बेंगलुरु । वैश्विक महामारी कोरोना के चलते जहां ज्यादातर रेस्टोरेंट बंद हो गए तो वहीं कुछ का कारोबार भी चौपट हो गया है, क्योंकि कोरोना वायरस का ऐसा डर है कि कहीं खाने के दौरान वायरस का अटेक न हो जाए इसी से बचने के लिए लोग अब घर पर खाना पसंद कर रहे हैं। जबकि प्लास्टिक के बर्तनों (Plastic Cutlery) को बार बार छुए जाने पर संक्रमण फैलने का खतरा भी बना रहता है। ऐसे में बेंगलुरु की दो महिलाओं शैला गुरुदत्त और लक्ष्मी भीमाचार ने आईबीएम (IBM) की नौकरी छोड़कर ऐसे बर्तन बनाए जो खाना के साथ उन्हें भी खा भी सकते हैं। इनकी कंपनी का नाम Edible Pro है, जो इको फ्रेंड्ली और जीरो वेस्ट खाने योग्य कटलरी बनाती है।
बता दें कि बेंगलुरु की दो महिलाओं शैला गुरुदत्त और लक्ष्मी भीमाचार ने आईबीएम (IBM) की नौकरी छोड़कर ऐसे बर्तन बनाना शुरू किए हैं, जिन्हें खा भी सकते हैं। यानी एक कटलरी सेट का इस्तेमाल सिर्फ एकबार हो सकता है। इस कटलरी की इससे भी बड़ी खासियत ये है कि इसे धोने का झंझट नहीं है। खाना खत्म करने के बाद आप चम्मच, कटोरी, प्लेट, गिलास सबकुछ खा सकते हैं।
टेक कंपनी IBM को छोड़कर अपनी कंपनी एडिबलप्रो शुरू करने वाली शैला गुरुदत्त और लक्ष्मी भीमाचार बताती हैं कि उनके प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल सिंगल यूज प्लास्टिक से बने चम्मच, कप, कटोरी की जगह किया जा सकता है। ये खाए जाने वाले ना सिर्फ स्वादिष्ट होते हैं बल्कि पौष्टिक भी होते हैं। एडिबलप्रो 80 से ज्यादा तरह के कटलरी प्रोडक्ट बनाती है. इनकी कीमत भी काफी कम होती है।
एडिबलप्रो को रिसर्च एंड डेवलपमेंट में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) से काफी मदद मिली। शैला ने घर के बने आटे और कई दूसरी खाने पीने की चीजों पर प्रयोग कर अलग अलग प्रोडक्ट बनाए। बेंगलुरु में एफएसएसएआई प्रमाणित प्रयोगशाला की ओर से कटलरी के नमूनों को मंजूरी मिलने के बाद दोनों ने कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया. इन प्रोडक्ट्स में नुकसादनदायक रंगों या प्रीजर्वेटिव्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। कटलरी को रंगनी बनाने के लिए चुकंदर, गाजर, पालक समेत कई सब्जियों और फलों से निकाले गए रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। इस संबंध में शैला और लक्ष्मी ने बताया कि उनके कटलरी प्रोडक्ट्स बाजरा, अनाज, दाल और मसालों से बने होते हैं। ये सभी प्रोडक्ट पलानहल्ली में तैयार किए जाते हैं. इससे ग्रामीण महिलाओं को काम भी मिल जाता है।
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