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क्‍या नीतीश कुमार को PM पद का चेहरा बनाने विपक्ष होगा एकजुट? समझें सियासी समीकरण

नई दिल्‍ली। आपको लगता है कि साल 2024 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) से पहले समूचा विपक्ष नीतीश कुमार को नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के खिलाफ पीएम का चेहरा बनाने के लिए तैयार हो जायेगा? आपका आंकलन कुछ भी हो सकता है लेकिन देश के मौजूदा सियासी हालात (political situation) को देखते हुए नहीं लगता कि अगर विपक्ष एकजुट (opposition united) हो भी जाये, तब भी शायद ऐसा नहीं होने वाला है क्योंकि नीतीश (Nitish) बेहद कमजोर जमीन पर खड़े हुए हैं. बेशक उनके अरमानों को हवा देने से कोई रोक नहीं सकता.

लेकिन देखना ये है कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा ने महाराष्ट्र (Maharashtra) में प्रवेश तो कर लिया है, पर वहां उसे कितना समर्थन मिलता है क्योंकि हिंदुत्व का झंडेबर्दार रही शिवसेना से मिलकर उसने सरकार बनाई थी. जाहिर है कि उद्धव ठाकरे वाले गुट की शिव सेना उनकी यात्रा के लिए पलक-पांवड़े तो बिछायेगी नहीं, इसलिये कांग्रेस के प्रादेशिक नेताओं को ही ये साबित करके दिखाना होगा कि वहां कांग्रेस आज कितनी कमजोर या मजबूत जमीन पर खड़ी हुई है.महाराष्ट्र से निकलते ही बाकी हिंदीभाषी राज्यों मसलन,मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से गुजरते हुए राहुल गांधी अपनी पार्टी में नई जान फूंकने में कितना कामयाब हो पाते हैं,ये भी एक बड़ा सवाल है क्योंकि वे इस यात्रा में गुजरात को नहीं छू रहे हैं,जहां अगले महीने विधानसभा के चुनाव हैं.

हालांकि इस तर्क से बहुतेरे लोग इत्तिफाक नहीं रखेंगे लेकिन सारा दारोमदार इसी पर टिका हुआ है कि अगले आम चुनाव में संयुक्त विपक्ष की तरफ से पीएम का चेहरा कौन होगा.कोई माने या न मानें,लेकिन बदलती हुई सियासी नब्ज़ पर नजर रखने वाले कई विश्लेषक मानते हैं कि इस यात्रा में मिल रहे जन समर्थन ने बीजेपी के लिए मुश्किलें तो खड़ी कर ही दी हैं.हालांकि कोई भी ये दावा करने की हैसियत में नहीं है कि राहुल गांधी इस समर्थन को कांग्रेस के वोटों में तब्दील करने में कितना कामयाब हो पाएंगे.


इसलिये पीएम पद के लिए नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की दावेदारी को लेकर समूचा विपक्ष फिलहाल तो एकजुट होता दिखता नहीं और न ही आगे ऐसी कोई बड़ी उम्मीद ही नजर आ रही है. दरअसल, लोकसभा की सीटों के लिहाज़ से देखें,तो फिलहाल कांग्रेस ही मुख्य विपक्षी पार्टी है. ऐसे में, बड़ा सवाल ये उठता है कि नीतीश कुमार,ममता बनर्जी (Mamata Banerjee), के. चंद्रशेखर राव या अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) जैसे नेताओं को पीएम पद का उम्मीदवार बनाने के लिए क्या कांग्रेस तैयार होगी? विश्लेषक जवाब देते हैं ऐसा मुमकिन ही नहीं. ऐन वक्त पर कांग्रेस अपना चेहरा सामने लायेगी और पूरी आशंका है कि समूचा विपक्ष उस पर सहमत नहीं होगा.लिहाज़ा, उसी वक़्त संयुक्त विपक्ष मोतीचूर के लड्डू की तरह बिखर जाएगा और यही लड़ाई नरेंद्र मोदी के लिए लगातार तीसरी बार पीएम बनने के रास्ते को और भी आसान कर देगा.

दरअसल, कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव नतीजों को देखते हुए अपनी रणनीति को अंजाम देने में जुटी हुई है.तब नौ राज्य ऐसे थे, जहां की 137 सीटों में से कांग्रेस एक भी सीट पाने में कामयाब नहीं हुई थी. कांग्रेस के रणनीतिकारों को लगता है कि हालात अब बदल चुके हैं, लिहाजा उसमें बदलाव होना तय है. भारत जोड़ो यात्रा के जरिये देश में जो माहौल बन रहा है,उससे भी पार्टी को खासी उम्मीद है कि इससे अगले चुनाव में सीटों का इज़ाफ़ा जरुर होगा. कितना होगा, ये तो आगामी लोकसभा चुनाव के नतीजे ही बताएंगे लेकिन सवाल ये है कि कांग्रेस अपना दावा क्या आसानी से छोड़ देगी? सियासी गणित के लिहाज से भी देखें,तो कांग्रेस के बगैर संयुक्त विपक्ष की कल्पना करना भी बेमानी है. लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार किसी न किसी बहाने से दिल्ली तक ये संदेश पहुंचाने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे कि वे पीएम पद का उम्मीदवार बनने की रेस से बाहर नहीं हुए हैं.

दरअसल, गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के मौके पर बिहार के अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल राजगीर के शीतल कुंड गुरुदवारा पहुंचे नीतीश कुमार की मौजूदगी में जो नारे लगाये गये, उससे उनकी हसरत भी पता लगती है. गुरुद्वारे में ही सैकड़ों को संख्या में पहुंचे उनकी पार्टी जेडीयू कार्यकर्ताओं ने जमकर नारे लगाए कि “देश में 2024 का पीएम कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो.” हालांकि नीतीश ने उस पर कोई ऐतराज जताने की बजाय विषय बदलते हुए कह दिया- ‘इतना अच्छा गुरुद्वारा बना है इसका भी प्रचार प्रसार होना चाहिए. कुछ लोग अनाप शनाप बोलते हैं. उससे हमें कोई लेना देना नहीं है.’

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि हम इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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