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MP में क्या मुसलमान बढ़ाएंगे कांग्रेस की टेंशन? ओवैसी ने दलितों के साथ मिलकर खेला दांव

भोपाल: बीजेपी को सियासी मात देने के लिए बना विपक्षी गठबंधन INDIA मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बिखरा हुआ है. कांग्रेस को बीजेपी के साथ-साथ सपा, आम आदमी पार्टी और जेडीयू से दो-दो हाथ करने पड़ रहे हैं, लेकिन असली टेंशन असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM के चुनावी रण में उतरने से बढ़ गई है. ओवैसी के चलते सूबे में मुस्लिम वोटों के बिखराव का खतरा पैदा हो गया है, जो कांग्रेस का कोर वोटबैंक माना जाता है.

असदुद्दीन ओवैसी ने मध्य प्रदेश की दो मुस्लिम बहुल विधानसभा सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारे हैं, जिसमें एक सीट जबलपुर पूर्व और दूसरी सीट बुरहानपुर है. जबलपुर पूर्व सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, जहां से AIMIM ने गजेंद्र उर्फ गज्जू सोनकर को उतारा है, तो बुरहानपुर सीट से नफीस मंशा खान को टिकट दिया है. ये दोनों ही नेता कांग्रेस छोड़कर AIMIM में आए हैं, जिन्हें पार्टी ने टिकट देकर कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी है.

हालांकि, AIMIM ने पहले एमपी में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था, लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की सॉफ्ट हिंदुत्व की पॉलिटिक्स और मुस्लिमों को महज दो टिकट दिए जाने के चलते ओवैसी ने अपने फैसले को बदलते हुए अपने कैंडिडेटों के नाम का ऐलान कर दिया है. ओवैसी ने दक्षिणी मध्य प्रदेश के महाराष्ट्र सीमावर्ती से लगी मुस्लिम बहुल बुरहानपुर सीट पर मुस्लिम और जबलपुर पूर्व सीट से दलित दांव खेला है. इस तरह ओवैसी ने दलित और मुस्लिम कॉम्बिनेशन के जरिए एमपी में दस्तक दी है.


एमपी में मुसलमानों की आबादी सात फीसदी है, जो दो दर्जन से ज्यादा विधानसभा सीटों पर अहम भूमिका में है. भोपाल, इंदौर, जबलपुर और बुरहानपुर में मुस्लिमों की आबादी बड़ी संख्या में है. भोपाल की मध्य, भोपाल उत्तर, सिहौर, नरेला, देवास की सीट, जबलपुर पूर्व, रतलाम शहर, शाजापुर, ग्वालियर दक्षिण, उज्जैन नार्थ, सागर, सतना, रीवा, खरगोन, मंदसौर, देपालपुर और खंडवा की विधानसभा की सीटों पर मुस्लिम मतदाता अहम रोल अदा करते हैं.

ओवैसी ने मध्य प्रदेश चुनाव के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित की है. इसी कमेटी के सदस्य तारिक अनवर ने बताया कि कांग्रेस के एजेंडे से मुस्लिम पूरी तरह से बाहर हो गए हैं. कांग्रेस मुस्लिमों का वोट चाहती है, लेकिन हिस्सेदारी नहीं देना चाहती है. दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक है, लेकिन कांग्रेस ने सिर्फ दो टिकट दिए हैं. ऐसे में AIMIM ने चुनाव लड़ने का फैसला किया है. नगर निगम के चुनाव में AIMIM ने बेहतर प्रदर्शन किया था और अब विधानसभा चुनाव में भी उसी तरह की उम्मीदें हैं.

निकाय चुनाव के नतीजों को देखते हुए विधानसभा चुनाव में AIMIM के मैदान में उतरने से मुकाबला रोमांचक हो सकता है. जबलपुर पूर्व सीट पर मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में है, जहां से कांग्रेस प्रत्याशी लखन घनघोरिया विधायक हैं. घनघोरिया ने पिछली बार 35 हजार से अधिक वोटो के जीत दर्ज की थी, लेकिन AIMIM के उम्मीदवार के मैदान में उतरने से मुस्लिम वोटरों का बंटवारा तय माना जा रहा. इसी तरह बुरहानपुर सीट पर कांग्रेस के पूर्व नेता प्रतिपक्ष नफीस मंशा को अपना उम्मीदवार घोषित किया है.

ओवैसी ने मुस्लिम सीटों पर अपने कैंडिडेट को उतारकर मुस्लिम वोटों को जोड़ने के साथ-साथ जब रैली में भाषण देंगे तो उसका असर बाकी की सीटों पर भी पड़ेगा. AIMIM ने ओवैसी की रैली की रूप रेखा बना रही है. तीन नवंबर के बाद एमपी चुनाव के कार्यक्रम तय हो जाएंगे. माना जा रहा है कि बुरहानपुर में कम से कम चार से पांच रैली ओवैसी करेंगे तो जबलपुर में भी दो से तीन रैली का प्लान है. ऐसे में देखना है कि ओवैसी कांग्रेस के लिए किस तरह से टेंशन बढ़ाते हैं?

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