उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

सड़क हादसे के घायलों को 108 एम्बुलेंस वाले सीधे ले जा रहे प्रायवेट अस्पताल

  • जबकि 108 चालक को ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं

उज्जैन। सड़क दुर्घटनाओं में जिला अस्पताल के लिए रैफर किए जाने वाले घायलों को अब 108 एम्बुलेंस चालक सीधे प्रायवेट अस्पताल लेकर पहुँच रहे हैं। जबकि 108 एम्बूलेंस चालक को यह अधिकार ही नहीं है। बावजूद ऐसा क्यों हो रहा है। अग्रिबाण की पड़ताल में कई बातें सामने आई हैं।



प्रारंभिक पड़ताल में जिला अस्पताल की कैज्युअल्टी में मेडिकल आफिसर की भारी कमी होने का कारण सामने आया। ऐसे में रात के वक्त आने वाले मरीजों व घायलों को डॉक्टर न होने की परेशानी बताकर सीधे निजी अस्पताल पहुँचाया जा रहा हैं, वहीं हाथ और पैर फै्रक्चर जैसे मामलों में तो मरीज को ठीक इलाज न होने और जान जाने की रिस्क होने का कहकर प्रायवेट अस्पताल ले जाया जाता हैं। जबकि इस प्रकार की घटनाओं में मरीज को जिला अस्पताल में भी सारी सुविधाएँ मिलती हैं। इसके अलावा निजी अस्पताल संचालकों द्वारा 108 चालकों की भारी कमीशन दिए जाने की बात भी सामने आई। एक मरीज पर कम से कम पांच हजार रुपए कमीशन के तौर पर दिए जा रहे हैं। मामले में सिविल सर्जन पीएन वर्मा का कहना है कि जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी हैं लेकिन इसके बाद भी मरीजों के उपचार में कोई कमी नहीं रखी जा रही है। जहाँ तक बेवजह रैफर व मरीजों को सीधे निजी अस्पताल लेकर जाने की बात है तो मैं दिखवाता हूँ।

जीपीएस ट्रेकर फिर भी निगरानी नहीं
जिले में शासन द्वारा चलवाई जा रही प्रत्येक 108 गाड़ी पर जीपीएस सिस्टम लगा होता है ताकि वाहन की लोकेशन पर नजर रखी जा सकें लेकिन उज्जैन शहर में चलने वाली करीब आठ 108 गाडिय़ों की लोकेशन पर किसी की नजर नहीं हैं, वहीं कई वाहनों में तो जीपीएस सिस्टम ही बंद पड़े हैं। इसका फायदा भी 108 चालक उठा रहे हैं। बावजूद जिम्मेदारों द्वारा इसकी कोई सुध नहीं ली जा रही हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि 108 वाहनों में जीपीएस ट्रेकर लगा होता हैं। बावजूद सड़क हादसों के मामलों में 108 वाहन चालक घायल मरीजों को सीधे निजी अस्पताल कैसे ले जा रहे हैं। 108 वाले जिन निजी अस्पतालों में मरीज को जबर्दस्ती इलाज के लिए ले जाते हैं। उनमें शहर के पाटीदार, तेजनकर, अवंती, अथर्व और आर.डी. गार्डी मेडिकल कॉलेज प्रमुख रूप से शामिल हैं।

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