- सरकारी योजनाएं हावी… शहरी काम ठप…
इन्दौर (Indore)। इंदौर जिले (Indore District) में नामांतरण, बटांकन, और सीमांकन के 5000 से अधिक आवेदन विभागों में पड़े हैं। सीमांकन करने वाली 19 मशीन होने के बावजूद एक दिन में 3 से 4 ही सीमांकन हो पा रहे हैं। उसका कारण यह है कि पटवारी से लेकर तहसीलदारों और राजस्व निरीक्षक तक को लाड़ली बहना, जाति प्रमाण पत्र और ऐसी ही अन्य सरकारी योजनाओं के कामों में उलझा रखा है, जिसके चलते जनता के सामान्य कार्य पेडिंग पड़े हैं।
इंदौर शहर का फैलाव बढ़ता जा रहा है। रियल इस्टेट के कारोबारी दूरदराज के गांवों तक कदम बढ़ा चुके हैं। ऐसे में चारों ओर से सीमांकन के आवेदन आ रहे हैं। इसके साथ ही नामांतरण और बटांकन के भी मामले में बढ़ रहे हैं, लेकिन पटवारी, राजस्व निरीक्षकों के साथ ही तहसीलदारों और एसडीएम की भी व्यस्तता के चलते दोनों ही कार्य नहीं हो पा रहे हैं। सीमांकन के लिए राजस्व अमले के पास 19 मशीन और हाईटेक तकनीक से काम करने वाला रोबर है, लेकिन कई पटवारी और राजस्व निरीक्षक उक्त तकनीक का इस्तेमाल नहीं जानते हैं, इसलिए उन्होंने शहर के सर्वे करने वाले लोगों को निजी तौर पर सेवाओं मेें लगा रखा है। वर्तमान में 5 हजार से अधिक आवेदन सीमांकन के पेंडिग हालत में ही पड़े है। एक दिन मेें अधिक से अधिक पांच मामलों के सीमांकन हो पा रहे हैं और उसी तेजी से नए सीमांकन के आवेदन भी आ रहे हैं, जिसके चलते पेंडेंसी हजारों में पहुंच रही है।
एक तहसील में 2 से 4 आरआई
एक तहसील में एरिए के हिसाब से तीन से चार आरआई होना चाहिए, जबकि हाल ही में कई राजस्व निरीक्षकों को पदोन्नत किए जाने और उनका तबादला किए जाने के कारण कई राजस्व निरीक्षक अमले की कमी के चलते तीन से चार क्षेत्रों को संभाले हुए हैं। हालांकि पूरे इंदौर जिले में 332 पटवारी काम कर रहे हैं, जिनमें से कुछ पटवारियों को मशीनें चलाने का प्रशिक्षण दिया गया था, लेकिन अन्य कामों में व्यस्त होने के कारण कोई भी पटवारी सीमांकन के लिए तैयार नहीं हो रहा है, वहीं राजस्व निरीक्षक भी अधिक है।
इतने काम में लगे हैं अधिकारी
मुख्यमंत्री द्वारा की गई बड़ी-बड़ी घोषणाएं आम आवेदकों के लिए परेशानी का सबब बनने लगी हैं। कन्वेंशन सेंटर, बस अड्डे, मेट्रो के प्रोजेक्ट, संजीवनी क्लिनिक के कारण पूरा अमला इन क्षेत्रों के सीमांकन में बिजी है, जिसके चलते आम जनता की सुनवाई नहीं हो पा रही हैं। मुख्यमंत्री के जनसेवा अभियान के द्वितीय चरण मे नामांकन और सीमांकन के मामलों को तेजी से निपटाने के निर्देश दिए गए हैं। तेजी से मेट्रो सिटी बनता जा रहा इंदौर, लेकिन बल नहीं बढ़ रहा है।