इंदौर न्यूज़ (Indore News)

टोनी-पम्मी का होकर रह गया यशवंत क्लब

इंदौर। शहर के प्रतिष्ठित महाराजा यशवंतराव होलकर (Maharaja Yashwantrao Holkar) द्वारा स्थापित यशवंत क्लब (Yashwant Club) में आगामी 19 जून को होने जा रहे चुनाव (Election) में एक बार फिर टोनी सचदेवा (Tony Sachdeva) एवं पम्मी छाबड़ा (Pammi Chhabra) अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी कर रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि कुलीनों का यह क्लब पिछले 14 सालों से केवल टोनी और पम्मी का होकर रह गया है। कई वरिष्ठ सदस्यों से भरे पड़े इस क्लब में इन 14 वर्षों में आज तक किसी अन्य व्यक्ति ने अध्यक्ष पद की दावेदारी तक नहीं की।
यशवंत क्लब (Yashwant Club) में 19 जून को होने वाले चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। पम्मी पैनल और टोनी सचदेवा (Tony Sachdeva)  पैनल के 9-9 उम्मीदवारों के अलावा किसी अन्य ने नामांकन दाखिल नहीं किया है। यानी इस चुनाव में इस बार भी कोई निर्दलीय या तीसरा गुट खड़ा नहीं हो रहा है। वहीं बीते 14 साल की बात की जाए तो यशवंत क्लब (Yashwant Club) चुनाव के चेयरमैन पद पर पम्मी छाबड़ा (Pammi Chhabra) या टोनी सचदेवा (Tony Sachdeva) ही रहे हैं, तीसरा कभी चेयरमैन नहीं बना है। हालांकि सचिव पद से लेकर अन्य पदों के लिए उम्मीदवार बदलते रहे हैं।


इस तरह चली चेयरमैन की रेस
साल 2016 तक पम्मी और सचदेवा एक ही थे। साल 2008 में सचदेवा और फिर साल 2010 और 2012 में पम्मी जीते। पम्मी ने 2014 में सचदेवा के लिए कैंपेनिंग की और सचदेवा चेयरमैन, पारिख सचिव के लिए चुनाव जीते। जब 2016 के चुनाव आए तो पम्मी फिर चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन सचदेवा ने फिर से चुनाव लड़ने की बात कही। इसी बात पर दोनों के रास्ते अलग हो गए और दोनों ने तभी से अलग पैनल बनाकर चुनाव लड़ना शुरू कर दिया। पम्मी साल 2016 का चुनाव हार गए, लेकिन 2018 में सचदेवा और पारिख को क्लब संविधान के चलते चुनाव से दूर होना पड़ा और इस पैनल ने दूसरे उम्मीदवार उतारे। इसका फायदा पम्मी पैनल को हुआ। पूरी पैनल बहुमत से साल 2018 का चुनाव जीती। अब साल 2022 में फिर सचेदवा अपनी पैनल के साथ पम्मी के सामने मैदान में हैं।

इस तरह रहे चेयरमैन
वर्ष 2008 टोनी सचदेवा
वर्ष 2010 – 2012 पम्मी छाबड़ा
वर्ष 2014 – 2016 टोनी सचदेवा
वर्ष 2018- पम्मी छाबड़ा
(साल 2020 में कोविड चलते चुनाव नहीं हुए)
सचिव बदलते रहे
साल 2008 में संतोष वागले, 2010 में रवि भास्कर, 2012 में सुनील बजाज, 2014 और 2016 में संदीप पारिख व 2018 में संतोष मिश्रा।

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