नई दिल्ली (New Delhi) । अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) का करीब 38 साल पुराना एक सैटेलाइट आज पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने वाला है। इसका नाम अर्थ रेडिएशन बजट सैटेलाइट (ERBS) है। इसे पृथ्वी की विकिरण ऊर्जा मापने के लिए लॉन्च किया गया था। यह सैटेलाइट सर्विस से रिटायर हो चुका है। नासा ने बताया है कि सैटेलाइट का ज्यादातर हिस्सा पृथ्वी के वातावरण में एंट्री करने से पहले ही खत्म हो जाएगा। कुछेक टुकड़े मलबे के रूप में धरती पर गिर सकते हैं। 2450 किलो का यह सैटेलाइट भारतीय समय के अनुसार, आज तड़के पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर सकता है। खबर लिखे जाने तक यह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर चुका होगा, हालांकि इसमें 17 घंटे कम या ज्यादा हो सकते हैं।
अमेरिकी रक्षा विभाग (US Department of Defense) ने भविष्यवाणी की थी कि सैटेलाइट आज यानी सोमवार को भारतीय समय के अनुसार सुबह करीब 5:10 बजे पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा, हालांकि ऐसी उम्मीद है कि वायुमंडल में प्रवेश करते ही यह आकाश में पूरी तरह से जल जाएगा। एक बयान में नासा (NASA) ने कहा कि हमारी टीम को उम्मीद है कि सैटेलाइट के ज्यादातर हिस्से जल जाएंगे। कुछेक कॉम्पोनेंट्स बाकी रह सकते हैं। पृथ्वी पर इसका कोई नुकसान होने का खतरा बहुत कम है।
अपने मिशन के दौरान ERBS ने यह काम बहुत बेहतर तरीके से किया कि पृथ्वी, सूर्य से आने वाले ऊर्जा को कैसे अवशोषित करती है और रेडिएट करती है। इस सैटेलाइट को 5 अक्टूबर 1984 को लो अर्थ ऑर्बिट में लॉन्च किया गया था। यह नासा के तीन-सैटेलाइट अर्थ रेडिएशन बजट एक्सपेरिमेंट (ERBE) मिशन का हिस्सा था। अंतरिक्ष यान में तीन उपकरण थे। इनमें से दो पृथ्वी की विकिरण ऊर्जा को मापने के लिए थे, जबकि तीसरा समतापमंडलीय घटकों को मापने के लिए लगाया गया था।
अमेरिका के रक्षा विभाग ने बताया है कि यह सैटेलाइट कई महाद्वीपों से होते हुए गुजरेगा। पहले अफ्रीका, एशिया, मिडल ईस्ट और फिर नॉर्थ और साउथ अमेरिका से यह अपना सफर तय करेगा। खास बात है कि सैटेलाइट को
सिर्फ 2 साल के लिए अर्थ रेडिएशन की जानकारी देने के लिए लॉन्च किया गया था। सैटेलाइट ने 2 साल के बजाए साल 2005 तक काम किया।
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