की तरह, दोनों ने अतीत में राजनीतिक निष्ठा बदली है।

12. चिकमंगलूर विधानसभा सीट :
चिकमंगलूर जिला अंतर्गत चिकमंगलूर विधानसभा सीट पर 2004 से भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व पर्यटन मंत्री सीटी रवि (CT Ravi) का वर्चस्व कायम है। बीजेपी ने सीटी रवि पर एक बार फिर दांव लगाते हुए 5वीं बार चुनावी दंगल में उतारा है।

इस सीट पर आमतौर पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होता रहा है। सीटी रवि भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं, और उनके नाम की चर्चा अगले मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में भी सामने आई थी। साल 2018 के चुनावों में भाजपा के सीटी रवि को 70,863 वोट हासिल हुए थे जबकि दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के बीएल शंकर को मात्र 44,549 मत ही प्राप्त हुए थे। दोनों के बीच जीत हार का बड़ा अंतराल 26,314 मतों का रिकॉर्ड किया गया था। जबकि इस चुनाव में जेडीएस के हरीश बीएच को मात्र 38,317 वोट ही मिले थे। साल 2004, 2008 और 2013 के चुनाव भी सीटी रवि ने ही जीते थे।

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