मामा की मंशा पूरी करने में जुटा प्रशासन…
इंदौर के अलावा धार, बुरहानपुर, आलीराजपुर, खरगोन में खोज… बड़वानी, खंडवा और झाबुआ में तलाश ठंडी
इंदौर।
कोरोना महामारी (Corona Epidemic) के बीच प्रदेश के मुखिया और बच्चों के मामा मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) ने अनाथ हुए बच्चों (Children) के नाथ बनकर उनकी परवरिश के लिए पेंशन देने और पढ़ाई (Education) का खर्च उठाने का ऐलान किया था, लेकिन प्रशासन इंदौर सहित 5 जिलों में अब तक मात्र 15 बच्चों को खोज पाया है, जबकि कोरोना महामारी के दौरान केवल इंदौर में ही सैकड़ों लोगों की मौत हुई और कई बच्चे अनाथ हो गए। वहीं गांवों में तो हालत उससे भी बदतर थी, लेकिन न तो बच्चों द्वारा अभी तक कोई दावा किया जा रहा है और न ही प्रशासन ऐसे बच्चों (Children) को खोज पा रहा है।
मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद इंदौर सहित पूरे प्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों द्वारा ऐसे बच्चों (Children) की तलाश के लिए सर्वे किया जा रहा है, लेकिन इंदौर सहित 4 अन्य जिलों के विभागीय अधिकारियों द्वारा अब तक केवल 15 बच्चों को खोजा गया है, जिन्हें पात्र माना है और जो इस राशि के हकदार हैं। इनमें इंदौर जिले में 2, धार में 5, बुरहानपुर में 3, आलीराजपुर में 3 तथा खरगोन में 2 बच्चे हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) की जॉइंट डायरेक्टर डा. संध्या व्यास ने बताया कि अभी तक जो बच्चे फाइनल किए गए हैं, इसके अलावा इंदौर संभाग के बड़वानी, खंडवा और झाबुआ जिले के अनाथ बच्चों के दस्तावेजों की जांच की जा रही है। जिन जिलों में अनाथ बच्चे फाइनल हो गए हैं, उनका वैध संरक्षक कौन होगा, इसकी तलाश कर उनके दस्तावेजों को लिया जा रहा है। योजना का लाभ कोई गलत व्यक्ति नहीं उठा ले, इसका विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए बच्चों की रजामंदी पर ही वैध संरक्षक का नाम फाइनल किया जाएगा।
इन 8 जिलों में भी मिले 37 बच्चे
इंदौर संभाग (Indore Division) के साथ ही प्रदेश के आठ अन्य जिलों में कुल 37 बच्चे फाइनल किए गए हैं। इनमें मंदसौर में 3, उज्जैन में 4, रतलाम में 9, ग्वालियर में 11, नीमच में 6 तथा आगर-मालवा, देवास और शाजापुर में 1-1 बच्चा फाइनल किया गया है। महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) के जॉइंट डायरेक्टर विशाल नाडकर्णी के मुताबिक इसके अलावा प्रदेश के अन्य जिलों में 200 अनाथ बच्चे फाइनल किए गए हैं। सर्वे में अगर इस राशि के हकदार और बच्चे होंगे तो उनके आवेदन की जांच-पड़ताल कर नाम फाइनल किए जाएंगे। इन जिलों के अधिकारियों द्वारा भी बच्चों के वैध संरक्षक की तलाश की जा रही है।
यह नहीं होंगे हकदार
इस योजना के हकदार शासकीय नौकरी करने वाले या पेंशन पाने वालों के बच्चे नहीं होंगे। साथ ही परिवार में किसी को मुख्यमंत्री कोविड 19 योद्धा कल्याण योजना का लाभ नहीं प्राप्त हुआ है। इस योजना के वे बच्चे भी पात्र हो सकते हैं, जिनके माता-पिता में से किसी एक का पूर्व में निधन हो चुका है तथा दूसरे की कोरोना के कारण मौत हुई है। प्रत्येक हितग्राही को प्रतिमाह 5 हजार की सहायता राशि बैंक खाते में जमा की जाएगी। यदि बच्चे की आयु 18 वर्ष से कम है तो उसकी सहायता राशि उसके संरक्षक के संयुक्त खाते में जमा होगी। 18 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद ही उसके व्यक्तिगत खाते में राशि जाएगी।
क्या है योजना…
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) ने अनाथ बच्चों के लालन-पालन और शिक्षा ग्रहण करने के लिए पेंशन योजना का ऐलान किया था। इसके अंतर्गत कोरोना महामारी (Corona Epidemic) में जिन बच्चों के माता-पिता गुजर गए हैं, उन्हें मुख्यमंत्री बाल कल्याण योजना के अंतर्गत 21 साल की उम्र तक हर माह 5 हजार रुपए दिए जाएंगे।