सीहोर (Sehore)। मध्यप्रदेश (MP) के अधिकांश जिलों में जहां पानी की सुविधा उपलब्ध है इन इलाकों में किसानों ने खेतों में मूंग की फसल (moong crop) बोई हुई है, लेकिन तापमान में उतार-चढ़ाव (temperature fluctuations) से मूंग की फसल को नुकसान हो रहा है। बीते लगभग एक सप्ताह से आसमान में बादल छाए रहने से तापमान अधिक नहीं बढ़ा है। भीषण गर्मी से केवल नागरिक ही परेशान नहीं है, बल्कि फसलों को भी नुकसान हो रहा है तो दसूरी ओर मारूका इल्ली का प्रकोप देखा जा रहा है।
जानकारी के लिए बता दें कि ग्रीष्मकालीन मूंग फसल में सफेद बैंगनी रंग की मारूका इल्ली का प्रकोप देखा जा रहा है। इससे किसान चिंतित नजर आ रहे हैं।
कृषि विज्ञान केन्द्र सेवनियां के वैज्ञानिकों ने नसरूल्लागंज विकासखण्ड के ग्राम काकरिया, कोठरापिपलिया, हाथी घाट में ग्रीष्मकालीन मूंग फसल का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने किसानों को फसल में लगने वाले कीट व रोगों की जानकारी दी।
वैज्ञानिक दीपक कुशवाह ने बताया कि मूंग फसल में सफेद बैंगनी रंग की मारूका इल्ली का प्रकोप पाया गया है। यह इल्ली फसल के फुलों में रहती है। जब पुष्प से फली का निर्माण होता है, तब इल्ली फली के अन्दर दाने को नुकसान करके बाहर निकलती है। इससे किसानों को भारी मात्रा में आर्थिक नुकसान होगा।
इस संबंध में वैज्ञानिक दीपक कुशवाह का कहना है जिन किसान भाइयों के खेत में इस कीट का प्रकोप है, उन्हें सलाह है कि अनुशंसित कीटनाशक, टेट्रानिलिप्रोल 50 मिली प्रति एकड़ डेल्टामेथ्रिन 100 मिली प्रति एकड या क्लोरोइंट्रानिलीप्रोल, लेम्डासाइक्लोप्रिन 100 मिली प्रति एकड़ या बीटासाइक्लोथ्रिन, इमिडाक्लोप्रिड 140 मिली प्रति एकड़ की दर से 150 ली. पानी में घोल बनाकर सुबह या शाम छिड़काव करें। साथ ही वर्तमान समय में फसल पर पाउडी मिल्डयु रोग का प्रकोप भी देखा जा रहा है। इस रोग के कारण पौधों के पत्तों पर सफेद भूरा पाउडर जम जाता है। इसके निदान के लिए किसान भाई टेबुकुनोजॉल सल्फर 400 ग्राम प्रति एकड की दर से छिड़काव करे।
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