उज्जैन जिले में 18 अति उच्चदाब उपकेन्द्रों की वर्तमान में स्थापित पारेषण क्षमता अब 4846 एमवीए की हो गई है। जिसमें 400 के.वी. साइड 1890 एमवीए, 220 के.वी. साइड 1605 एमवीए तथा 132 के.वी. साइड 1351 एमवीए है। उज्जैन जिले में 400 के.वी. 2,
220 के व्ही 3 के व 132 के व्ही के 13 उपकेन्द्रों के माध्यम से विद्युत आपूर्ति की जाती है। अकेले उज्जैन शहर की स्थापित पारेषण क्षमता 630 एमवीए 400 के.वी. साइड, 640 एमवीए, 220 के.वी. साइड की तथा 249 एमवीए 132 के.वी. साइड की है।
उज्जैन में इस दो नये ट्रांसफारमरों की स्थापना में उज्जैन अति उच्चदाब के अधीक्षण अभियंता डी.डी. लववंशी, परीक्षण एवं संचार के अधीक्षण अभियंता महेश कनाडे़, कार्यपालन अभियंता अति उच्च दाब निर्माण श्री अनिल सक्सेना कार्यपालन अभियंता परीक्षण एवं संचार श्री योगेश कुमार माथुर कार्यपालन अभियंता स्काडा इंदौर श्रीमती आरती शिल्पी सहायक यंत्री स्काडा इंदौर श्री राजेश कुमार अहिरवार सहायक यंत्री सिविल श्री अभय कुमार निगोस्कर, सहायक यंत्री श्री जेपी परमार श्री दिलीप धवन श्री संतोष चौरसिया श्री एसपी यादव श्री राजेश बडगोटिया तथा परीक्षण पर्यवेक्षक श्री संतोष शर्मा ,एके रकताले एवं निरंजन परिहार का कार्य सराहनीय रहा।
1960 में पहली अति उच्चदाब लाइन से सप्लाई हुई थी बिजली उज्जैन में
उज्जैन वर्तमान मध्यप्रदेश के निर्माण के पहले से ही जनरेटर के माध्यम से रोशन रहा करता था पहले इंदौर के डीजल जनरेटर के माध्यम से उत्पादित होने वाली बिजली देवास होते हुए उज्जैन तक आती थी | 50 वें दशक की शुरुआत में उज्जैन का खुद का थर्मल पावर जनरेटर प्लांट हो गया था 1954 में उज्जैन में डीजल जनरेटर का बड़ा प्लांट भी स्थापित किया गया जो छठे दशक के अंत तक उज्जैन की विद्युत आपूर्ति में मुख्य भूमिका निभाता रहा इस दरमियान उज्जैन से लेकर इंदौर तक बिजली लाइन बना दी गई थी इसके द्वारा वर्षों इंदौर और उज्जैन के दरमियान विद्युत का आदान-प्रदान होता रहा।
उल्लेखनीय है कि गांधी सागर बांध से बिजली उत्पादन होने के पहले मालवा क्षेत्र में थर्मल और डीजल जनरेटर प्लांट बहुतायत में थे .उज्जैन से बाद में नागदा को भी 66 केवी की एक लाइन से विद्युत आपूर्ति की गई 1970 आते-आते उज्जैन और आसपास 33 / 11 केवी का बेहद प्रभावशाली बिजली तंत्र स्थापित हो चुका था जो उज्जैन तथा आसपास विद्युत आपूर्ति करने के लिए पर्याप्त था।
मालवा के उज्जैन और इन्दौर क्षेत्र में से सबसे पहले उज्जैन में अति उच्चदाब लाइन का उपकेन्द्र निर्मित हुआ था। हालांकि इंदौर में 66 केवी के उपकेन्द्र थे परन्तु साठ के दशक में 17/11/1960 को 132 के.व्ही. चंबल नाम से उपकेन्द्र की शुरूआत के साथ उज्जैन नगरी में अति उच्च दाब सिस्टम से विद्युत प्रदाय प्रारंभ हुआ इस उपकेन्द्र में 132/66 केवी का पहला ट्रांसफारमर लगाया गया था। इस उपकेन्द्र के लिये 132 के.वी.की सिंगल सर्किट लाइन गांधी सागर बांध में बने पावर हाउस से उज्जैन तक बनाई गई थी जिसकी लंबाई लगभग 220 कि.मी. थी।बाद में ज्योति नगर बनने के बाद ये उपकेन्द्र 132 के वी ज्योति नगर कहलाने लगा।
