इंदौर न्यूज़ (Indore News)

7 सीटर स्कूली वाहन दौड़ सकते हैं प्रदेश में

– इंदौर परिवहन कार्यालय ने मुख्यालय को भेजा प्रस्ताव, दिल्ली के मॉडल को मध्यप्रदेश में भी लागू करने का सुझाव

–  पिछले कुछ सालों से सिर्फ 13 सीटर वाहनों को ही मिल रही है अनुमति, रोक के बाद ज्यादातर वाहन गैर-इजाजती

इंदौर। प्रदेश में जल्द ही 7 सीटर वाहनों को भी स्कूली वाहनों (school vehicles) के रूप में रजिस्टर्ड करने और परमिट (Permit) दिए जाने की व्यवस्था लागू हो सकती है। इसके लिए इंदौर आरटीओ कार्यालय (Indore RTO Office) से परिवहन मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा गया है। अभी दिल्ली को छोडक़र पूरे देश में कहीं भी 13 सीटर से कम के वाहनों को स्कूली वाहनों के रूप में संचालन की अनुमति नहीं है। इंदौर के सुझाव को मंजूरी मिलने पर छोटी गलियों से भी छोटी गाडिय़ों के माध्यम से आसानी से बच्चों को स्कूल ले जाया जा सकेगा।

परिवहन विभाग (transport Department) से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2018 में केंद्रीय परिवहन मंत्रालय द्वारा एंबुलेंस और स्कूली वाहनों के लिए एक गाइड लाइन जारी की गई थी। इसमें कहा गया था कि 13 सीटर या उससे ज्यादा के वाहनों को ही स्कूली वाहनों की अनुमति दी जाएगी। इसका उद्देश्य बताया गया कि बड़े वाहनों में बच्चे ज्यादा सुरक्षित होते हैं और नियमों का पालन भी आसान होता है, जबकि इससे पहले 7 सीटर वाहनों को भी यह अनुमति परिवहन विभाग द्वारा दी जाती थी। नए नियमों के बाद से मध्यप्रदेश सहित देश में छोटे वाहनों को स्कूली वाहन बनाए जाने पर रोक लगा दी गई। इस आदेश के बाद से इंदौर में भी छोटे वाहनों को स्कूली वाहनों की मान्यता पर रोक है, लेकिन स्कूल संचालक और वाहन मालिक लगातार छोटे वाहनों को भी अनुमति देने की मांग कर रहे हैं। इसे देखते हुए इंदौर कार्यालय से मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा गया है।


दिल्ली में छोटे वाहनों को भी अनुमति

अधिकारियों ने बताया कि मंत्रालय के आदेश के बाद दिल्ली में छोटे वाहनों को अनुमति देने के लिए विशेष व्यवस्था लागू की गई है। यहां इस तर्क के साथ छोटे वाहनों को स्कूली वाहन की मान्यता दी जाती है कि छोटे वाहनों से ट्रैफिक की समस्या भी नहीं होती और छोटी गलियों में रहने वाले बच्चों को लाने-ले जाने में भी आसानी होती है। वहीं छोटे स्कूलों के लिए भी बड़े वाहन लेना उपयोगी नहीं होता है। ऐसे वाहनों को दिन में ऑन स्कूल ड्यूटी की विशेष प्लेट लगाकर बच्चों के परिवहन की छूट होती है, वहीं इसके बाद वे यात्री वाहन के रूप में भी चल सकते हैं।

बिना अनुमति के दौड़ रहे सैकड़ों वाहन

विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे वाहनों को अनुमति न मिलने के कारण वे बिना अनुमति के ही बड़ी संख्या में बच्चों का परिवहन कर रहे हैं। आए दिन चेकिंग में ऐसे वाहनों को पकड़ा भी जाता है। इससे बेहतर है कि ऐसे वाहनों को अनुमति दी जाए। इससे ये वाहन नियमों का पालन भी करेंगे और वाहनों में बच्चों की सुरक्षा के पूरे उपाय भी होंगे।

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