उज्जैन में अति उच्च दाब विघुत उपकेंद्र बनने के करीब छह साल बाद इंदौर में 13/08/1966 को पहला अति उच्चदाब का132 केवी उपकेन्द्र चंबल के नाम से बना.सन् 1977 में उज्जैन में बढ़ती विद्युत की मांग को देखते हुए मध्यप्रदेश विद्युत मंडल ने शंकरपुर में 220 के.वी.उपकेन्द्र की स्थापना की जिसमें सारणी के थर्मल पावर प्लांट में उत्पादित होने वाली बिजली इस उपकेंद्र तक पारेषित की जाती रही ये लाइन कुल 469 कि.मी. की थी.सारणी से ये लाइन पहले 220 के.वी. उपकेंद्र इटारसी आयी तथा वहाँ से बड़वाह होते हुए उज्जैन तक लायी गई। काफी अर्से तक इन दो उपकेन्द्रों से उज्जैन जिले व इन्दौर के कुछ हिस्सों में विद्युत आपूर्ति होती रही। 1980 में 220 के.वी.उपकेन्द्र नागदा की स्थापना के साथ उज्जैन जिले में पारेषण नेटवर्क और मजबूत हुआ और धीरे धीरे उज्जैन क्षेत्र विद्युत के मामले में सुदृढ़ बनता गया।
आज उज्जैन जिले में अतिउच्चदाब के 18 विद्युत उपकेन्द्र के माध्यम से विद्युत सप्लाई की जा रही है। खासकर सिंहस्थ 16 के साथ उज्जैन में पारेषण का व्यापक विस्तार हुआ है और वर्तमान में उज्जैन जिले में 18 विद्युत उपकेन्द्र स्थापित है जिनसे भरोसेमद विद्युत आपूर्ति की जा रही है। 1986 में 220 के.वी. उपकेन्द्र नागदा, 1992 में 400 के.वी. उपकेन्द्र नागदा, 1998 में 132 के.वी. महीदपुर, सन् 2000 में 132 के.वी. इंगोरिया, सन् 2003 में 132 के.वी. मुल्लापुर रताड़िया , सन् 2004 में 132 के.वी. तराना, इसी वर्ष अक्टूबर में 220 के.वी. बड़नगर सन् 2006 में 132 के.वी. उपकेन्द्र खाचरौद का निर्माण हुआ जिससे उज्जैन क्षेत्र में पारेषण क्षमता विस्तारित हुई, लेकिन इसी के साथ क्षेत्र में सिंचाई रकवा बढ़ने के साथ-साथ औद्योगिकरण भी तेजी से गति पकड़ने लगा। जिसको ध्यान में रखते हुए ट्रांसमिशन कंपनी ने घोंसला में 132 केवी का उपकेन्द्र का निर्माण 2008 में जबकि सन् 2010 में जरदा एवं मागदोन, में 132 केवी उपकेन्द्र का निर्माण हुआ। जिले के भेरूगढ़ में 2015, उनहिल में 2017, भैंसोला तथा विक्रम उद्योगपुरी में 2019 में 132 के उपकेन्द्रो का निर्माण किया गया।
सिंचाई और उद्योग में बिजली की बढ़ती मांग और उच्च दाब उपभोक्ताओं को सतत् व गुणवत्ता पूर्ण बिजली की आवश्यकता को देखते हुए ताजपुर (उज्जैन) में ट्रांसमिशन कंपनी के महत्वकांक्षी 400 के.वी. उपकेन्द्र का निर्माण इस वर्ष 2021 में किया गया जिसमें अभी हाल ही में दो ट्रांसफारमर स्थापित कर पारेषण क्षमता में बढ़ोत्तरी की गई है।